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प्रमोशन में आरक्षण मामला, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी जानकारी

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Published : Nov 29, 2020, 6:33 PM IST

प्रमोशन में आरक्षण मामला को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है.

reservation in promotion case
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ सर्वहित संघ के महासचिव आशीष अग्निहोत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग सेक्रेटरी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. इसमें बताया गया है कि हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2019 को पदोन्नति में आरक्षण के नियम से कंडिका 5 को खत्म किया था. अक्टूबर 2019 में शासन ने 5 नए नियम जारी किए. फिलहाल इस नियम पर स्थगन का आदेश दिया गया है और सुनवाई लंबित है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि शासन ने खत्म किए गए नियम के आधार पर की गई कार्रवाई को संरक्षित नहीं किया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 2016 में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में 1997 से अब तक प्रमोशन में मिले. सभी रिजर्वेशन को पलटने की जरूरत रेखांकित की गई है. जगह विधि विरुद्ध नया रोस्टर लागू किया गया है. याचिका 4 महीने पहले दाखिल की गई थी, इसपर चीफ जस्टिस ने कहा था कि नोटिस जारी करने से पहले राज्य शासन का पक्ष सुना जाना उचित होगा.

पढ़ें : दूसरे राज्यों के इंडस्ट्रियल वेस्ट पर लगी रोक, HC ने केंद्रीय पर्यावरण बोर्ड को दिया नोटिस

पदोन्नति में आरक्षण का नियम 2003

हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 की कंडिका 5 को खत्म किए जाने के बाद भी एससी,एसटी कर्मचारियों को रिवर्ट कर उनकी सीनियरिटी वापस नहीं ली गई. इस पर हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की वर्तमान स्थिति जानने के आदेश दिए हैं.

अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया कि वह महाधिवक्ता कार्यालय को याचिका की एक प्रति उपलब्ध कराएं, ताकि वह शासन से वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ले सकें. मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ सर्वहित संघ के महासचिव आशीष अग्निहोत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग सेक्रेटरी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है. इसमें बताया गया है कि हाईकोर्ट ने 4 फरवरी 2019 को पदोन्नति में आरक्षण के नियम से कंडिका 5 को खत्म किया था. अक्टूबर 2019 में शासन ने 5 नए नियम जारी किए. फिलहाल इस नियम पर स्थगन का आदेश दिया गया है और सुनवाई लंबित है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि शासन ने खत्म किए गए नियम के आधार पर की गई कार्रवाई को संरक्षित नहीं किया है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 2016 में दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में 1997 से अब तक प्रमोशन में मिले. सभी रिजर्वेशन को पलटने की जरूरत रेखांकित की गई है. जगह विधि विरुद्ध नया रोस्टर लागू किया गया है. याचिका 4 महीने पहले दाखिल की गई थी, इसपर चीफ जस्टिस ने कहा था कि नोटिस जारी करने से पहले राज्य शासन का पक्ष सुना जाना उचित होगा.

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पदोन्नति में आरक्षण का नियम 2003

हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 की कंडिका 5 को खत्म किए जाने के बाद भी एससी,एसटी कर्मचारियों को रिवर्ट कर उनकी सीनियरिटी वापस नहीं ली गई. इस पर हाईकोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की वर्तमान स्थिति जानने के आदेश दिए हैं.

अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को आदेश दिया कि वह महाधिवक्ता कार्यालय को याचिका की एक प्रति उपलब्ध कराएं, ताकि वह शासन से वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ले सकें. मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी.

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