बिलासपुर: कम पढ़े लिखे और 65 वर्ष से अधिक आयु की महिला को बाल संरक्षण आयोग (Child Protection Commission) का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. मंगलवार को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से प्रकरण की सुनवाई एक सप्ताह के लिए टल गई है. अब इस प्रकरण की सुनवाई याचिका में संवैधानिक पद पर योग्यता को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया है.
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दरअसल राजनीतिक रूप से हुई इस नियुक्ति में केंद्र व राज्य शासन के नियमों का पालन जरूरी है. लेकिन राज्य सरकार ने नियमों को दरकिनार कर आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है. इसे चुनौती देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक चौबे ने अधिवक्ता योगेश्वर शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इसमें बताया गया है कि शासन ने कांग्रेस नेता और राजनांदगांव के मानपुर क्षेत्र से पूर्व विधायक तेज कुंवर नेताम को इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि नवनियुक्त अध्यक्ष नेताम की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास है और उनकी आयु भी 66 वर्ष है. जबकि शासन के प्रविधान के अनुसार आयोग के अध्यक्ष की आयु 65 वर्ष से अधिक न हो और शैक्षणिक योग्यता कम से कम बारहवीं पास होनी चाहिए. इसी तरह उन्हें बाल अधिकार संरक्षण को लेकर काम करने का भी कोई अनुभव नहीं है.
याचिका में यह भी बताया गया है कि बालकों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले इस आयोग के अध्यक्ष की शैक्षणिक योग्यता व अनुभव होना चाहिए. क्योंकि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनके हितों और जरूरतों से संबंधित कानून को जानना व समझना जरूरी है. शासन का इतने महत्वपूर्ण आयोग की जवाबदारी भी बहुत बड़ी होती है. इसके लिए आवश्यक है कि जो व्यक्ति बच्चों व उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक हो उसे ही इस प्रकार की जवाबदारी दी जाए.