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एड्स पीड़ित बच्चियों की देखभाल करने वाली संस्था को बंद करने के फैसले पर हाईकोर्ट की रोक - High court stays the decision

एड्स पीड़ित नाबालिग बच्चियों की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. मामले में हाईकोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दिया है.

संस्था को बंद करने के फैसले पर रोक
संस्था को बंद करने के फैसले पर रोक
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Published : Dec 10, 2019, 3:24 PM IST

बिलासपुर: उच्च न्यायालय में एड्स पीड़ित नाबालिग बच्चियों की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दी है.

मामले में शासन का तर्क था कि ट्रस्ट जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का पालन नहीं कर रहा है. वहीं ट्रस्ट ने शासन पर आरोप लगाया था कि उन्हें जवाब देने और अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं दिया गया.

पढ़े: रायगढ़: नाबालिग से दो अज्ञात युवकों ने किया गैंगरेप, 24 घंटे में हुए गिरफ्तार

मामले में संजीव ठक्कर ने याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट में कहा था कि सरकार के इस फैसले से बच्चियां घबराई हुई हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ में एकमात्र बिलासपुर स्थित यह ट्रस्ट है. जहां एचआईवी संक्रमित नाबालिक बच्चियों की देखभाल होती है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार के इस फैसले से 15 नाबालिग बच्चियों पर प्रभाव पड़ रहा था.

बिलासपुर: उच्च न्यायालय में एड्स पीड़ित नाबालिग बच्चियों की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है. मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दी है.

मामले में शासन का तर्क था कि ट्रस्ट जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का पालन नहीं कर रहा है. वहीं ट्रस्ट ने शासन पर आरोप लगाया था कि उन्हें जवाब देने और अपना पक्ष रखने का उचित मौका नहीं दिया गया.

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मामले में संजीव ठक्कर ने याचिका दायर की थी. उन्होंने कोर्ट में कहा था कि सरकार के इस फैसले से बच्चियां घबराई हुई हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ में एकमात्र बिलासपुर स्थित यह ट्रस्ट है. जहां एचआईवी संक्रमित नाबालिक बच्चियों की देखभाल होती है. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार के इस फैसले से 15 नाबालिग बच्चियों पर प्रभाव पड़ रहा था.

Intro:उच्च न्यायालय में एड्स पीड़ित नाबालिग बच्चियों की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी गई। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दी है। Body:मामले में शासन का तर्क था कि ट्रस्ट जूविनाइल जस्टिस एक्ट का पालन नहीं कर रहा है। वहीं ट्रस्ट ने शासन पर आरोप लगाया था कि उन्हें उचित मौका जवाब देने व अपना पक्ष रखने का प्रदान नहीं किया गया।मामले में संजीव ठक्कर ने याचिका दायर की थी। उन्होंने कोर्ट में कहां की सरकार के इस फैसले से बच्चियां घबराई हुई हैं। क्योंकि छत्तीसगढ़ में एकमात्र बिलासपुर स्थित यह ट्रस्ट है जहां एचआईवी पीड़ित नाबालिक बच्चियों की देखभाल होती है। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार के इस फैसले से 15 नाबालिग बच्चियों पर प्रभाव पड़ रहा था। Conclusion:पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस पी. सैम कोशी की एकल पीठ ने की है।
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