बिलासपुर: अरपा सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट के लिए की जा रही बेदखली के खिलाफ दायर हुई 54 याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है. कोर्ट ने शासन को बेदखल किए हुए लोगों को नया घर देने का आदेश जारी किया है, साथ ही जहां पर लोगों को शिफ्ट किया गया है उसी जगह पर 30 साल के लिए पट्टा देने का भी आदेश कोर्ट ने दिया है. फैसला देने के बाद सिंगल बेंच ने सभी 54 याचिकाओं को निराकृत कर दिया है.
30 साल पहले सरकार से खरीदी थी जमीन
अरपा नदी के सौंदर्यीकरण के लिए दोनों किनारों से रोड का निर्माण किया जाना है, जिसके तहत तिलक नगर की ओर पट्टे की जमीन पर मकान बना कर रह रहे लोगों के घरों को पिछले दिनों प्रशासन और पुलिस के सहयोग से तोड़ दिया गया था. प्रशासन की इस कार्रवाई का लोगों ने जमकर विरोध किया था. शासन की इस कार्रवाई के खिलाफ सुनील जाधव समेत 54 लोगों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने यह जमीन 30 साल के लिए शासन से पट्टे पर खरीदी थी. जिसके दस्तावेज भी उनके पास मौजूद हैं.
पढ़े: 'कोरोना संकट में हमें बेघर कर दिया, कम से कम दाना-पानी का इंतजाम कर देते'
रहने लायक नहीं है अटल आवास
इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना मोहल्ला समिति का निर्माण किए ही उनके मकान तोड़ दिए गए हैं. नियमानुसार अतिक्रमण हटाने से पहले मोहल्ला समिति का गठन करना अनिवार्य होता है, साथ ही समिति से हामी लेने के बाद ही अतिक्रमण को हटाया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें उनके तोड़े गए मकान के एवज में जो अटल आवास आवंटित किए गए हैं वो रहने लायक नहीं हैं.
पढ़े- बिलासपुर: अरपा किनारे अतिक्रमण हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
केस की सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे कोर्ट ने बुधवार को सुनाया. केस की सुनवाई जस्टिस पीसेम. कोशी की सिंगल बेंच की ओर से की गई है.