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क्या है लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट, जिसके खिलाफ कोर्ट जाने वाले हैं अमित जोगी

JCCJ नेता अमित जोगी ने लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) को लेकर राज्य सरकार पर बड़ा हमला किया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर उन्होंने कई सवाल खड़े किए हैं और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जानिए क्या है लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट और आखिर अमित जोगी क्यों कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

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Published : Jul 12, 2021, 4:15 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 5:24 PM IST

CM Baghel- Amit Jogi
लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट पर सियासी बवाल

बिलासपुर: लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) पर जेसीसीजे नेता अमित जोगी ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला किया है. अमित जोगी ने लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) को लेकर कहा कि, तीन दिनों के भीतर, राज्य सरकार ने एक औद्योगिक घराने को बड़ा लाभ पहुंचाने के लिए जंगल को एक चौथाई बढ़ा दिया है. इसमें तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह आदेश 8 विधायकों के कहने पर लिया गया है. जबकि 8 में से 5 विधायकों का इससे कोई लेना देना नहीं है.

JCCJ नेता अमित जोगी

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MDO को कोर्ट में देगें चुनौती

ऐसे में एक झूठ के आधार पर सरकार ने 30 जून को अडानी कंपनी को 6 कोयला खदानों को MDO (माइन डिवेलपमेंट ऑपरेटर) का लाइसेंस जारी कर दिया. जबकि इसके बदले में मालिक नहीं, बल्कि MDO होने के नाते सरकार, एक पैसा भी रॉयल्टी नहीं दे रहे हैं और कोयला समेत खनिज संपदा का खनन कर रहे हैं. अमित जोगी ने कहा कि, इस MDO प्रथा को हम न्यायलय में चुनौती देंगे. इस पर खुद राहुल गांधी ने कुदमुरा और मदनपुर की जन चौपाल में लेमरू में कोयला खदान नहीं खोलने का भरोसा दिलाया था.

कोरबा के 450 वर्ग किमी में फैले जंगल वाले लेमरू वन परिक्षेत्र में एलिफेंट रिजर्व को लेकर अब रास्ता पहले से ही साफ हो चुका है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरबा में लेमरू एलिफैंट रिजर्व बनाने का ऐलान कर चुके हैं. इसके मुताबिक अब लेमरू वन परिक्षेत्र में एलिफेंट रिजर्व बनाए जाने पर सरकार ने अपनी सहमित दे दी है. एलिफेंट रिजर्व को हाथियों के लिए विकसित किया जाना है.

केंद्र सरकार ने दिखाई थी हरी झंडी

  • वन्यजीव एक्सपर्ट की मानें तो प्रदेश में हाथी-मानव के बीच द्वंद्व रोकने के लिए पूर्व भाजपा सरकार की ओर से पहले बादलखोल, तमोरपिंगला, सेमरसोत और लेमरू अभयारण्य को चिन्हित किया गया था.
  • इसमें बादलखोल और तमोरपिंगला, सेमरसोत एलिफेंट रिजर्व को नोटिफाइड किया गया था, लेकिन लेमरू एलिफेंट रिजर्व को केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी देने के बाद भी राज्य सरकार ने लेमरू को नोटिफाइड नहीं किया.

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साल 2005 में प्रस्ताव पारित

  • लेमरू वन परिक्षेत्र को लंबे समय से एलिफेंट रिजर्व बनाने को लेकर कई बार तैयारी हो चुकी थी. साल 2005 में केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव पारित किया.
  • इसके बाद 2007 में केन्द्र सरकार ने लेमरू को एलिफेंट रिजर्व बनाने का प्लान दिया था, हालांकि इसी बीच नकिया में कोल माइंस को लेकर फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, तब से लेकर अब तक इसकी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी थी. प्रदेश में हाथियों के बढ़ते आतंक को देखते हुए वर्तमान सरकार ने इसे प्राथमिकता से उठाया है.
  • लेमरू को लेकर ऐलान के बाद खास बात ये है कि इसके कोर एरिया में केवल तीन गांव हैं और पूरा इलाका घनघोर जंगलों से घिरा है, इसे शिफ्ट करने में जद्दोजहद होगी.

