बिलासपुर: बेमेतरा कलेक्टर की ओर से साख समितियों को जारी शो-कॉज नोटिस मामले में मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि धान शॉर्टेज का जिम्मेदार कौन है?, इसके बाद हाईकोर्ट ने इसका भौतिक सत्यापन का आदेश दिया है.
बता दें, बीते दिनों बेमेतरा कलेक्टर ने से शो-कॉज नोटिस जारी कर सहकारी बैंक दुर्ग के अंतर्गत धान की शॉर्टेज की बात कही गई थी. नोटिस में वास्तु स्थिति देखते हुए बेमेतरा के अंतर्गत आने वाली साख समितियों के खिलाफ क्यों न FIR दर्ज किए जाने की बात कही गई थी. नोटिस के खिलाफ साख समितियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.
'नोटिस जारी करना गलत'
साख समितियों का कहना है कि धान की उठाई 72 घंटों के भीतर होनी थी, लेकिन नहीं हुई है. साथ ही मौसम की गड़बड़ी की वजह भी धान की कमी है. इसलिए उन्हें दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ नोटिस जारी करना गलत है.
प्रारंभिक जांच कराने के दिए आदेश
केस में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर कहा है कि मामले में प्रारंभिक जांच कराई जाए. जांच के बाद केस में भौतिक सत्यापन कर देखा जाए कि व्यक्तिगत जवाबदारी है या नहीं. जवाबदारी पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए. आदेश जारी करने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया.
संविदा नियुक्ति केस में 2 हफ्ते में मांगा जवाब
इधर, एक दूसरे मामले में संविदा नियुक्ति केस में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रायपुर में संचालक चिकित्सा के पद पर नियुक्त डॉक्टर अदिले और राज्य शासन को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब तलब किया है.
संचालक चिकित्सा के पद पर हुई नियुक्ति
बता दें, रायपुर में डॉक्टर एसआई अदिले की संविदा नियुक्ति बतौर संचालक चिकित्सा के पद पर हुई थी. डॉक्टर अदिले की इस संविदा नियुक्ति को जगदलपुर की रहने वाली कौशिक शुक्ला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है.
राज्य शासन से भी मांगा गया जवाब
अपनी याचिका में कौशिक शुक्ला ने डॉक्टर अदिले की संविदा पद पर हुई इस नियुक्ति को नियम विरूद्ध बताया है. पूरे केस में सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने राज्य शासन और डॉ. अदिले को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है.