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कई किसानों को अभी भी कर्जमाफी का इंतजार, बैंक कर्मचारी बना रहे दबाव

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Published : Jun 29, 2019, 12:32 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 12:39 PM IST

छत्तीसगढ़ सरकार की कर्ज माफी योजना कागजों पर दिखाई दे रही है. 6 महीने बीतने के बाद भी राष्ट्रीयकृत बैंक तो छोड़िए छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों तक की कर्ज माफी नहीं हो पाई है.

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बिलासपुर: सहकारी समितियां अब तक किसानों को ऋण मुक्ति का प्रमाण पत्र तक नहीं दे पाई हैं. पेंड्रा रोड अनु विभाग में आने वाले हजारों किसानों से सहकारी बैंकों को 10 करोड़ से अधिक की रकम वसूलना बाकी है, लेकिन अब तक शासन से रकम नहीं मिलने की वजह से किसानों का कर्ज माफ नहीं हो सका.

एक ओर जहां सरकार कर्ज माफी को लेकर चारों ओर अपनी तारीफ कर रही है, वहीं दूसरी ओर कर्ज माफ नहीं होने से किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

चुनाव घोषणा पत्र में किए थे वादा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के के सभी अल्पकालीन कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था. इसमें सहकारी बैंकों, सहकारी समितियों के साथ ही राष्ट्रीय कृतबैंक भी शामिल थे. हालांकि अब भी सरकार कृषि ऋण माफ करने की बात कह रही है पर जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है. बड़े राष्ट्रीय कृत बैंकों से लिए गए केसीसी और कृषि ऋण माफ होना तो अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है.

अधिकारी करते हैं कर्ज वापस करने की बात
जिला सहकारी बैंक और आदिम जाति सेवा सहकारी और सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की ओर से अल्पकालीन कृषि ऋण भी पूरी तरह माफ नहीं हो सके. किसानों का कहना है कि 'चुनाव के समय सरकार ने बिजली बिल और कर्ज माफ करने का वादा किया था, पर अब तक कर्ज माफ नहीं हो सका है और जिसकी वजह से उन्हें खाद बीज लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं. इसके हाथ ही बैंक अधिकारी भी समय-समय पर कर्ज वापस करने की बात कहते हैं.

घोषणा पत्र में किए थे ये वादे
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त जो घोषणा पत्र तैयार किया था, उसमें बिजली बिल हाफ, कृषि ऋण माफ सहित कई लोकलुभावन वादे किए गए थे. जनता ने भी कांग्रेस के घोषणापत्र पर विश्वास करते हुए उन्हें 65 सीटों के साथ बंपर बहुमत दिया, लेकिन सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अब तक सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए अल्पकालीन कृषि कर्ज को पूरी तरह से माफ नहीं कर सकी.

बैंक को देनी है बड़ी रकम
सरकार को अभी डिफाल्टर किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण की एक बड़ी राशि बैंकों को देनी है, जो अब तक नहीं मिल सकी जिसकी वजह से किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सका है.

इन किसानों की नहीं हुई कर्ज माफी
पेंड्रा रोड के साथ ही दूसरे इलाकों की बात करें तो पेंड्रा, गौरेला और मरवाही की 10 सहकारी समितियों के हजारों किसानों की कर्ज माफी होना बाकी है, जिनमें मरवाही की 4 सहकारी समितियों के 1770 किसानों के कुल 5,96,47000 रुपये, पेंड्रा सहकारी समिति के 207 किसानों के 50,79हजार रुपये जबकि गौरेला के 654 किसानों के 2,3700,000 रुपये शासन से मिलना बाकी है.

बैंकों को मिल चुके हैं 436 करोड़
वहीं यह आंकड़ा बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत आने वाले 4 जिले मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और कोरबा में 48000 किसानों के 246.91 करोड़ रुपए हैं जिसे शासन से मिलना अभी बाकी है जबकि बैंकों को 143960 किसानों के 436 करोड रुपए की कर्ज माफी की राशि बैंकों को मिल चुकी है.

इन ऐलान ने दिलाई थी सत्ता
धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए के साथ-साथ ऋण माफी, बिजली बिल हाफ करने सहित सभी के लिए पीडीएस का चावल यह ऐसी घोषणाएं थी जिनके बलबूते 15 वर्षों का वनवास झेल रही कांग्रेस को बंपर जीत मिली थी.

कर्जमाफी बनी गले की फांस
घोषणाओं को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कई बार कर्ज ले चुकी है. पर अब तक सहकारी समितियों के किसानों का ही कर्ज पूर्ण रूप से माफ नहीं हो सका है. ऐसे में यह घोषणा सरकार के गले की फांस बन चुकी है. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा करने के लिए क्या उपाय निकालती है.

