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बिलासपुर: हाईकोर्ट में आरक्षण मामले में सुनवाई कल - राज्य में 82 फीसदी आरक्षण

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आरक्षण को लेकर सोमवार को सुनवाई की है. उच्च न्यायालय में ओबीसी के आरक्षण को दिए चुनौती पर रोक लगा दी गई है. अगली सुनवाई मंगलवार को की जाएगी.

bilaspur High Court
बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Feb 17, 2020, 8:02 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सोमवार को आरक्षण मामले में सुनवाई हुई. मौजूदा सरकार के बढ़ाए गए आरक्षण के साथ 2012 में रमन सरकार के बढ़ाए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट अब एक साथ सुनवाई कर रहा है.

न्यायालय ने मौजूदा सरकार द्वारा ओबीसी के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर पहले से ही रोक लगा रखी है. मामले की अगली सुनवाई कल यानी मंगलवार को होगी. भूपेश सरकार ने बीते दिनों राज्य में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे का आरक्षण बढ़ा दिया था. इससे राज्य में 82 फीसदी आरक्षण हो गया था. इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इसके बाद अन्य पिछड़े वर्गों के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.

इसके साथ ही 2012 में रमन सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 20 फीसदी से बढ़ाकर 32 फीसदी कर दिया गया था. वहीं अनुसूचित जाति का कोटा 16 से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया था, लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग के 14 फीसदी आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी. इसके बाद 2012 में राज्य में कुल आरक्षण 58 फीसदी हो गया था, इसे भी कोर्ट में चुनौती दी गई थी. दोनों मामलों में अब एक साथ सुनवाई हो रही है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सोमवार को आरक्षण मामले में सुनवाई हुई. मौजूदा सरकार के बढ़ाए गए आरक्षण के साथ 2012 में रमन सरकार के बढ़ाए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट अब एक साथ सुनवाई कर रहा है.

न्यायालय ने मौजूदा सरकार द्वारा ओबीसी के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर पहले से ही रोक लगा रखी है. मामले की अगली सुनवाई कल यानी मंगलवार को होगी. भूपेश सरकार ने बीते दिनों राज्य में एससी/एसटी और ओबीसी कोटे का आरक्षण बढ़ा दिया था. इससे राज्य में 82 फीसदी आरक्षण हो गया था. इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है. इसके बाद अन्य पिछड़े वर्गों के लिए बढ़ाए गए आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी है.

इसके साथ ही 2012 में रमन सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 20 फीसदी से बढ़ाकर 32 फीसदी कर दिया गया था. वहीं अनुसूचित जाति का कोटा 16 से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया था, लेकिन अन्य पिछड़े वर्ग के 14 फीसदी आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी. इसके बाद 2012 में राज्य में कुल आरक्षण 58 फीसदी हो गया था, इसे भी कोर्ट में चुनौती दी गई थी. दोनों मामलों में अब एक साथ सुनवाई हो रही है.

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