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Bilaspur : रक्तदान है महादान, जानिए कैसे एक यूनिट बचाता है चार जिंदगियां - रक्तदान

रक्तदान को महादान माना गया है. आज के समय में टेक्नोलॉजी की मदद से रक्तदान करने वाले दाता के रक्त से एक नहीं बल्कि चार जिंदगियां बचाई जा सकतीं हैं. ब्लड से प्लाज्मा अलग करके इसे अलग-अलग मरीजों को दिया जा सकता है. जिससे चार अलग अलग बीमारियों का इलाज करा रहे मरीजों के शरीर में रक्त की पूर्ति की जाती है.

Bilaspur blood donation
रक्तदान से बचती है हजारों जिंदगियां
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Published : Apr 4, 2023, 8:54 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 12:07 PM IST

रक्तदान का महत्व

बिलासपुर : मेडिकल साइंस ने भले ही कितनी तरक्की कर ली हो. लेकिन शरीर के अंदर बनने वाले खून का कोई विकल्प विज्ञान के पास नहीं है. यानी की आपको जिंदा रखने के लिए जिस खून की जरुरत होती है,वो आपके शरीर में ही बनता है. इसलिए रक्त की अहमियत क्या है ये सभी जानते हैं. रक्तदान के बाद इकट्ठा किए गए खून से अब चार जिंदगियां बचाई जाती हैं. इस खून से चार अलग-अलग कंटेंट निकाले जाते हैं.


खून के अंदर क्या हैं कंटेंट : एक यूनिट खून से चार कंटेंट तैयार किए जाते हैं. पहला कंटेंट आरसीबी के रूप में होता है. दूसरा कंटेंट डब्ल्यूबीसी के रूप में तैयार किया जाता है.इसके बाद ब्लड से प्लेटलेट्स और प्लाज्मा अलग किया जाता है.इसमें इकट्ठा किए गए अलग-अलग कंटेंट रोगियों को दिए जाते हैं. जैसे आरबीसी उन मरीजों को दिया जाता है जिनके शरीर में खून नहीं बनता और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. WBC से प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. प्लाज्मा और प्लेटलेट्स खून में थक्का बनाने में मददगार होते हैं.ताकि रक्तस्त्राव रुक सके.


सिम्स आठ हजार लोगों को देता है ब्लड : बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज सिम्स सालाना 8 हजार यूनिट ब्लड इकट्ठा करता है. यह ब्लड दानदाताओं से सिम्स को प्राप्त मिलता है. लगभग इतने ही मरीजों को यहां से ब्लड दिया भी जाता है. सिम्स मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक की एचओडी डॉक्टर सुपर्णा गांगुली ने बताया कि ''सिम्स में 13 जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश के कुछ जिलों के मरीज यहां इलाज कराने आते हैं. सालाना लगभग 65 हजार मरीजों का इलाज किया जाता है. लगभग साढ़े सात से 8 हजार लोगों को यहां से ब्लड दिया जाता है.''

अधिक प्लाज्मा होने पर बिक्री : सिम्स मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ सुपर्णा गांगुली ने बताया कि '' सिम्स ब्लड बैंक नाको सपोर्टेड ब्लड बैंक है. नाको के नॉर्म्स के अनुसार ही सिम्स मेडिकल कॉलेज से प्लाज्मा की बिक्री होती है. सिम्स में ब्लड रखने के लिए चार फ्रीज़र हैं. एक फ्रिज की कैपेसिटी लगभग 100 यूनिट ब्लड रखने की है. इसी तरह 400 यूनिट ब्लड सिम्स में पूरे समय रहता है. कैपेसिटी से ज्यादा प्लाज्मा होने की वजह से नाको ने उसे दवाई कंपनियों को सेल करने के निर्देश दिए हैं. छत्तीसगढ़ में नाको के माध्यम से एक दवा कंपनी प्लाज्मा की खरीदी करती है. 12 सौ रुपए प्रति यूनिट प्लाज्मा की बिक्री की जाती है. इसके अलावा कैंसर पेशेंट सिकल सेल एनीमिया डिलीवरी के दौरान महिलाओं को निशुल्क ब्लड भी दिया जाता है.''

ये भी पढ़ें- सड़क पर घायलों की मदद करने वालों को मिलेगा इनाम

ब्लड की सुरक्षा के लिए फीस : सिम्स मेडिकल कॉलेज में ब्लड व्यवस्था बेहतर होने के साथ ही अतिरिक्त प्लाज्मा की बिक्री की जाती है. लोगों में यह भी भ्रांतियां है कि जो शुल्क उनसे ब्लड लेने के समय लिया जाता है. वह कमाई के लिए लिया जाता है. जबकि नॉर्म्स के हिसाब से ब्लड को रखकर उसकी जांच करने और उसके अन्य सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले व्यवस्थाओं पर जितना खर्च होता है. उतना ही पैसा लिया जाता है. मरीजों को ब्लड नि:शुल्क दिया जाता है.