बिलासपुर: सहकारी समितियां अब तक किसानों को ऋण मुक्ति का प्रमाण पत्र तक नहीं दे पाई हैं. पेंड्रा रोड अनु विभाग में आने वाले हजारों किसानों से सहकारी बैंकों को 10 करोड़ से अधिक की रकम वसूलना बाकी है, लेकिन अब तक शासन से रकम नहीं मिलने की वजह से किसानों का कर्ज माफ नहीं हो सका.

एक ओर जहां सरकार कर्ज माफी को लेकर चारों ओर अपनी तारीफ कर रही है, वहीं दूसरी ओर कर्ज माफ नहीं होने से किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.

चुनाव घोषणा पत्र में किए थे वादा
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस ने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के के सभी अल्पकालीन कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था. इसमें सहकारी बैंकों, सहकारी समितियों के साथ ही राष्ट्रीय कृतबैंक भी शामिल थे. हालांकि अब भी सरकार कृषि ऋण माफ करने की बात कह रही है पर जमीनी हकीकत इससे ठीक उलट है. बड़े राष्ट्रीय कृत बैंकों से लिए गए केसीसी और कृषि ऋण माफ होना तो अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है.

अधिकारी करते हैं कर्ज वापस करने की बात
जिला सहकारी बैंक और आदिम जाति सेवा सहकारी और सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की ओर से अल्पकालीन कृषि ऋण भी पूरी तरह माफ नहीं हो सके. किसानों का कहना है कि 'चुनाव के समय सरकार ने बिजली बिल और कर्ज माफ करने का वादा किया था, पर अब तक कर्ज माफ नहीं हो सका है और जिसकी वजह से उन्हें खाद बीज लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं. इसके हाथ ही बैंक अधिकारी भी समय-समय पर कर्ज वापस करने की बात कहते हैं.

घोषणा पत्र में किए थे ये वादे
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त जो घोषणा पत्र तैयार किया था, उसमें बिजली बिल हाफ, कृषि ऋण माफ सहित कई लोकलुभावन वादे किए गए थे. जनता ने भी कांग्रेस के घोषणापत्र पर विश्वास करते हुए उन्हें 65 सीटों के साथ बंपर बहुमत दिया, लेकिन सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अब तक सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए अल्पकालीन कृषि कर्ज को पूरी तरह से माफ नहीं कर सकी.

बैंक को देनी है बड़ी रकम
सरकार को अभी डिफाल्टर किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण की एक बड़ी राशि बैंकों को देनी है, जो अब तक नहीं मिल सकी जिसकी वजह से किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सका है.

इन किसानों की नहीं हुई कर्ज माफी
पेंड्रा रोड के साथ ही दूसरे इलाकों की बात करें तो पेंड्रा, गौरेला और मरवाही की 10 सहकारी समितियों के हजारों किसानों की कर्ज माफी होना बाकी है, जिनमें मरवाही की 4 सहकारी समितियों के 1770 किसानों के कुल 5,96,47000 रुपये, पेंड्रा सहकारी समिति के 207 किसानों के 50,79हजार रुपये जबकि गौरेला के 654 किसानों के 2,3700,000 रुपये शासन से मिलना बाकी है.

बैंकों को मिल चुके हैं 436 करोड़
वहीं यह आंकड़ा बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत आने वाले 4 जिले मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और कोरबा में 48000 किसानों के 246.91 करोड़ रुपए हैं जिसे शासन से मिलना अभी बाकी है जबकि बैंकों को 143960 किसानों के 436 करोड रुपए की कर्ज माफी की राशि बैंकों को मिल चुकी है.

इन ऐलान ने दिलाई थी सत्ता
धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपए के साथ-साथ ऋण माफी, बिजली बिल हाफ करने सहित सभी के लिए पीडीएस का चावल यह ऐसी घोषणाएं थी जिनके बलबूते 15 वर्षों का वनवास झेल रही कांग्रेस को बंपर जीत मिली थी.

कर्जमाफी बनी गले की फांस
घोषणाओं को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कई बार कर्ज ले चुकी है. पर अब तक सहकारी समितियों के किसानों का ही कर्ज पूर्ण रूप से माफ नहीं हो सका है. ऐसे में यह घोषणा सरकार के गले की फांस बन चुकी है. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा करने के लिए क्या उपाय निकालती है.

