ETV Bharat / state

हाईकोर्ट ने आरक्षक के ट्रांसफर पर लगाई रोक,डीजीपी को दिया ये निर्देश - आरक्षक के ट्रांसफर पर रोक

14 वर्षों तक बस्तर के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में तैनात आरक्षक के ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए डीजीपी को प्रकरण के निराकरण  45 दिनों के भीतर जारी करने के निर्देश जारी किए हैं.

file
फाइल
author img

By

Published : Jan 11, 2020, 9:00 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने 14 वर्षों तक बस्तर के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में तैनात आरक्षक के ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए डीजीपी को प्रकरण के निराकरण 45 दिनों में करने के निर्देश जारी किए हैं.

क्या है मामला
बता दें कि बस्तर के एसआईबी में 14 वर्षों से आरक्षक के पद पर पदस्थ राजेंद्र सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की सीधी भर्ती आरक्षक के पद पर 1998 में हुई और पहली नियुक्ति आरक्षक चालक के पद पर एमपी पुल मुख्यालय रायपुर में की गई थी. 14 सितंबर 2005 को आदेश जारी कर उन्हें बस्तर एसआईबी में तैनात कर दिया गया. याचिकाकर्ता लगभग 14 वर्षों से आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं.

14 साल बाद 12 दिसंबर 2019 को उन्हें वापस रायपुर भेजने के आदेश जारी किए गए थे. जबकि उन्हें विशेष अधिसूचना शाखा बस्तर में स्थाई चालक आरक्षक की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है. अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया गया है. अब बीच में मूल स्थान पर वापस भेजने से याचिकाकर्ता की पदोन्नति के साथ वरिष्ठता प्रभावित होगी.

पढ़ें: https://www.etvbharat.com/hindi/chhattisgarh/bharat/bharat-news/protest-against-pm-modi-in-west-bengal/na20200111133404488

संविलियन नियम का हावाला
शासन के निर्देशों के अनुसार किसी विशेष शाखा में लंबी अवधि बिताने के बाद नियमानुसार विभाग में संविलियन किया जाना चाहिए. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने मूल विभाग और पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आवेदन भी दिया है. लेकिन उस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि पूर्व में भेजे गए कई आवेदनों पर संविलियन की कार्रवाई की गई है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने 14 वर्षों तक बस्तर के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में तैनात आरक्षक के ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए डीजीपी को प्रकरण के निराकरण 45 दिनों में करने के निर्देश जारी किए हैं.

क्या है मामला
बता दें कि बस्तर के एसआईबी में 14 वर्षों से आरक्षक के पद पर पदस्थ राजेंद्र सिंह राजपूत ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की सीधी भर्ती आरक्षक के पद पर 1998 में हुई और पहली नियुक्ति आरक्षक चालक के पद पर एमपी पुल मुख्यालय रायपुर में की गई थी. 14 सितंबर 2005 को आदेश जारी कर उन्हें बस्तर एसआईबी में तैनात कर दिया गया. याचिकाकर्ता लगभग 14 वर्षों से आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं.

14 साल बाद 12 दिसंबर 2019 को उन्हें वापस रायपुर भेजने के आदेश जारी किए गए थे. जबकि उन्हें विशेष अधिसूचना शाखा बस्तर में स्थाई चालक आरक्षक की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है. अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया गया है. अब बीच में मूल स्थान पर वापस भेजने से याचिकाकर्ता की पदोन्नति के साथ वरिष्ठता प्रभावित होगी.

पढ़ें: https://www.etvbharat.com/hindi/chhattisgarh/bharat/bharat-news/protest-against-pm-modi-in-west-bengal/na20200111133404488

संविलियन नियम का हावाला
शासन के निर्देशों के अनुसार किसी विशेष शाखा में लंबी अवधि बिताने के बाद नियमानुसार विभाग में संविलियन किया जाना चाहिए. इस संबंध में याचिकाकर्ता ने मूल विभाग और पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आवेदन भी दिया है. लेकिन उस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. जबकि पूर्व में भेजे गए कई आवेदनों पर संविलियन की कार्रवाई की गई है.

Intro:हाईकोर्ट ने 14 वर्षों तक बस्तर के स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच में पदस्थ आरक्षक के संविलियन आदेश पर रोक लगाते हुए डीजीपी को प्रकरण के निराकरण का निर्देश जारी किया है। Body:बता दे कि बस्तर के एसआईपी में 14 वर्षों से आरक्षक के पद पर पदस्थ राजेंद्र सिंह राजपूत ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता की सीधी भर्ती आरक्षक के पद पर 1998 में हुई और पहली नियुक्ति आरक्षक चालक के पद पर एमपी पुल मुख्यालय रायपुर में की गई थी। 14 सितंबर 2005 को आदेश जारी कर उन्हें बस्तर एस आई बी में पदस्थ कर दिया गया। याचिकाकर्ता लगभग 14 वर्षों से आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं। 12 दिसंबर 2019 को आदेश जारी कर अब उन्हें वापस रायपुर भेजा जा रहा है जबकि उन्हें विशेष अधिसूचना शाखा बस्तर में स्थाई चालक आरक्षक की बेसिक ट्रेनिंग दी गई है। अच्छे प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत भी किया गया है।अब बीच में मूल स्थान पर वापस भेजने से याचिकाकर्ता की पदोन्नति के साथ वरिष्ठता भी प्रभावित होगी।शासन के निर्देशों के अनुसार किसी विशेष शाखा में लंबी अवधि बिताने के बाद नियमानुसार विभाग में संविलियन किया जाना चाहिए। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने मूल विभाग व पुलिस महानिदेशक कार्यालय को आवेदन भी दिया है लेकिन उस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही है ।जबकि पूर्व मैं भेजे गए कई आवेदनों पर संविलियन की कार्यवाही की गई है। Conclusion:जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद मूल विभाग में भेजने के आदेश पर रोक लगाते हुए डीजीपी को याचिकाकर्ता के प्रकरण का निराकरण 45 दिनों में करने का निर्देश जारी किया है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.