बिलासपुर: छत्तीसगढ़ का नया जिला 'गौरेला-पेंड्रा-मरवाही' अस्तित्व में आ गया है. इसके साथ ही प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़कर 27 से 28 हो गई है. नए जिले की कई सारी खास बातें हैं, जो जानना जरूरी है.
- गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 1978 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. यह जिला मैकल पहाड़ी श्रृंखला और मैदानी छत्तीसगढ़ का मिलन स्थल है.
- अरपा और सोन नदी का उद्गम स्थल यहीं है.
- 12वीं सदी की राजपूत स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट नमूना जलेश्वर महादेव मंदिर यहां की शान है.
- छत्तीसगढ़ के महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार माधवराव सप्रे ने पेंड्रा से ही प्रसिद्ध पत्रिका 'छत्तीसगढ़ मित्र' का प्रकाशन साल 1900 में आरंभ किया था.
- महान साहित्यकार गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर पहली बार साल 1902 में पेंड्रा में आए थे. वो अपनी पत्नी के टीबी के इलाज के लिए यहां आए थे.
- भालुओं के संरक्षण के लिए बना जामवंत पार्क यहां का प्रमुख हिस्सा है. जिले का मरवाही वनमंडल दुर्लभ सफेद भालू का प्रमुख पर्यावास है.
धान के लिए भी जाना जाता है ये जिला
पेंड्रा, छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ों में से एक है, जो कि पुरातात्विक और अध्यात्मिक धरोहरों को समेटे एक प्राचीन नगरी है. यह नवनिर्मित जिला बैगा-आदिवासी के संरक्षण में पनपते साल-सागौन-महुआ-पलास से अच्छादित वनों से समृद्ध, मेहनतकश किसानों के उपजाए धान के सुनहरे रंगों से सजा है यह अद्भुत इलाका है.