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treasure of madkudweep औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप, जानिए क्या है खासियत

मदकूद्वीप सुंदरता के साथ प्रकृति की छटा बिखेरे अपने आप में अनोखा द्वीप है. यहां दो धर्मों के संगम के साथ थी नदी की दो धाराओं का संगम देखने को मिलता है. प्राकृतिक औषधियों के जंगल के साथ ही यहां की खूबसूरती लोगों का मन मोह लेती है. मदकूद्वीप अपनेआप में ही एक अलग ही तरह का द्वीप है. इसकी खूबसूरती और पर्यटन को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. कई औषधियां इस द्वीप के जंगल में पाई जाती हैं

treasure of madkudweep
औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप
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Published : Feb 25, 2023, 7:58 PM IST

Updated : Feb 27, 2023, 11:16 AM IST

औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप

बिलासपुर : मुंगेली जिले का मदकूद्वीप एक पर्यटन स्थल है. जिसे शिवनाथ नदी ने अपने कटाव से बनाया है. सैकड़ों सालों तक यह द्वीप आम लोगों से अनछुआ था. इस द्वीप के मानव से अनछुआ होने की वजह से यहां प्राकृतिक संपदाओं का भरमार है. औषधियों से भरे जंगल और जंगल में कई ऐसे पेड़ हैं जिनका आयुर्वेद में काफी महत्व है. कई पेड़ ऐसे हैं जिनके पत्ते, छाल और तना से दवाइयां बनती है. ऐसे औषधियों से भरे जंगल मदकूद्वीप में आसानी से मिल रहे हैं. मदकूद्वीप पर्यटन की दृष्टि से भी काफी खूबसूरत है. पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.

कहां स्थित है मदकूद्वीप : रायपुर बिलासपुर नेशनल हाईवे पर मुंगेली जिला के बैतलपुर के करीब मदकू द्वीप है. मदकू द्वीप अपने आप में काफी प्रचलित स्थान है. पिछले कुछ सालों में मदकूद्वीप का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और औषधियों से भरे जंगल होने की वजह से यह लोगों के पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. शिवनाथ नदी की धारा के बीच सैकड़ों एकड़ का यह द्वीप कई साल पहले शिवनाथ नदी ने बनाया है. यहां की मिट्टी बाढ़ में बहकर आने वाली मिट्टी जैसी है. जिससे कहा जाता है कि शिवनाथ नदी ने इस टापू का निर्माण किया है. मदकूद्वीप पहले के मुकाबले अब थोड़ा छोटा हुआ है, लेकिन अब भी यहां काफी बड़ा क्षेत्रफल है.

औषधियों से भरा है जंगल : बिलासपुर से 45 किलोमीटर में बसे प्राकृतिक द्वीप मदकूद्वीप में कई औषधियों के जंगल और कई बीमारियोंं के इलाज में काम आने वाले पेड़ पाए जाते हैं. यहां एक विचित्र पेड़ है. जिसमें साल में मात्र 4 महीने ही पत्ते होते हैं और 8 माह ठूठ रहता है. इस पेड़ के कई औषधि गुण है. इसके अलावा यहां इन्द्रजा, सिरहुल, वरुण प्रजाति के पेड़ हैं. द्वीप में बसे आश्रम के मुख्य पंडित रामरूप दास ने बताया कि ''यह औषधियों का जंगल है. इसे बचाने की आवश्यकता है. पर्यटकों के साथ ही मेले की वजह से पेड़ कट रहे हैं.''

ये भी पढ़ें- चिल्हाटी में शनिदेव का चमत्कारिक मंदिर,करेगा आपकी मनोकामना पूरी

औषधियों का भंडार है मदकूद्वीप : मदकूद्वीप में मिलने वाले पेड़ों के औषधि गुण का काफी महत्वपूर्ण है. यहां के पेड़ों में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक पेड़ों में इंद्रजा, शिरहुट और वरुण जैसे पेड़ है, जिनके पत्ते, छाल, जड़ और तने से अलग-अलग बीमारियों की दवा बनाई जाती है. आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि ''जो पेड़ मदकूद्वीप में पाए जाते हैं, उन पेड़ों की दवाइयां बनती है. आयुर्वेद विज्ञान में इसे महत्व भी दिया गया है, क्योंकि इनकी दवाई कई ऐसी बीमारियों में काम आती है जो आजकल आम होने लगा है. जैसे वरुण एक ऐसा वृक्ष है जिसके चूर्ण का नियमित इस्तेमाल करने पर पथरी को गलाकर पानी बना देता है. इसका छाल का लेप से आंखों के सभी विकार दूर हो जाते हैं. गुर्दे में पथरी हो या फिर नेत्र रोग, किसी भी प्रकार का मूत्र रोग सभी रोगों के लिए वरुण रामबाण है. इलाज में काम आता है.''

औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप

बिलासपुर : मुंगेली जिले का मदकूद्वीप एक पर्यटन स्थल है. जिसे शिवनाथ नदी ने अपने कटाव से बनाया है. सैकड़ों सालों तक यह द्वीप आम लोगों से अनछुआ था. इस द्वीप के मानव से अनछुआ होने की वजह से यहां प्राकृतिक संपदाओं का भरमार है. औषधियों से भरे जंगल और जंगल में कई ऐसे पेड़ हैं जिनका आयुर्वेद में काफी महत्व है. कई पेड़ ऐसे हैं जिनके पत्ते, छाल और तना से दवाइयां बनती है. ऐसे औषधियों से भरे जंगल मदकूद्वीप में आसानी से मिल रहे हैं. मदकूद्वीप पर्यटन की दृष्टि से भी काफी खूबसूरत है. पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है.

कहां स्थित है मदकूद्वीप : रायपुर बिलासपुर नेशनल हाईवे पर मुंगेली जिला के बैतलपुर के करीब मदकू द्वीप है. मदकू द्वीप अपने आप में काफी प्रचलित स्थान है. पिछले कुछ सालों में मदकूद्वीप का महत्व धार्मिक, आध्यात्मिक और औषधियों से भरे जंगल होने की वजह से यह लोगों के पर्यटन का केंद्र बनता जा रहा है. शिवनाथ नदी की धारा के बीच सैकड़ों एकड़ का यह द्वीप कई साल पहले शिवनाथ नदी ने बनाया है. यहां की मिट्टी बाढ़ में बहकर आने वाली मिट्टी जैसी है. जिससे कहा जाता है कि शिवनाथ नदी ने इस टापू का निर्माण किया है. मदकूद्वीप पहले के मुकाबले अब थोड़ा छोटा हुआ है, लेकिन अब भी यहां काफी बड़ा क्षेत्रफल है.

औषधियों से भरा है जंगल : बिलासपुर से 45 किलोमीटर में बसे प्राकृतिक द्वीप मदकूद्वीप में कई औषधियों के जंगल और कई बीमारियोंं के इलाज में काम आने वाले पेड़ पाए जाते हैं. यहां एक विचित्र पेड़ है. जिसमें साल में मात्र 4 महीने ही पत्ते होते हैं और 8 माह ठूठ रहता है. इस पेड़ के कई औषधि गुण है. इसके अलावा यहां इन्द्रजा, सिरहुल, वरुण प्रजाति के पेड़ हैं. द्वीप में बसे आश्रम के मुख्य पंडित रामरूप दास ने बताया कि ''यह औषधियों का जंगल है. इसे बचाने की आवश्यकता है. पर्यटकों के साथ ही मेले की वजह से पेड़ कट रहे हैं.''

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औषधियों का भंडार है मदकूद्वीप : मदकूद्वीप में मिलने वाले पेड़ों के औषधि गुण का काफी महत्वपूर्ण है. यहां के पेड़ों में पाए जाने वाले आयुर्वेदिक पेड़ों में इंद्रजा, शिरहुट और वरुण जैसे पेड़ है, जिनके पत्ते, छाल, जड़ और तने से अलग-अलग बीमारियों की दवा बनाई जाती है. आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के अधीक्षक ने बताया कि ''जो पेड़ मदकूद्वीप में पाए जाते हैं, उन पेड़ों की दवाइयां बनती है. आयुर्वेद विज्ञान में इसे महत्व भी दिया गया है, क्योंकि इनकी दवाई कई ऐसी बीमारियों में काम आती है जो आजकल आम होने लगा है. जैसे वरुण एक ऐसा वृक्ष है जिसके चूर्ण का नियमित इस्तेमाल करने पर पथरी को गलाकर पानी बना देता है. इसका छाल का लेप से आंखों के सभी विकार दूर हो जाते हैं. गुर्दे में पथरी हो या फिर नेत्र रोग, किसी भी प्रकार का मूत्र रोग सभी रोगों के लिए वरुण रामबाण है. इलाज में काम आता है.''

Last Updated : Feb 27, 2023, 11:16 AM IST
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