बिलासपुर: समाज कल्याण विभाग में NGO के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में राज्य शासन ने एक रिव्यू पिटीशन दायर की थी, जिसकी शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
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समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद 30 जनवरी को हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था. साथ ही मामले में 7 दिनों के भीतर CBI को FIR दर्ज करने का भी आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया था.
पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखें
हाईकोर्ट के फैसले के बाद दो IAS अफसरों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कि थी, जिन्हें कोर्ट ने बीते दिनों खारिज कर दिया था. मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसमें शासन की ओर से महाधिवक्ता ने मामले की जांच राज्य पुलिस को सौंपने का आग्रह कोर्ट से किया है. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि 'मामले की जांच के दौरान राज्य पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखे'.
राज्य कि पुलिस व जांच एजेंसियां सक्षम है
महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि 'मामले की जांच करने में राज्य कि पुलिस और जांच एजेंसियां सक्षम हैं, इसलिए CBI से पहले राज्य शासन को जांच का अधिकार दिया जाए. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने पूरे मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल और पीपी साहू की बेंच ने की है.