रक्तदान का महत्व

बिलासपुर : मेडिकल साइंस ने भले ही कितनी तरक्की कर ली हो. लेकिन शरीर के अंदर बनने वाले खून का कोई विकल्प विज्ञान के पास नहीं है. यानी की आपको जिंदा रखने के लिए जिस खून की जरुरत होती है,वो आपके शरीर में ही बनता है. इसलिए रक्त की अहमियत क्या है ये सभी जानते हैं. रक्तदान के बाद इकट्ठा किए गए खून से अब चार जिंदगियां बचाई जाती हैं. इस खून से चार अलग-अलग कंटेंट निकाले जाते हैं.


खून के अंदर क्या हैं कंटेंट : एक यूनिट खून से चार कंटेंट तैयार किए जाते हैं. पहला कंटेंट आरसीबी के रूप में होता है. दूसरा कंटेंट डब्ल्यूबीसी के रूप में तैयार किया जाता है.इसके बाद ब्लड से प्लेटलेट्स और प्लाज्मा अलग किया जाता है.इसमें इकट्ठा किए गए अलग-अलग कंटेंट रोगियों को दिए जाते हैं. जैसे आरबीसी उन मरीजों को दिया जाता है जिनके शरीर में खून नहीं बनता और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. WBC से प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है. प्लाज्मा और प्लेटलेट्स खून में थक्का बनाने में मददगार होते हैं.ताकि रक्तस्त्राव रुक सके.


सिम्स आठ हजार लोगों को देता है ब्लड : बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज सिम्स सालाना 8 हजार यूनिट ब्लड इकट्ठा करता है. यह ब्लड दानदाताओं से सिम्स को प्राप्त मिलता है. लगभग इतने ही मरीजों को यहां से ब्लड दिया भी जाता है. सिम्स मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक की एचओडी डॉक्टर सुपर्णा गांगुली ने बताया कि ''सिम्स में 13 जिलों के साथ ही मध्य प्रदेश के कुछ जिलों के मरीज यहां इलाज कराने आते हैं. सालाना लगभग 65 हजार मरीजों का इलाज किया जाता है. लगभग साढ़े सात से 8 हजार लोगों को यहां से ब्लड दिया जाता है.''

अधिक प्लाज्मा होने पर बिक्री : सिम्स मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ सुपर्णा गांगुली ने बताया कि '' सिम्स ब्लड बैंक नाको सपोर्टेड ब्लड बैंक है. नाको के नॉर्म्स के अनुसार ही सिम्स मेडिकल कॉलेज से प्लाज्मा की बिक्री होती है. सिम्स में ब्लड रखने के लिए चार फ्रीज़र हैं. एक फ्रिज की कैपेसिटी लगभग 100 यूनिट ब्लड रखने की है. इसी तरह 400 यूनिट ब्लड सिम्स में पूरे समय रहता है. कैपेसिटी से ज्यादा प्लाज्मा होने की वजह से नाको ने उसे दवाई कंपनियों को सेल करने के निर्देश दिए हैं. छत्तीसगढ़ में नाको के माध्यम से एक दवा कंपनी प्लाज्मा की खरीदी करती है. 12 सौ रुपए प्रति यूनिट प्लाज्मा की बिक्री की जाती है. इसके अलावा कैंसर पेशेंट सिकल सेल एनीमिया डिलीवरी के दौरान महिलाओं को निशुल्क ब्लड भी दिया जाता है.''

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ब्लड की सुरक्षा के लिए फीस : सिम्स मेडिकल कॉलेज में ब्लड व्यवस्था बेहतर होने के साथ ही अतिरिक्त प्लाज्मा की बिक्री की जाती है. लोगों में यह भी भ्रांतियां है कि जो शुल्क उनसे ब्लड लेने के समय लिया जाता है. वह कमाई के लिए लिया जाता है. जबकि नॉर्म्स के हिसाब से ब्लड को रखकर उसकी जांच करने और उसके अन्य सुरक्षा को लेकर किए जाने वाले व्यवस्थाओं पर जितना खर्च होता है. उतना ही पैसा लिया जाता है. मरीजों को ब्लड नि:शुल्क दिया जाता है.

Last Updated : Apr 5, 2023, 12:07 PM IST
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