Intro:cg_bls_karjmafi_2806_CGC10013

बिलासपुर छत्तीसगढ़ सरकार की कर्ज माफी योजना कागजों पर दिखाई दे रही है 6 माह बीतने के बाद भी राष्ट्रीय कृत बैंक तो छोड़िए छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों में पंजीकृत किसानों के कर्ज माफी तक नहीं हो सका है सहकारी समितियां अब तक किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र नहीं दे पाई है सिर्फ पेंड्रा रोड अनु विभाग में आने वाले हजारों किसानों से सहकारी बैंकों को 10 करोड़ से अधिक रकम वसूली के लिए बाकी है पर अब तक शासन ने रकम प्राप्त नहीं होने के कारण किसानों का ऋण माफ नहीं हो सका फिर भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार कर्ज माफी की बात कहकर अभी भी अपना गाल बचा रही है और किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।।।


Body:cg_bls_karjmafi_2806_CGC10013

वी ओ 1 छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के द्वारा लिए गए समस्त अल्पकालीन कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था जिसमें सहकारी बैंकों और सहकारी समितियों के साथ राष्ट्रीय कृत बैंक भी शामिल थे हालांकि अब भी सरकार कृषि ऋण माफ करने की बात कह रही है पर जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है बड़े राष्ट्रीय कृत बैंकों से लिए गए केसीसी और कृषि ऋण माफ होना तो अभी दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है पर जिला सहकारी बैंक को और आदिम जाति सेवा सहकारी और सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों के द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण भी पूरी तरह माफ नहीं हो सके हैं नतीजतन किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं किसानों का कहना है कि चुनाव के समय सरकार बिजली बिल और कर्ज माफ करने का वादा किया था पर अब तक कर्ज माफ नहीं हो सका है जिसकी वजह से उन्हें खाद बीज लेने में भी दिक्कतें आ रही हैं बैंक अधिकारी भी समय-समय पर उन्हें कद पटाने के लिए कहते हैं

बाइट 1 मोहन राम किसान बारी उमराव
बाइट 2 राम खिलावन किसान भाड़ी

वी ओ 2 छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के वक्त लोकलुभावन घोषणा पत्र तैयार किया था जिसमें बिजली बिल हाफ कृषि ऋण माफ और कई लोकलुभावन वायदे किए गए थे जनता ने भी कांग्रेस के घोषणापत्र पर विश्वास करते हुए उन्हें बंपर सिटी दिखलाइए पर सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अब तक सहकारी बैंकों और समितियों से लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण ही पूर्णता माफ नहीं कर सकी है सरकार को अभी कालातीत और डिफाल्टर किसानों द्वारा लिए गए अल्पकालीन कृषि ऋण की एक बड़ी राशि बैंकों को देनी है जो अब तक नहीं मिल सकी जिसकी वजह से किसानों को ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा सका है अगर पेंड्रा रोड अन्य विभाग की बात करें तो पेंड्रा गौरेला और मरवाही की 10 सहकारी समितियों के हजारों किसानों की कर्ज माफी होना शेष है जिनमें मरवाही की 4 सहकारी समितियों के 1770 किसानों के कुल 5,96,47000 रुपये,पेंड्रा सहकारी समिति के 207 किसानों के 50,79हजार रुपये जबकि गौरेला के 654किसानों के 2,3700,000 रुपए शासन से पाना बाकी है वहीं यह आंकड़ा बिलासपुर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अंतर्गत आने वाले 4 जिले मुंगेली बिलासपुर जांजगीर-चांपा और कोरबा में 48000 किसानों के 246 91 करोड़ रुपए हैं जिसे शासन से पाना बाकी है जबकि बैंकों को 143960 किसानों के 436 करोड रुपए ऋण माफी के रूप में शासन से मिल चुके हैं

बाइट 3 शिव कुमार मिश्रा सुपरवाइजर जिला सहकारी बैंक मरवाही
बाइट 4 अमित साहू ब्रांच मैनेजर जिला सहकारी बैंक गौरेला
बाइट 5 एसएस पैकरा समिति प्रबंधक सेवा सहकारी समिति पेंड्रा



Conclusion:cg_bls_karjmafi_2806_CGC10013

वी ओ फाइनल 2500 रुपए धान का समर्थन मूल्य किसानों की ऋण माफी बिजली बिल हाफ सभी के लिए पीडीएस का चावल यह ऐसी घोषणाएं थी जिनके बलबूते 15 वर्षों का वनवास झेल रही कांग्रेस को बंपर जीत दिला दी अब घोषणाओं को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कई बार कर्ज ले चुकी है पर अब तक सहकारी समितियों के किसानों का ही कर्जा पूर्ण रूप से माफ नहीं हो सका है ऐसे में यह घोषणा सरकार के गले की फांस बन चुकी है देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार अपने घोषणाओं को पूरा करने के लिए क्या उपाय निकालती है
Last Updated : Jun 29, 2019, 12:39 PM IST
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