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नाग पंचमी पर नागों का मेला: छत्तीसगढ़ में यहां इंसानों ने धारण किया नागराज का रूप !

नाग पंचमी पर नागों का मेला (Naag Panchami Snake Fair). यह सुनकर आपको हैरत हो रही (Snake Fair on Nag Panchami) होगी. लेकिन यह छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में होता है. यहां हर साल नागों का मेला लगता है. जिसमें इंसान नागराज का रूप धारण करते हैं. कैसे यह सब होता (Nagraj soul on humans in Amadand Village of Gaurela) है. देखिए इस रिपोर्ट में.

Snake Fair on Nag Panchami
नाग पंचमी पर नागों का मेला
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Published : Aug 2, 2022, 11:02 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही में नाग पंचमी के दिन अनोखा मेला लगता (Naag Panchami Snake Fai है. यहां के आमाडांड गांव में नागों का मेला लगता है. जिसमें इंसान नाग और सांप की तरह जमीन पर लोटते और दूध पीते दिखाई पड़ते (Snake Fair on Nag Panchami) हैं. नागों के मेले के लिए बड़ी संख्या में गांव वाले जुटते हैं. यह आपको अद्भुत अकल्पनीय लगे. लेकिन यह अतिश्योक्ति नहीं है. यहां सचमुच इंसान नाग पंचमी पर इस तरह की हरकतें करते लोग दिखाई पड़ (Nagraj soul on humans in Amadand Village of Gaurela) जाएंगे.

इंसान नाग रूप में पीते हैं दूध: आमाडांड गांव में नागों के मेले में इंसान सांप और नाग की तरह लोटते दिखाई देते हैं. बताया जाता है कि इन इंसानों पर नाग की आत्मा सवार होती है इसलिए वह ऐसा करते हैं. वह नाग और सांप की तरह दूध पीते हुए भी दिखाई देते (Gaurela Pendra Marwahi Nag Panchami news) हैं.

नाग पंचमी पर नागों का मेला

पुजारी का दावा, पूजा के बाद इंसान में समा जाते हैं नाग देवता: पुजारी दूज राम का दावा है कि" पूजा के बाद मंत्र के जरिए नाग देवताओं को बुलाया जाता है. उसके बाद नाग और सांप की आत्मा लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाती है. यह पूजा मेरे घर से शुरू होती है उसके बाद पूरे गांव में होती है" दूजा राम ने बताया कि यह पूजा उनके घर में बीते 50 साल से होती आ रही है.

ये भी पढ़ें: Nag Panchami 2022: दंतेवाड़ा का नागफनी गांव, जहां नाग देवता पूरी करते हैं सबकी मनोकामना !

गांव वालों ने इसे बताया आस्था का मेला: गांव वालों के मुताबिक यह आस्था का मेला है. ग्रामीण छोटेलाल सोनी ने बताया कि "यह हमारी परंपरा है. हम कई वर्षों से इसे निभाते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सांप काटे हुए व्यक्ति का भी हम लोग इलाज करते हैं लेकिन वह कंडीशन पर डिपेंड करता है. अगर केस संभलने वाला होता है तो हम इलाज करते हैं नहीं तो हम उन्हें अस्पताल भेज देते हैं".

इस बात में कितनी सच्चाई है कि इन लोगों के शरीर पर नाग का वास है. यह कहना कठिन है. ईटीवी भारत इस तरह के बातों की पुष्टि नहीं करता. यह जानकारों के नजरिए से जांच का विषय हो सकता है. आस्था और अंधविश्वास का फैसला जानकार कर सकते हैं.

गौरेला पेंड्रा मरवाही: आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र गौरेला पेंड्रा मरवाही में नाग पंचमी के दिन अनोखा मेला लगता (Naag Panchami Snake Fai है. यहां के आमाडांड गांव में नागों का मेला लगता है. जिसमें इंसान नाग और सांप की तरह जमीन पर लोटते और दूध पीते दिखाई पड़ते (Snake Fair on Nag Panchami) हैं. नागों के मेले के लिए बड़ी संख्या में गांव वाले जुटते हैं. यह आपको अद्भुत अकल्पनीय लगे. लेकिन यह अतिश्योक्ति नहीं है. यहां सचमुच इंसान नाग पंचमी पर इस तरह की हरकतें करते लोग दिखाई पड़ (Nagraj soul on humans in Amadand Village of Gaurela) जाएंगे.

इंसान नाग रूप में पीते हैं दूध: आमाडांड गांव में नागों के मेले में इंसान सांप और नाग की तरह लोटते दिखाई देते हैं. बताया जाता है कि इन इंसानों पर नाग की आत्मा सवार होती है इसलिए वह ऐसा करते हैं. वह नाग और सांप की तरह दूध पीते हुए भी दिखाई देते (Gaurela Pendra Marwahi Nag Panchami news) हैं.

नाग पंचमी पर नागों का मेला

पुजारी का दावा, पूजा के बाद इंसान में समा जाते हैं नाग देवता: पुजारी दूज राम का दावा है कि" पूजा के बाद मंत्र के जरिए नाग देवताओं को बुलाया जाता है. उसके बाद नाग और सांप की आत्मा लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाती है. यह पूजा मेरे घर से शुरू होती है उसके बाद पूरे गांव में होती है" दूजा राम ने बताया कि यह पूजा उनके घर में बीते 50 साल से होती आ रही है.

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गांव वालों ने इसे बताया आस्था का मेला: गांव वालों के मुताबिक यह आस्था का मेला है. ग्रामीण छोटेलाल सोनी ने बताया कि "यह हमारी परंपरा है. हम कई वर्षों से इसे निभाते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सांप काटे हुए व्यक्ति का भी हम लोग इलाज करते हैं लेकिन वह कंडीशन पर डिपेंड करता है. अगर केस संभलने वाला होता है तो हम इलाज करते हैं नहीं तो हम उन्हें अस्पताल भेज देते हैं".

इस बात में कितनी सच्चाई है कि इन लोगों के शरीर पर नाग का वास है. यह कहना कठिन है. ईटीवी भारत इस तरह के बातों की पुष्टि नहीं करता. यह जानकारों के नजरिए से जांच का विषय हो सकता है. आस्था और अंधविश्वास का फैसला जानकार कर सकते हैं.

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