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रेप के बाद ली थी मासूम की जान, HC ने बरकरार रखी फांसी की सजा

दुर्ग में मासूम बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी की फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है. दुर्ग की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई थी.

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Published : Feb 5, 2020, 8:54 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 9:15 PM IST

बिलासपुर: जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम चोरडिया की बेंच ने साढ़े पांच साल की मासूम से बलात्कार के बाद हत्या करने के दोषी की मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा है. दुर्ग के विशेष न्यायाधीश ने दोषी को अगस्त 2018 को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. शासन ने सजा की पुष्टि के लिए प्रकरण पेश किया था. हाईकोर्ट ने मामले को "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" माना है.

मासूम के हत्यारे की फांसी की सजा बरकरार

बता दें कि 25 फरवरी 2015 को खुर्सीपार के चंद्रमा चौक के पास रहने वाली साढ़े पांच साल की मासूम बच्ची घर के पीछे खेल रही थी. सुबह 11 बजे अचानक गायब हो गई. परिजन ने उसकी आसपास तलाश की, लेकिन जब वह नहीं मिली, तो उन्होंने थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई. इस पर पुलिस ने मोहल्ले के संदिग्ध नाबालिग को हिरासत में लिया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि 'उसके बड़े भाई राम सोना ने लड़की की हत्या कर लाश को घर में रखा था और बाद में मां और दोस्त के साथ मिलकर शव को ठिकाने लगा दिया है. इसके बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था'.

पढ़ें: निर्भया केस : हाईकोर्ट का अलग-अलग फांसी देने से इनकार, केंद्र ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

दिल दहला देने वाला सच

गिरफ्तारी के बाद दिल दहला देने वाली बात सामने आई. दरअसल दोषी राम सोना ने बच्ची को चॉकलेट देने का लालच देकर घर बुलाया और वहां दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. बाद में आरोपी ने मां कुंति सोना और मित्र अमृत सिंह के साथ मिलकर शव को सफेद रंग के प्लास्टिक के बोरे में भरकर रेल लाइन के किनारे नाले में फेंक दिया था. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर नाले से बच्ची का शव बरामद कर लिया.

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी फांसी

दुर्ग के फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने 24 अगस्त 2018 को रेप के बाद मासूम की हत्या के जुर्म में राम सोना को फांसी की सजा सुनाई थी. शासन की ओर से निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि के लिए प्रकरण को हाईकोर्ट में पेश किया गया. दूसरी ओर दोषी ने भी सजा के खिलाफ अपील पेश की है. हाईकोर्ट ने दोषी राम सोना की अपील को खारिज कर निचली अदालत की ओर से दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

सहयोगियों की भी अपील खारिज

निचली अदालत ने मामले में राम सोना को सहयोग करने के दोषी अमृत सिंह को क्रमश: 5 साल और 6 माह कैद साथ ही कुंती सोना को 5 साल कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने इनकी भी अपील खारिज कर दी है.

बिलासपुर: जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम चोरडिया की बेंच ने साढ़े पांच साल की मासूम से बलात्कार के बाद हत्या करने के दोषी की मृत्युदंड की सजा को बरकरार रखा है. दुर्ग के विशेष न्यायाधीश ने दोषी को अगस्त 2018 को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. शासन ने सजा की पुष्टि के लिए प्रकरण पेश किया था. हाईकोर्ट ने मामले को "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" माना है.

मासूम के हत्यारे की फांसी की सजा बरकरार

बता दें कि 25 फरवरी 2015 को खुर्सीपार के चंद्रमा चौक के पास रहने वाली साढ़े पांच साल की मासूम बच्ची घर के पीछे खेल रही थी. सुबह 11 बजे अचानक गायब हो गई. परिजन ने उसकी आसपास तलाश की, लेकिन जब वह नहीं मिली, तो उन्होंने थाने में गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई. इस पर पुलिस ने मोहल्ले के संदिग्ध नाबालिग को हिरासत में लिया. पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि 'उसके बड़े भाई राम सोना ने लड़की की हत्या कर लाश को घर में रखा था और बाद में मां और दोस्त के साथ मिलकर शव को ठिकाने लगा दिया है. इसके बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था'.

