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बिलासपुर: बैगा आदिवासियों के साथ छलावा, आवास के स्वीकृत होने के बाद भी नहीं मिला मकान - bilaspur baiga tribal

बिलासपुर के राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने साल्हेघोरी गांव में रह रहे बैगा आदिवासी के पास सिर ढंकने के लिए छत तक नहीं है. तीन साल पहले 2017-18 में गांव के बैगा आदिवासियों को प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुई थी, लेकिन आजतक न तो उन्हें मकान मिला न मकान बनाने के लिए राशि.

house not build after three year of alloting to baiga tribal of bilaspur
बैगा आदिवासियों के साथ छलावा
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Published : Sep 15, 2020, 4:00 PM IST

बिलासपुर: साल्हेघोरी गांव में रह रहे बैगा आदिवासी के पास रहने को घर तक नहीं है. बैगा आदिवासियों के साथ प्रधानमंत्री आवास के नाम पर बड़ा छलावा किया गया है. बताया जा रहा है, बैगा आदिवासियों के नाम पर तीन साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए स्वीकृति मिली थी, लेकिन आज तक इन लोगों को न तो घर बनाकर मिला है, न ही घर बनाने के लिए कोई राशि इन्हें दी गई है.

बैगा आदिवासियों के साथ छलावा

गौरेला ब्लॉक के साल्हेघोरी गांव के बैगा परिवारों के लिए 3 साल पहले यानी 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए थे. जिसके बाद गांव के सरपंच-सचिव और ठेकेदार ने अच्छे मकान बनाकर देने का बात कही थी, लेकिन आज तीन साल बीत जाने के बाद भी मकान निर्माण अधर में लटका है. कुछ मकान बनाए भी घए हैं, लेकिन वो स्तरहीन गुणवत्ताहीन है. जो रहने लायक नहीं है.

house not build after three year of alloting to baiga tribal of bilaspur
झोपड़ी में रहने को मजबूर आदिवासी

पढ़ें- बालोद: कोरोना काल में मिली संजीवनी, लाइफ सपोर्ट इमरजेंसी वाहन को हरी झंडी


कच्चे मकान में रहने को मजबूर

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के सरपंच ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए खाते में आवास की राशि आरटीजीएस करवा ली जो उनके नाम पर स्वीकृत हुई थी. ठेकेदार ने राशि आहरण भी कर लिया है. पूरे मामले की जानकारी जनपद पंचायत गौरेला के सीईओ ओपी शर्मा से शिकायत की गई है.

बिलासपुर: साल्हेघोरी गांव में रह रहे बैगा आदिवासी के पास रहने को घर तक नहीं है. बैगा आदिवासियों के साथ प्रधानमंत्री आवास के नाम पर बड़ा छलावा किया गया है. बताया जा रहा है, बैगा आदिवासियों के नाम पर तीन साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास के लिए स्वीकृति मिली थी, लेकिन आज तक इन लोगों को न तो घर बनाकर मिला है, न ही घर बनाने के लिए कोई राशि इन्हें दी गई है.

बैगा आदिवासियों के साथ छलावा

गौरेला ब्लॉक के साल्हेघोरी गांव के बैगा परिवारों के लिए 3 साल पहले यानी 2017-18 में प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए थे. जिसके बाद गांव के सरपंच-सचिव और ठेकेदार ने अच्छे मकान बनाकर देने का बात कही थी, लेकिन आज तीन साल बीत जाने के बाद भी मकान निर्माण अधर में लटका है. कुछ मकान बनाए भी घए हैं, लेकिन वो स्तरहीन गुणवत्ताहीन है. जो रहने लायक नहीं है.

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झोपड़ी में रहने को मजबूर आदिवासी

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कच्चे मकान में रहने को मजबूर

ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के सरपंच ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए खाते में आवास की राशि आरटीजीएस करवा ली जो उनके नाम पर स्वीकृत हुई थी. ठेकेदार ने राशि आहरण भी कर लिया है. पूरे मामले की जानकारी जनपद पंचायत गौरेला के सीईओ ओपी शर्मा से शिकायत की गई है.

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