बिलासपुर: पिछले कई सालों से शहरवासी लावारिस जानवरों से परेशान है. लावारिस पशु राहगीरों और बच्चों को अपना निशाना बना रहे हैं. कई बार इन लावारिस पशुओं की वजह से आम लोगों की जान भी जा रही है. इस मामले में ना तो जिला प्रशासन को चिंता है ना ही निगम को. लावारिस कुत्तों की जनसंख्या कंट्रोल करने का कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. रोजाना 50 से 60 डॉग बाइट मरीज सिम्स पहुंच रहे हैं.
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बिलासपुर नगर निगम ( Bilaspur Municipal Corporation ) क्षेत्र में लगातार लावारिस पशुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. इन पशुओं में कुत्ता, गाय और सुअर की संख्या अत्यधिक बढ़ी है. रोजाना ही लावारिस पशुओं से आम नागरिक सड़कों पर हमले के शिकार हो रहे हैं. लावारिस पशुओं में सबसे ज्यादा संख्या कुत्तों की है. एक अनुमान के हिसाब से हर एक मोहल्ले में 100 कुत्तों के भी अधिक है और पूरे नगर निगम की बात करे तो कुत्तों की संख्या 5 हजार से भी ज्यादा है. नगर निगम इस मामले में अब तक ऐसी ठोस कदम नहीं उठाया है. जिससे आवारा पशुओं की जनसंख्या को बढ़ने से रोका जा सके.
सालों पहले किया गया था कुत्तों का बंध्याकरण
शहर में आवारा पशुओं में कुत्तों की संख्या की अगर बात करें तो 5 हजार से भी ऊपर संख्या पहुंच चुकी है और इनके कंट्रोल के लिए नगर निगम कार्रवाई नहीं कर रही है. कुछ साल पहले नगर निगम ने डॉग बाइट के मामलों को कंट्रोल करने और जनसंख्या में कमी लाने हैदराबाद की एक कंपनी को कुत्तों की नसबंदी का काम दिया था. इस कार्य में नगर निगम में लगभग 5,000 से भी ज्यादा शहर में कुत्ते होने का सर्वे किया था और कंपनी को इनके नसबंदी का काम भी सौंपा था.
हैदराबाद की कंपनी ने नसबंदी का काम शुरू किया था, लेकिन शर्त के हिसाब से शहर से लावारिस कुत्तों के अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नगर निगम को थी. शुरुआत में तो नगर निगम ने लगभग दो से ढाई सौ कुत्तों को अस्पताल तक पहुंचाया था और इनका नसबंदी हुई थी. लेकिन बाद में नगर निगम इस पर ध्यान देना बंद कर दी और कंपनी को नसबंदी के लिए कुत्ते नहीं मिल रहे थे. कुत्ते नहीं मिलने की इस वजह से कंपनी नसबंदी काम बंद करना पड़ा और जितने कुत्तों का नसबंदी की उनका पैसा लेकर वापस चली गई.
डॉग बाइट के मामले बढ़े
शहर में इस समय लगभग 5 हजार से भी ज्यादा लावारिस कुत्ते हैं. कुत्तों के काटने के मामले रोजाना ही बढ़ रहे हैं. सिम्स मेडिकल कॉलेज में रोजाना लगभग 55 से 60 डॉग बाइट के मामले आते हैं और रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है. पूरे साल की बात करें तो ढाई लाख से भी ऊपर मामले केवल सिम्स मेडिकल कॉलेज में ही आते हैं. जबकि निजी अस्पताल के साथ की जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो पूरे जिले में लगभग साढ़े 3 लाख डॉग बाइट के मामले साल भर में सामने आ जाते हैं. ऐसे में जहां एक ओर आम नागरिक परेशान हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग को भी रेबीज का इंजेक्शन की उपलब्ध कराने में समस्या आ रही है.
रोका छेका अभियान फेल
राज्य शासन ने लावारिस पशुओं और गायों को सड़कों पर घूमने से रोकने रोका छेका अभियान प्रदेश में शुरू किया है, लेकिन बिलासपुर नगर निगम ने रोका छेका अभियान पूरी तरह से फेल हो गया है. यूं कहें कि रोका छेका अभियान को संचालित करने में नगर निगम विफल है. शहर में आवारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन नगर निगम प्रशासन इसे कंट्रोल करने का कोई कार्रवाई नहीं करता है. ऐसे में आवारा पशुओं की वजह से राहगीरों की जान भी चली जाती है और निगम बेपरवाह रहता है.