बिलासपुर : प्रदेश के स्टेट, नेशनल हाईवे, नगर निगम और पंचायतों की सड़कों पर बेतरतीब ढंग से बनाए गए स्पीड ब्रेकरों के हटाए जाने को लेकर लगाई गई जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस मेनन और पी.पी साहू की युगल पीठ ने गुरुवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि नगरीय निकाय चुनाव होने के कारण नगर पंचायत और अन्य जगहों के स्पीड ब्रेकरों को पूरी तरह से नहीं हटाया जा सका है.
सुनवाई के दौरान जजों की पीठ ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए शासन को 2 हफ्ते की मोहलत देते हुए स्पीड ब्रेकरों को बनाने की अनुमति देने वाले अधिकारियों का विवरण शपथ पत्र में देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को तय की गई है.
क्या है मामला
बिलासपुर की डीडी आहूजा ने जनहित याचिका दायर कर स्पीड ब्रेकरों को हटाने की मांगी हाईकोर्ट से की है. याचिका में स्पीड ब्रेकरों के कारण प्रतिदिन हो रहे सड़क हादसों में होने वाली मौतों का जिक्र किया गया है. साथ ही स्पीड ब्रेकरों को IRC (इंडियन रोड कांग्रेस) के गाइडलाइन के विरुद्ध बनाए जाने की शिकायत भी की गई है.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान शासन ने प्रदेश की सभी सड़कों के स्पीड ब्रेकर हटाए जाने की जानकारी हाईकोर्ट को दी थी. इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता डीडी अहूजा और उनके अधिवक्ता को प्रदेश की सभी सड़कों का निरीक्षण कर शपथ पत्र में बताने को कहा था कि शासन का जवाब कितना सही. क्या सभी स्पीड ब्रेकर हटा गए हैं या नहीं .
24 अक्टूबर और 21 नवंबर की सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने प्रस्तुत जवाब में बताया कि प्रदेश के कई नगर पालिकाओं ने अब तक सभी स्पीड ब्रेकर नहीं हटाए गए हैं. इस पर युगल पीठ ने सभी नगर पालिकाओं को पार्टी बनाने के निर्देश देते हुए शासन को जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था. जिस पर शासन ने गुरुवार को जवाब प्रस्तुत किया है.