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बिलासपुर: आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के आदेश पर बवाल, IMA ने खोला मोर्चा

बिलासपुर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के आदेश के बाद डॉक्टर लामबंद होते नजर आ रहे हैं. सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है. सर्जनों की सीटों की संख्या में इजाफा करने की नसीहत दी है.

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आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के आदेश पर बवाल
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Published : Dec 8, 2020, 11:48 PM IST

बिलासपुर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का विरोध किया है. इसी के तहत बिलासपुर में सांकेतिक प्रदर्शन किया. 11 दिसंबर को अस्पतालों की ओपीडी बंद करने का एलान किया है.

आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के आदेश पर बवाल

डॉक्टर हो रहे लामबंद
आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने से मरीजों के इलाज में गंभीर परिणाम आएंगे. इस फैसले के खामियाजा मरीज और समाज को भुगतना पड़ेगा. डॉक्टरों ने कहा कि जहां उन्हें सर्जन बनने के लिए 10 सालों से ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं सरकार के इस फैसले के बाद 2 साल की पढ़ाई के बाद आर्युवेद करने वाले डॉक्टर बन जायेंगे.यह सरासर गलत है.

पढ़ें: 438 मितानिनों का स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने किया सम्मान, मितानिन भवन के निर्माण की हुई घोषणा

आईएमए के पदाधिकारियों का सरकार को नसीहत

आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार को यदि सर्जनों की संख्या बढ़ानी है, तो सीटों की संख्या में इजाफा करे. डॉक्टरों ने सरकार को सीटों की संख्या में इजाफा करने की नसीहत दी है.

पढ़ें: फिल्मी स्टाइल में शादी के मंडप से पुलिस ने दूल्हे को किया गिरफ्तार

परिणाम आएंगे गंभीर
आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देना मरीजों की जान से खिलवाड़ करना है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद को बढ़ावा मिलना चाहिए. देश की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति का विकास जरूरी है, लेकिन इसकी सीमाएं भी जरूरी हैं. शल्य चिकित्सा के लिए विशेषज्ञता जरूरी है. एलोपैथिक चिकित्सक लंबी पढ़ाई के बाद इस विशेषज्ञता को हासिल करते हैं. जबकि आर्युवेद पद्धति से सर्जरी के परिणाम के नतीजे गंभीर होंगे.

बिलासपुर: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने का विरोध किया है. इसी के तहत बिलासपुर में सांकेतिक प्रदर्शन किया. 11 दिसंबर को अस्पतालों की ओपीडी बंद करने का एलान किया है.

आर्युवेद डॉक्टरों को सर्जरी करने के आदेश पर बवाल

डॉक्टर हो रहे लामबंद
आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति देने से मरीजों के इलाज में गंभीर परिणाम आएंगे. इस फैसले के खामियाजा मरीज और समाज को भुगतना पड़ेगा. डॉक्टरों ने कहा कि जहां उन्हें सर्जन बनने के लिए 10 सालों से ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं सरकार के इस फैसले के बाद 2 साल की पढ़ाई के बाद आर्युवेद करने वाले डॉक्टर बन जायेंगे.यह सरासर गलत है.

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आईएमए के पदाधिकारियों का सरकार को नसीहत

आईएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार को यदि सर्जनों की संख्या बढ़ानी है, तो सीटों की संख्या में इजाफा करे. डॉक्टरों ने सरकार को सीटों की संख्या में इजाफा करने की नसीहत दी है.

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परिणाम आएंगे गंभीर
आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति देना मरीजों की जान से खिलवाड़ करना है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद को बढ़ावा मिलना चाहिए. देश की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति का विकास जरूरी है, लेकिन इसकी सीमाएं भी जरूरी हैं. शल्य चिकित्सा के लिए विशेषज्ञता जरूरी है. एलोपैथिक चिकित्सक लंबी पढ़ाई के बाद इस विशेषज्ञता को हासिल करते हैं. जबकि आर्युवेद पद्धति से सर्जरी के परिणाम के नतीजे गंभीर होंगे.

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