बिलासपुर : भीमा मंडावी हत्या मामले में प्रदेश सरकार के खिलाफ NIA की ओर से दायर अवमानना याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. मामले में कोर्ट ने SP, DG, HSO और होम सेक्रेट्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, जस्टिस सामंत की सिंगल बेंच ने मामले की जांच का जिम्मा NIA को सौंप दिया था. साथ ही राज्य शासन को आदेश दिया था कि वह 15 दिन में जांच से जुड़े सभी दस्तावेज NIA को सौंप दे. फैसले के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका दायर की थी, लेकिन डबल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी.
न्यायालय के आदेश के बावजूद 15 दिन में दस्तावेज न सौंपने पर NIA ने शासन के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई.
राज्य और केंद्र सरकारों में ठनी
बता दें कि, भीमा मंडावी हत्याकांड की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच का निर्णय लिया था. वहीं केंद्र सरकार ने NIA जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी. इस अधिसूचना में NIA एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज NIA को सौंपने को कहा था. NIA ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए एडवोकेट किशोर भादुड़ी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें राज्य सरकार को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज 15 दिन में NIA को सौंपने का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था.
हाईकोर्ट का रुख साफ
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ जब शासन की ओर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका प्रस्तुत की गई थी, इस पर कोर्ट ने साफ कर दिया था कि मामले की जांच NIA ही करेगी.
सुप्रीम कोर्ट पहुंची प्रदेश सरकार
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 जनवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून (NIA एक्ट) के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी कानून, 2008 यानी एनआईए एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है. ये कानून साल 2008 में यूपीए सरकार द्वारा बनाया गया था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने एनआईए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.