बिलासपुर: लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) पर जेसीसीजे नेता अमित जोगी ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला किया है. अमित जोगी ने लेमरू एलिफेंट प्रोजेक्ट (Lemru Elephant Project) को लेकर कहा कि, तीन दिनों के भीतर, राज्य सरकार ने एक औद्योगिक घराने को बड़ा लाभ पहुंचाने के लिए जंगल को एक चौथाई बढ़ा दिया है. इसमें तर्क प्रस्तुत किया गया कि यह आदेश 8 विधायकों के कहने पर लिया गया है. जबकि 8 में से 5 विधायकों का इससे कोई लेना देना नहीं है.

JCCJ नेता अमित जोगी

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MDO को कोर्ट में देगें चुनौती

ऐसे में एक झूठ के आधार पर सरकार ने 30 जून को अडानी कंपनी को 6 कोयला खदानों को MDO (माइन डिवेलपमेंट ऑपरेटर) का लाइसेंस जारी कर दिया. जबकि इसके बदले में मालिक नहीं, बल्कि MDO होने के नाते सरकार, एक पैसा भी रॉयल्टी नहीं दे रहे हैं और कोयला समेत खनिज संपदा का खनन कर रहे हैं. अमित जोगी ने कहा कि, इस MDO प्रथा को हम न्यायलय में चुनौती देंगे. इस पर खुद राहुल गांधी ने कुदमुरा और मदनपुर की जन चौपाल में लेमरू में कोयला खदान नहीं खोलने का भरोसा दिलाया था.

कोरबा के 450 वर्ग किमी में फैले जंगल वाले लेमरू वन परिक्षेत्र में एलिफेंट रिजर्व को लेकर अब रास्ता पहले से ही साफ हो चुका है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोरबा में लेमरू एलिफैंट रिजर्व बनाने का ऐलान कर चुके हैं. इसके मुताबिक अब लेमरू वन परिक्षेत्र में एलिफेंट रिजर्व बनाए जाने पर सरकार ने अपनी सहमित दे दी है. एलिफेंट रिजर्व को हाथियों के लिए विकसित किया जाना है.

केंद्र सरकार ने दिखाई थी हरी झंडी

  • वन्यजीव एक्सपर्ट की मानें तो प्रदेश में हाथी-मानव के बीच द्वंद्व रोकने के लिए पूर्व भाजपा सरकार की ओर से पहले बादलखोल, तमोरपिंगला, सेमरसोत और लेमरू अभयारण्य को चिन्हित किया गया था.
  • इसमें बादलखोल और तमोरपिंगला, सेमरसोत एलिफेंट रिजर्व को नोटिफाइड किया गया था, लेकिन लेमरू एलिफेंट रिजर्व को केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी देने के बाद भी राज्य सरकार ने लेमरू को नोटिफाइड नहीं किया.

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साल 2005 में प्रस्ताव पारित

  • लेमरू वन परिक्षेत्र को लंबे समय से एलिफेंट रिजर्व बनाने को लेकर कई बार तैयारी हो चुकी थी. साल 2005 में केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव पारित किया.
  • इसके बाद 2007 में केन्द्र सरकार ने लेमरू को एलिफेंट रिजर्व बनाने का प्लान दिया था, हालांकि इसी बीच नकिया में कोल माइंस को लेकर फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, तब से लेकर अब तक इसकी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी थी. प्रदेश में हाथियों के बढ़ते आतंक को देखते हुए वर्तमान सरकार ने इसे प्राथमिकता से उठाया है.
  • लेमरू को लेकर ऐलान के बाद खास बात ये है कि इसके कोर एरिया में केवल तीन गांव हैं और पूरा इलाका घनघोर जंगलों से घिरा है, इसे शिफ्ट करने में जद्दोजहद होगी.
Last Updated : Jul 12, 2021, 5:24 PM IST
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