बिलासपुर: जगदलपुर रावघाट रेल परियोजना के अंतर्गत मुवावजा मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है. भूस्वामियों को 10 गुना मुवावजा देने का प्रतिवादी ने सुनवाई के दैरान जवाब दिया था.हाईकोर्ट ने जगदलपुर-रावघाट परियोजना में भूमि अधिग्रहण के एक महत्वपूर्ण मामले में आज सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाकर याचिकाकर्ताओं को बड़ी राहत दी है. आपको जानकारी दें कि याचिका में कहा गया था कि, इस मामले में अधिकारी से मिलीभगत कर दो भूमि स्वामियों द्वारा 10 गुना अधिक मुआवजा लिया गया था.
मुवावजा लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.जिसपर बीते सुनवाई में हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने दोनों भूमि स्वामियों को प्राप्त मुआवजा राशि लौटाने और शासन को 6 माह के अंदर नया मुआवजा निर्धारित कर भूमि स्वामी को देने का आदेश दिया था.जिसे दो भूमिस्वामियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी . जगदलपुर से रावघाट तक रेल लाइन बिछाने के लिए किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी.
इस परियोजना में बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड, एनएमडीसी, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, राज्य और केंद्र सरकार की भागीदारी है. भूमि अधिग्रहण के बाद जमीन मालिक नीलम और बली नागवंशी को 8-8 लाख रुपए मुआवजा मिलना था. किन्तु दोनों ने भूमि अधिग्रहण अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर 80-80 लाख रुपए मुआवजा ले लिया. इस घोटाले की जानकारी होने पर बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने कलेक्टर से शिकायत की. इसके अलावा दोनों भूमि स्वामियों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई थी. इस मामले में कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है.