बिलासपुर: समाज कल्याण विभाग में NGO के माध्यम से किए गए घोटाले के मामले पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. जस्टिस प्रशांत मिश्रा और पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने मामले में दायर दो हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है. साथ ही इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
बता दें कि 'समाज कल्याण विभाग में घोटाले को लेकर कुंदन सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए 30 जनवरी को न्यायालय ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी. साथ ही CBI को मामले में 7 दिनों के भीतर FIR दर्ज करने का भी आदेश दिया था. इस घोटाले में कई IAS अफसरों के नाम सामने आए हैं. जिनमें से दो अधिकारियों ने हाईकोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की है. जिन पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
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जिन दो अधिकारियों ने न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की है, उनके नाम बी.एल अग्रवाल और सतीश पांडे हैं. मामले में शासन की ओर से भी पुनर्विचार याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है, जिस पर शासन ने जवाब देने के लिए हाईकोर्ट से समय मांगा है. अब शासन की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका के मामले की सुनवाई 7 फरवरी को होगी.
इन पर है आरोप
याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से आरोप लगाया गया था कि राज्य स्त्रोत निःशक्त जन संस्थान केवल कागजों में बनाया गया है. इसमें याचिकाकर्ता और अन्य लोगों को कर्मचारी बताकर सभी भत्तों के साथ वेतन आहरित किया जाता था. इस जन संस्थान के माध्यम से निःशक्तजनों को प्रशिक्षण देने के साथ ही बेहतर जिंदगी जीने के लिए साधन उपलब्ध कराए जाने की कवायद की जाती थी, लेकिन यह सब कुछ कागजों में था. बीते दस साल में इस संस्थान के माध्यम से अब तक एक हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है.
इन लोगों को बनाया गया पक्षकार
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कई लोगों को पक्षकार बनाया है, जिसमें रिटायर्ड CS, रिटायर ACS, पूर्व IAS बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पीपी सोटी, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हेमंत खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा के नाम शामिल हैं.