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महंगाई भत्ते की मांग पर कर्मचारियों का आंदोलन

छत्तीसगढ़ के कर्मचारी महंगाई भत्ते की मांग पर हड़ताल पर चले गए हैं. राज्य के कर्मचारी केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता मांग रहे (Movement of employees on demand of dearness allowance in Bilaspur) हैं.

Movement of employees on demand of dearness allowance in Bilaspur
मंहगाई भत्ते की मांग पर कर्मचारियों का आंदोलन
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Published : Jul 25, 2022, 5:24 PM IST

बिलासपुर : महंगाई भत्ता बढ़ाने को लेकर राज्य के कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने आंदोलन शुरु किया (Movement of employees on demand of dearness allowance in Bilaspur) है. इस आंदोलन में शासकीय कर्मचारी काम बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं. जिले के शासकीय विभागों में कार्यरत सभी कर्मचारी बिलासपुर के नेहरू चौक में धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं. कर्मचारियों की मांग है कि महंगाई भत्ता बढ़ाया जाए और इसके अलावा कई छोटी-छोटी मांगों को लेकर उन्होंने सरकार से अपना वादा पूरा करने की मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन को अनिश्चितकालीन करने के बाद भी कही है.

महंगाई भत्ते की मांग पर कर्मचारियों का आंदोलन
क्यों कर रहे आंदोलन : महंगाई भत्ता केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को वर्ष में हर छमाही में 2 बार मिलता है. प्रत्येक राज्य को केंद्र के द्वारा पर महंगाई भत्ता देने की अनिवार्यता होती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में विगत 3 वर्षों से राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता नहीं दिया गया है. छत्तीसगढ़ के प्रत्येक कर्मचारी को 4000 से 14 तक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए प्रदेश के समस्त विभाग के कर्मचारी 25 जुलाई से आंदोलन पर चले गए हैं.


केंद्र और राज्य के डीए में कितना अंतर : केंद्रीय कर्मचारियों को वर्तमान में 34% डीए मिलता (Demand to increase DA in Chhattisgarh)है जबकि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को मात्र 22 परसेंट मिल रहा है. केंद्र से 12 परसेंट कम राज्य कर्मचारियों को दिया जा रहा है. गरीब भाड़ा भत्ता छत्तीसगढ़ में बरसों पुरानी वेतनमान के रूप में दिया जा रहा है जबकि केंद्र और अन्य राज्य अपने कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के मुताबिक भत्ता दे रहे हैं. छत्तीसगढ़ सातवें वेतनमान के अनुरूप नहीं देने से कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी : राज्य अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन (State Officer Employees Federation) के जिला संयोजक बीपी सोनी ने कहा कि '' यदि सरकार इस हड़ताल के दौरान उनकी मांग नहीं मानती है तो वे आगे संगठन के आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इस दौरान कार्यालयों में कोई भी कर्मचारी अपनी सेवा में नहीं रहेगा और इस राज्य के विकास के साथ यहां की जनता के आवश्यक कार्य रुक जाएंगे. यदि सरकार उनकी मांग मान लेगी. तो वे अपना हड़ताल खत्म कर वापस काम पर चले जाएंगे और यदि सरकार का अड़ियल रवैया रहा तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं.''

कितना पड़ रहा काम पर असर : कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से कलेक्ट्रेट शाखा सहित कई विभाग सूने पड़े हैं . नागरिकों के काम पेंडिंग हैं. इस मामले को लेकर बिलासपुर कलेक्टर सौरभ कुमार (Bilaspur Collector Saurabh Kumar)ने बताया कि '' कार्यालयीन समय के दौरान पता करवा रहे हैं कि कौन-कौन से विभागों से कितने कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं . बचे हुए कर्मचारियों से किस तरह का काम लिया जा सकता है. राज्य सरकार से जुड़ा मुद्दा होने की वजह से इस मामले में दखलंदाजी नहीं कर रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार के अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए वे दूसरी व्यवस्था उपलब्ध कराने के विषय में सरकार को अवगत कराएंगे.''

बिलासपुर : महंगाई भत्ता बढ़ाने को लेकर राज्य के कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने आंदोलन शुरु किया (Movement of employees on demand of dearness allowance in Bilaspur) है. इस आंदोलन में शासकीय कर्मचारी काम बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं. जिले के शासकीय विभागों में कार्यरत सभी कर्मचारी बिलासपुर के नेहरू चौक में धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं. कर्मचारियों की मांग है कि महंगाई भत्ता बढ़ाया जाए और इसके अलावा कई छोटी-छोटी मांगों को लेकर उन्होंने सरकार से अपना वादा पूरा करने की मांग की है. मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन को अनिश्चितकालीन करने के बाद भी कही है.

महंगाई भत्ते की मांग पर कर्मचारियों का आंदोलन
क्यों कर रहे आंदोलन : महंगाई भत्ता केंद्र और राज्य के कर्मचारियों को वर्ष में हर छमाही में 2 बार मिलता है. प्रत्येक राज्य को केंद्र के द्वारा पर महंगाई भत्ता देने की अनिवार्यता होती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में विगत 3 वर्षों से राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता नहीं दिया गया है. छत्तीसगढ़ के प्रत्येक कर्मचारी को 4000 से 14 तक नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसलिए प्रदेश के समस्त विभाग के कर्मचारी 25 जुलाई से आंदोलन पर चले गए हैं.


केंद्र और राज्य के डीए में कितना अंतर : केंद्रीय कर्मचारियों को वर्तमान में 34% डीए मिलता (Demand to increase DA in Chhattisgarh)है जबकि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को मात्र 22 परसेंट मिल रहा है. केंद्र से 12 परसेंट कम राज्य कर्मचारियों को दिया जा रहा है. गरीब भाड़ा भत्ता छत्तीसगढ़ में बरसों पुरानी वेतनमान के रूप में दिया जा रहा है जबकि केंद्र और अन्य राज्य अपने कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के मुताबिक भत्ता दे रहे हैं. छत्तीसगढ़ सातवें वेतनमान के अनुरूप नहीं देने से कर्मचारियों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी : राज्य अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन (State Officer Employees Federation) के जिला संयोजक बीपी सोनी ने कहा कि '' यदि सरकार इस हड़ताल के दौरान उनकी मांग नहीं मानती है तो वे आगे संगठन के आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. इस दौरान कार्यालयों में कोई भी कर्मचारी अपनी सेवा में नहीं रहेगा और इस राज्य के विकास के साथ यहां की जनता के आवश्यक कार्य रुक जाएंगे. यदि सरकार उनकी मांग मान लेगी. तो वे अपना हड़ताल खत्म कर वापस काम पर चले जाएंगे और यदि सरकार का अड़ियल रवैया रहा तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं.''

कितना पड़ रहा काम पर असर : कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से कलेक्ट्रेट शाखा सहित कई विभाग सूने पड़े हैं . नागरिकों के काम पेंडिंग हैं. इस मामले को लेकर बिलासपुर कलेक्टर सौरभ कुमार (Bilaspur Collector Saurabh Kumar)ने बताया कि '' कार्यालयीन समय के दौरान पता करवा रहे हैं कि कौन-कौन से विभागों से कितने कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं . बचे हुए कर्मचारियों से किस तरह का काम लिया जा सकता है. राज्य सरकार से जुड़ा मुद्दा होने की वजह से इस मामले में दखलंदाजी नहीं कर रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार के अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए वे दूसरी व्यवस्था उपलब्ध कराने के विषय में सरकार को अवगत कराएंगे.''

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