बिलासपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट से केस ट्रांसफर होने के 22 साल बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मंगलवार को पहली सुनवाई हुई. Hearing of transfer case from MP इस सुनवाई में मुख्य अभियुक्त को प्रस्तुत होने कहा गया था. जिसके बाद वो पहली बार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रस्तुत हुआ. यह मामला अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान 1993 में अंबिकापुर पोस्ट ऑफिस में एजेंट और पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों के खाता में हेराफेरी कर पैसा निकालने का है. इस मामले में सीबीआई इंक्वायरी हुई थी. सीबीआई कोर्ट ने चार्ज लगाकर 1999 में सभी 6 दोषियों को दोषी मानते हुए 2 साल की सजा और 4 हजार रुपए जुर्माना लगाया था.
क्या है पूरा मामला : 1993 में अंबिकापुर पोस्ट ऑफिस में एजेंट के माध्यम से पैसा जमा कराने वाले खाताधारक के अकाउंट से 55 हजार रुपए की हेराफेरी की गई थी. इस मामले का खुलासा होने के बाद खाताधारक ने पोस्ट ऑफिस में इसकी शिकायत की. शिकायत के बाद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी में सभी बरी हो गए थे, तब मामला सीबीआई तक पहुंच गया. सीबीआई ने मामले की जांच की. जांच में रमेश पंजवानी समेत छह लोगों पर आरोप तय कर सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई, तब से इसकी जांच और कोर्ट में प्रकरण चलता रहा.
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आरोपियों को हुई थी सजा : 1999 में CBI Court ने मुख्य अभियुक्त रमेश पंजवानी समेत छह लोगों को दोषी मानते हुए 2 साल की सजा और 4 हजार रुपए अर्थदंड लगाया. तब मुख्य अभियुक्त रमेश पंजवानी समेत छह लोगों ने जबलपुर हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील की थी. साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य अलग होने के बाद केस डायरी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दी गई. अब 22 साल बाद पहली बार सुनवाई हुई है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 9 फरवरी तय की है. इस मामले में सभी 6 दोषियों को क्लीन चिट दे दी गई थी. यह मामला सीबीआई तक पहुंचने के बाद सभी 6 दोषियों को सस्पेंड किया गया था. सीबीआई कोर्ट के सजा सुनाने के बाद सभी दोषियों ने अग्रिम जमानत ले ली थी. इस मामले से जुड़े 3 लोगों की मौत भी हो चुकी है.Bilaspur highcourt News