बिलासपुर: घुटकू में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की नाक के नीचे से रेत का अवैध उत्खनन जारी है. अधिकारियों के संरक्षण में खननकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं. रेत माफिया बेखौफ होकर बकायदा जेसीबी मशीन से रेत का उत्खनन कर रहे हैं. रेत उत्खनन पर प्रतिबंध के बावजूद घुटकू रेत घाट में रेत का अवैध खनन बदस्तूर जारी है. जिससे शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
दरअसल, प्रदेश में 15 अक्टूबर तक रेत घाट पूरी तरह से बंद है, लेकिन घुटकू रेत घाट पर प्रशासन और खनिज विभाग कुछ ज्यादा ही मेहरबान है. इसके कारण यहां आज भी रेत का उत्खनन और परिवहन जारी है. ग्रामीण इलाकों में रेत खनन किए जाने के कारण अरपा नदी का कटाव दिनो दिन बढ़ रहा है. इससे नदी किनारे बसे गांवों को खतरा है. साथ ही रेत खदानों में लगातार उत्खनन करने से खदानों की स्थिति दयनीय हो गई है.
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रेत उत्खनन से पर्यावरण को नुकसान
बेतहाशा रेत उत्खनन से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव भी नदियों के आसपास देखे जा सकते हैं. घुटकू रेत घाट को बंद कराने में प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारी बेबस नजर आ रहे हैं. खनिज विभाग के अधिकारियों की मनमानी और सरकारी मशीनरी की मिलीभगत से खनिज संपदा का दोहन लगातार किया जा रहा है.
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रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मामले में छत्तीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय ने राजस्व की चोरी, रेत माफिया और संरक्षण देने वालों पर कार्रवाई करने की सीएम से मांग की है. बहरहाल जिनके कंधों पर खनिज संपदाओं को बचाने की जिम्मेदारी है, वो चुप बैठे हैं.