पढ़ें: निर्भया केस : हाईकोर्ट का अलग-अलग फांसी देने से इनकार, केंद्र ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

दिल दहला देने वाला सच

गिरफ्तारी के बाद दिल दहला देने वाली बात सामने आई. दरअसल दोषी राम सोना ने बच्ची को चॉकलेट देने का लालच देकर घर बुलाया और वहां दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी. बाद में आरोपी ने मां कुंति सोना और मित्र अमृत सिंह के साथ मिलकर शव को सफेद रंग के प्लास्टिक के बोरे में भरकर रेल लाइन के किनारे नाले में फेंक दिया था. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर नाले से बच्ची का शव बरामद कर लिया.

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी फांसी

दुर्ग के फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने 24 अगस्त 2018 को रेप के बाद मासूम की हत्या के जुर्म में राम सोना को फांसी की सजा सुनाई थी. शासन की ओर से निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि के लिए प्रकरण को हाईकोर्ट में पेश किया गया. दूसरी ओर दोषी ने भी सजा के खिलाफ अपील पेश की है. हाईकोर्ट ने दोषी राम सोना की अपील को खारिज कर निचली अदालत की ओर से दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है.

सहयोगियों की भी अपील खारिज

निचली अदालत ने मामले में राम सोना को सहयोग करने के दोषी अमृत सिंह को क्रमश: 5 साल और 6 माह कैद साथ ही कुंती सोना को 5 साल कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने इनकी भी अपील खारिज कर दी है.

Intro: जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा एवं जस्टिस गौतम चोरडिया की बेंच ने असहाय साढ़े पांच वर्ष के मासूम का बलात्कार कर हत्या करने के आरोपी की मृत्युदंड की सजा की पुष्टि की है। विशेष न्यायाधीश दुर्ग ने आरोपी को अगस्त 2018 में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। शासन ने सजा की पुष्टि के लिये प्रकरण पेश किया था। हाई कोर्ट ने मामले को "रियरेस्ट ऑफ रेयर" माना है। Body:बता दें की 25 फरवरी 2015 को खुर्सीपार चंद्रमा चौक के पास रहने वाली साढ़े पांच साल की मासूम बच्ची घर के पीछे खेल रही थी। सुबह 11 बजे वह गायब हो गई। पिता व् परिवार के लोगो ने आसपास उसकी तलाश की लेकिन वह नही मिली नही। तब पिता ने रिपोर्ट लिखाई। इस पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ 363 के तहत अपराध दर्ज कर मामले को विवेचना में लिया। पुलिस ने मोहल्ले के संदिग्ध नाबालिग को हिरासत में लिया। पूछताछ में उसने पुलिस को बताया कि इसके बड़ा भाई राम सोना ने लड़की की हत्या कर लाश को घर में रखा था। बाद में कुंती व् अमृत के साथ मिलकर शव को ठिकाने लगाया है। इसके बाद पुलिस ने सभी को पकड़ा। इसमें दिल दहला देने वाली बात सामने आई। आरोपी राम सोना ने बच्ची को चॉकलेट देने का लालच देकर घर में बुलाया। और वहां उसका मुंह दबाकर उसके साथ बलात्कार किया फिरउसकी हत्या कर दी। बाद में माँ कुंती सोना और मित्र अमृत सिंह के साथ मिलकर शव को सफेद रंग के प्लास्टिक के बोरे में भर कर रेल लाइन के किनारे नाले में फेंक दिया है। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर नाले से बच्ची का शव बरामद किया। मामले में आरोपियों के खिलाफ धारा 363, 365, 376, 302, 201, 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में चालान पेश किया। एफटीसी कोर्ट दुर्ग के विशेष न्यायाधीश ने 24 अगस्त 2018 को रेप के बाद मासूम के हत्यारे राम सोना को 376, 302 में फाँसी की सजा सुनाई है। शासन की ओर से निचली अदालत के निर्णय की पुष्टि के लिये प्रकरण को हाई कोर्ट में पेश किया गया। दूसरी ओर आरोपी ने भी सजा के खिलाफ अपील पेश की। हाई कोर्ट ने आरोपी राम सोना की अपील को ख़ारिज कर निचली अदालत द्वारा दी गई फाँसी की सजा की पुष्टि की है।Conclusion:सहयोगियों की भी अपील खारिज

निचली अदालत ने मामले में आरोपी राम सोना को सहयोग करने के आरोपी अमृत सिंह को धारा 201 में 5 वर्ष, 202 में 6 माह कैद तथा कुंती सोना को 201, 216, 212 में 5 वर्ष कैद व् अर्थदंड की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने इनकी भी अपील को ख़ारिज कर दिया है।
Last Updated : Feb 5, 2020, 9:15 PM IST
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