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भीमा मंडावी हत्याकांड : NIA की अवमानना याचिका पर HC में सुनवाई

भीमा मंडावी हत्या मामले में NIA की ओर से राज्य सरकार के खिलाफ लगाई गई अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने SP, DG, HSO और होम सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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Published : Jan 20, 2020, 9:17 PM IST

बिलासपुर : भीमा मंडावी हत्या मामले में प्रदेश सरकार के खिलाफ NIA की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने SP, DG, HSO और होम सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई.

क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा NIA को सौंप दिया था. साथ ही राज्य शासन को आदेश दिया था कि वह 15 दिन में जांच से जुड़े सभी दस्तावेज NIA को सौंप दे. फैसले के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका दायर की थी, लेकिन डबल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी.

न्यायालय के आदेश के बावजूद 15 दिन में दस्तावेज न सौंपने पर NIA ने शासन के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई.

राज्य और केंद्र सरकारों में ठनी
बता दें कि, भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच का निर्णय लिया था. वहीं केंद्र सरकार ने NIA जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना में NIA एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज NIA को सौंपने को कहा था. NIA ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए एडवोकेट किशोर भादुड़ी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें राज्य सरकार को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज 15 दिन में NIA को सौंपने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था.

हाईकोर्ट का रुख साफ
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ जब शासन की ओर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी, इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया था कि मामले की जांच NIA ही करेगी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंची प्रदेश सरकार
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून (NIA एक्ट) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. ये कानून साल 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

बिलासपुर : भीमा मंडावी हत्या मामले में प्रदेश सरकार के खिलाफ NIA की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने SP, DG, HSO और होम सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई.

क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा NIA को सौंप दिया था. साथ ही राज्य शासन को आदेश दिया था कि वह 15 दिन में जांच से जुड़े सभी दस्तावेज NIA को सौंप दे. फैसले के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका दायर की थी, लेकिन डबल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी.

न्यायालय के आदेश के बावजूद 15 दिन में दस्तावेज न सौंपने पर NIA ने शासन के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई.

राज्य और केंद्र सरकारों में ठनी
बता दें कि, भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच का निर्णय लिया था. वहीं केंद्र सरकार ने NIA जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना में NIA एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज NIA को सौंपने को कहा था. NIA ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए एडवोकेट किशोर भादुड़ी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें राज्य सरकार को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज 15 दिन में NIA को सौंपने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था.

हाईकोर्ट का रुख साफ
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ जब शासन की ओर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी, इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया था कि मामले की जांच NIA ही करेगी.

सुप्रीम कोर्ट पहुंची प्रदेश सरकार
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून (NIA एक्ट) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. ये कानून साल 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

Intro: भीमा मंडावी हत्याकांड मामले पर एनआईए की ओर से दायर अवमानना याचिका पर आज उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मामले में कोर्ट ने एसपी, डी.जी, एसएचओ व होम सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बता दें कि जस्टिस सामंत कि सिंगल बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा दिया था। साथ ही शासन को आदेश दिया था कि वह 15 दिन में जांच से जुड़े दस्तावेज है एनआईए को सौंप दे।जिसके खिलाफ शासन हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका दायर की थी । जहां शासन की याचिका डबल बेंच ने भी खारिज कर दी थी। न्यायलय के आदेश के बावजूद 15 दिन में दस्तावेज ना सौंपने पर एनआईए ने शासन के खिलाफ अवमानना याचिका जस्टिस सामंत सिंगल बेंच में पेश की है। Body:बता दें कि भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच राज्य सरकार की ओर से पुलिस को सौंपी गई थी। राज्य सरकार ने जहां इस मामले की न्यायिक जांच का निर्णय लिया था। वहीं केंद्र सरकार ने एनआईए जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में एन .आई .ए एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने को कहा गया था। एनआईए ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नही दिए जाने का आरोप लगाते हुए एडवोकेट किशोर भादुड़ी के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी। जिसमें राज्य सरकार को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज 15 दिन में एनआईए को सौंपने का आदेश हाईकोर्ट ने जारी किया था। Conclusion:उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ शासन की ओर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी जिसमें कोर्ट ने कहा था कि मामले की जांच एनआईए ही करेगी । आज मामले की सुनवाई जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच द्वारा की गई।
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