गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: जिले के मरवाही वन मंडल के पेंड्रा वन परिक्षेत्र के द्वारा बनवाए गए एनीकट और स्टॉप डैम में मजदूरी करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है, जिसकी वजह से मजदूर इस कोरोना काल में अपनी मजदूरी के पैसों के लिए वन विभाग के अधिकारियों और निर्माणकार्य कराए जाने वाले ठेकेदार के चक्कर काटने को मजबूर है.
मजदूरों ने कई आरोप भी लगाए है. मजदूरों का आरोप है कि अगर वन विभाग के द्वारा बनवाए गए एनीकट और स्टॉप डैम की गुणवत्ता और सामग्री की मात्रा की जांच कराई जाए तो पूरा एनीकट और स्टॉप डेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा. मरवाही वन मंडल के DFO ने मजदूरों का बचा हुआ भुगतान जल्द दिलाए जाने की बात कही हैं.
कोरोना काल में मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी
मामला नवगठित जिले के मरवाही वन मंडल के पेंड्रा वन परिक्षेत्र का है. जहां वन विभाग को खुद अपनी देखरेख में स्टॉप डैम और एनीकट का निर्माण कराना था, लेकिन विभाग ने ऐसा नहीं करते हुए इसकी जिम्मेदारी अपने चहेते ठेकेदारों को दे दी. जिसका खामियाजा इन मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है.
ठेकेदार अरुण अग्रवाल बंटी पर मजदूरों ने लगाए आरोप
मरवाही के कटरा गांव में रहने 6 से ज्यादा मजदूरों ने बताया कि उनको अभी तक उनकी मजदूरी नहीं मिल पाई है. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि पेंड्रा के रहने वाले ठेकेदार अरुण अग्रवाल बंटी ने उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया है, जिससे वे काफी परेशान है. मजदूरों का कहना है कि वे कभी पेंड्रा वन परिक्षेत्र अधिकारी के कार्यालय तो कभी उनके घर जाकर अपनी मजदूरी मांग रहे है.
मजदूरों ने निर्माण काम को लेकर ठेकेदार पर लगाए आरोप
मजदूरों का कहना है कि जितने भी एनीकट और स्टॉप डैम का निर्माण कार्य वन विभाग ने ठेकेदारों से करवाया है. उन सभी में सिर्फ पैसों का बंदरबांट ठेकेदार द्वारा किया गया है. पीड़ित मजदूरों ने भुगतान नहीं होने पर प्रभारी मंत्री जय सिंह अग्रवाल से पूरे मामले की शिकायत करने की चेतावनी दी हैं. मजदूरों का कहना है कि अगर डैम और एनीकट में सामग्री मात्रा और गुणवत्ता की जांच निष्पक्ष कराई जाए तो सभी निर्माण कार्य रिजेक्ट हो जाएंगे.
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ETV भारत की टीम ने जब इस मामले को लेकर मरवाही वन मंडलाधिकारी राकेश मिश्रा से बात की तो उनका कहना था कि मजदूरों की मजदूरी भुगतान ठेकेदार के द्वारा नहीं किया जाना गंभीर मामला है. जिसके संबंध में वे संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी से चर्चा कर उनका मजदूरी भुगतान करा देंगे.
निर्माण कार्य को लेकर उठ रहे कई सवाल
इस केस में एक गंभीर पहलू यह भी है कि वन विभाग में कोई भी निर्माण कार्य में ठेकेदारी प्रथा नहीं चलती, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारियों ने यह काम ठेकेदारों से करवाया है. जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.