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आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति केस में राज्य और पक्षकारों को HC का नोटिस

विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार और पक्षकारों को नोटिस जारी किया है.

बिलासपुर हाईकोर्ट
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Published : Aug 13, 2021, 6:40 PM IST

बिलासपुर: राज्य शासन द्वारा प्रदेश में विभिन्न संवैधानिक आयोग में किये गए अध्यक्षों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एडवोकेट योगेश्वर शर्मा के माध्यम से जनहित दायर कर दी गई है. दायर याचिका को आज एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिविजन बेंच ने स्वीकार करते हुए राज्य शासन समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. बतादें की कि, याचिकाकर्ता अभिषेक कुमार चौबे ने अपनी याचिका में कहा है कि, छत्तीसगढ़ शासन ने विभिन्न संवैधानिक आयोग जैसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग आदि में अध्यक्ष पद पर केवल राजनीतिक व्यक्तियों की नियुक्ति की है.

राज्य और पक्षकारों को HC का नोटिस

इस मामले में अध्यक्षों के चयन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और न ही विज्ञापन के जरिए भर्ती हुई.मनमाफिक अपने पसंद के राजनीतिक व्यक्तियों को विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष पद पर पद आसीन कर दिया गया. जबकि विधि अनुसार बाल अधिकारों के संरक्षण में कार्य किए हुए व्यक्ति एवं अनुसूचित जनजाति के केसों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति का चयन करना था. साथ ही बाल संरक्षण अधिकार आयोग में चेयरमैन की नियुक्ति चयन समिति द्वारा होनी थी, उसके विपरीत छत्तीसगढ़ शासन ही सारी नियुक्तियों की जानकारी मात्र प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में छंटनी करने की प्रक्रिया को वेबसाइट में सार्वजनिक करने को कहा था.

कोर्ट ने कहा है कि ऐसे आयोग में सिर्फ एक्सपर्ट लोगों की ही नियुक्ति होनी चाहिए. इसके अलावा इस नियुक्ति की सारी प्रक्रिया को वेबसाइट पर अपलोड भी किया जाना चाहिए. ताकि पारदर्शिता नबी रहे. लेकिन प्रदेश में ऐसी नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता नहीं बनी रही.

बिलासपुर: राज्य शासन द्वारा प्रदेश में विभिन्न संवैधानिक आयोग में किये गए अध्यक्षों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एडवोकेट योगेश्वर शर्मा के माध्यम से जनहित दायर कर दी गई है. दायर याचिका को आज एक्टिंग चीफ जस्टिस के डिविजन बेंच ने स्वीकार करते हुए राज्य शासन समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. बतादें की कि, याचिकाकर्ता अभिषेक कुमार चौबे ने अपनी याचिका में कहा है कि, छत्तीसगढ़ शासन ने विभिन्न संवैधानिक आयोग जैसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग आदि में अध्यक्ष पद पर केवल राजनीतिक व्यक्तियों की नियुक्ति की है.

राज्य और पक्षकारों को HC का नोटिस

इस मामले में अध्यक्षों के चयन में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई और न ही विज्ञापन के जरिए भर्ती हुई.मनमाफिक अपने पसंद के राजनीतिक व्यक्तियों को विभिन्न आयोगों के अध्यक्ष पद पर पद आसीन कर दिया गया. जबकि विधि अनुसार बाल अधिकारों के संरक्षण में कार्य किए हुए व्यक्ति एवं अनुसूचित जनजाति के केसों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति का चयन करना था. साथ ही बाल संरक्षण अधिकार आयोग में चेयरमैन की नियुक्ति चयन समिति द्वारा होनी थी, उसके विपरीत छत्तीसगढ़ शासन ही सारी नियुक्तियों की जानकारी मात्र प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे पदों पर नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में छंटनी करने की प्रक्रिया को वेबसाइट में सार्वजनिक करने को कहा था.

कोर्ट ने कहा है कि ऐसे आयोग में सिर्फ एक्सपर्ट लोगों की ही नियुक्ति होनी चाहिए. इसके अलावा इस नियुक्ति की सारी प्रक्रिया को वेबसाइट पर अपलोड भी किया जाना चाहिए. ताकि पारदर्शिता नबी रहे. लेकिन प्रदेश में ऐसी नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता नहीं बनी रही.

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