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समाज कल्याण विभाग घोटाले मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित - High court verdict secured

समाज कल्याण विभाग में हुए घोटाले के मामले पर राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला रखा सुरक्षित रखा है.

बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Feb 7, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 10:05 PM IST

बिलासपुर: समाज कल्याण विभाग में NGO के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में राज्य शासन ने एक रिव्यू पिटीशन दायर की थी, जिसकी शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

समाज कल्याण विभाग घोटाले मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित

पढ़ें: यहां के पत्थरों में भी बसा है बुजुर्गों का आशीर्वाद

समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद 30 जनवरी को हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था. साथ ही मामले में 7 दिनों के भीतर CBI को FIR दर्ज करने का भी आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया था.

पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखें

हाईकोर्ट के फैसले के बाद दो IAS अफसरों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कि थी, जिन्हें कोर्ट ने बीते दिनों खारिज कर दिया था. मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसमें शासन की ओर से महाधिवक्ता ने मामले की जांच राज्य पुलिस को सौंपने का आग्रह कोर्ट से किया है. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि 'मामले की जांच के दौरान राज्य पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखे'.

राज्य कि पुलिस व जांच एजेंसियां सक्षम है

महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि 'मामले की जांच करने में राज्य कि पुलिस और जांच एजेंसियां सक्षम हैं, इसलिए CBI से पहले राज्य शासन को जांच का अधिकार दिया जाए. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने पूरे मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल और पीपी साहू की बेंच ने की है.

बिलासपुर: समाज कल्याण विभाग में NGO के नाम पर हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले में राज्य शासन ने एक रिव्यू पिटीशन दायर की थी, जिसकी शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

समाज कल्याण विभाग घोटाले मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित

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समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिस पर लंबी सुनवाई के बाद 30 जनवरी को हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया था. साथ ही मामले में 7 दिनों के भीतर CBI को FIR दर्ज करने का भी आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया था.

पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखें

हाईकोर्ट के फैसले के बाद दो IAS अफसरों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कि थी, जिन्हें कोर्ट ने बीते दिनों खारिज कर दिया था. मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है, जिसमें शासन की ओर से महाधिवक्ता ने मामले की जांच राज्य पुलिस को सौंपने का आग्रह कोर्ट से किया है. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि 'मामले की जांच के दौरान राज्य पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखे'.

राज्य कि पुलिस व जांच एजेंसियां सक्षम है

महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि 'मामले की जांच करने में राज्य कि पुलिस और जांच एजेंसियां सक्षम हैं, इसलिए CBI से पहले राज्य शासन को जांच का अधिकार दिया जाए. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने पूरे मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल और पीपी साहू की बेंच ने की है.

Intro:समाज कल्याण विभाग में एनजीओ का नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले मामले पर राज्य शासन की ओर से दायर रिव्यू पिटीशन पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद मामले पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। Body:बता दे कि समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।जिस पर लंबी सुनवाई के बाद 30 जनवरी को हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। साथ ही मामले में 7 दिनों के भीतर सीबीआई को एफ आई आर दर्ज करने का भी आदेश हाई कोर्ट ने जारी किया था। इस घोटाले में कई आईएएस अफसर समेत केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद दो आईएएस अफसरों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल कि थी जिन्हें कोर्ट ने बीते दिनों खारिज कर दिया था ।मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दिखिल की गई है।जिसमें शासन कि ओर से महाधिवक्ता ने मामले की जांच राज्य पुलिस को सौंपने का आग्रह कोर्ट से किया है।उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले की जांच के दौरान राज्य पुलिस पर कोर्ट निगरानी रखें। सुनवाई के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच करने में राज्य कि पुलिस व जांच एजेंसियां सक्षम है ।इसलिए सीबीआई से पहले राज्य शासन को जाच का अधिकार दिया जाए।मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने पूरे मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।Conclusion:पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस प्रशांत अग्रवाल व पीपी साहू कि बेंच द्वारा कि गई।
Byte 1- devarshi thakur, without chashma
Byte 2-उप महाधिवक्ता मतीन सिद्दीकी clean shave with chashma
Last Updated : Feb 7, 2020, 10:05 PM IST
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