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धान खरीदी: नया कैसे रखेंगे जब केंद्रों में सड़ रहा है पुराना धान, कितना तैयार बिलासपुर ?

प्रदेश में 1 दिसंबर से धान खरीदी होनी है. बिलासपुर जिला प्रशासन का दावा है कि धान खरीदी को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है. ईटीवी भारत की टीम प्रशासनिक दावों की हकीकत जानने मोपका धान संग्रहण केंद्र पहुंची और जायजा लिया. देखिए खास रिपोर्ट.

PADDY PURCHASE IN BILASPUR
धान केंद्रों में सड़ रहे पुराने धान
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Published : Nov 27, 2020, 10:20 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी पर बारिश के पानी की मार पड़ी है. बारदाने की कमी की तलवार भी लटकी है. बिलासपुर जिले के मोपका धान संग्रहण केंद्र समेत कई सेंटर में बड़ी समस्या है पुराना और सड़ा धान. ये सड़ा धान, खरीदी केंद्रों में सरकार की पूरी तैयारियों के दावे की पोल खोल रहा है.

धान खरीदी के लिए कितना तैयार है बिलासपुर

जिले के मोपका समेत तमाम धान संग्रहण केंद्रों से पुराने धान का उठाव अबतक नहीं हो पाया है. अकेले मोपका केंद्र में ही 1 लाख 75 हजार क्विंटल धान का उठाव नहीं हो पाया है. केन्द्र प्रभारी ने बताया कि कम उठाव की समस्या डिलीवरी ऑर्डर कम करने के कारण हो रही है.

एक नजर तैयारियों और इंतजामों पर

  • जिले में कुल 1 लाख 36 हजार टन धान का उठाव संग्रहण केंद्रों से अबतक नहीं हो पाया है.
  • जिले के मोपका, भरनी, सेमरताल, बिल्हा प्रमुख केंद्रों के अलावा कुल 124 केंद्रों में धान खरीदी की जाएगी.
  • इस बार 6 नए केंद्र बनाए गए हैं.
  • बिलासपुर जिले के लिए इस बार 1 लाख 5 हजार 535 किसानों का पंजीयन किया गया है.
  • पिछले बार के मुकाबले इस बार 9 हजार से ज्यादा किसानों का पंजीयन हुआ है.
  • जिले में इस बार करीब 47 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य बनाया गया है.
  • जिले में केंद्रों पर 456 चबूतरे का निर्माण किया गया है.
  • राशन दुकानों से शत-प्रतिशत बारदाना इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया है.
  • धान की अवैध आवक रोकने के लिए जिला प्रशासन ने उड़नदस्ता टीम का गठन किया है.
  • विकासखंड मस्तूरी, कोटा, तखतपुर, बिल्हा दलों को निर्देश दिया गया है कि धान की आवक अन्य प्रदेशों से नहीं होनी चाहिए.

धान सड़ने की शिकायत

धान संग्रहन केंद्रों में बड़ी तादात में धान सड़ने की शिकायत भी मिल रही है. मोपका केंद्र में ETV भारत ने खुले में रखे धान के सड़ने और अव्यवस्था की कई तस्वीरों को देखा.

पुराने धान की मिलिंग समस्या

भले ही कोविड गाइडलाइंस के तहत केंद्रों में आवाजाही की बात कही जा रही हो लेकिन फिजिकल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का ख्याल कहीं भी नहीं रखा जा रहा है. पुराने धान की मिलिंग भी एक बड़ी समस्या है.

पढे़ं- SPECIAL: बारदानों की कमी, खरीदी केंद्रों में असुविधाओं के साथ धान खरीदी के लिए कितना तैयार बस्तर ?

मिलर्स लंबे समय तक धान के खुले में रहने और ज्यादा बारिश के कारण क्वॉलिटी डल होने की बात करते दिखे और अपनी कई परेशानियों को गिनाया. जिले में धान खरीदी को लेकर इस बार भी चुनौतियां कम नहीं हैं. कोरोना के कहर, अधिक बारिश और कम उठाव के कारण प्रशासन की मुश्किलें कम नहीं दिख रही हैं. हालांकि प्रशासन समुचित व्यवस्था का दावा जरूर कर रहा है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से शुरू होने वाली धान खरीदी पर बारिश के पानी की मार पड़ी है. बारदाने की कमी की तलवार भी लटकी है. बिलासपुर जिले के मोपका धान संग्रहण केंद्र समेत कई सेंटर में बड़ी समस्या है पुराना और सड़ा धान. ये सड़ा धान, खरीदी केंद्रों में सरकार की पूरी तैयारियों के दावे की पोल खोल रहा है.

धान खरीदी के लिए कितना तैयार है बिलासपुर

जिले के मोपका समेत तमाम धान संग्रहण केंद्रों से पुराने धान का उठाव अबतक नहीं हो पाया है. अकेले मोपका केंद्र में ही 1 लाख 75 हजार क्विंटल धान का उठाव नहीं हो पाया है. केन्द्र प्रभारी ने बताया कि कम उठाव की समस्या डिलीवरी ऑर्डर कम करने के कारण हो रही है.

एक नजर तैयारियों और इंतजामों पर

  • जिले में कुल 1 लाख 36 हजार टन धान का उठाव संग्रहण केंद्रों से अबतक नहीं हो पाया है.
  • जिले के मोपका, भरनी, सेमरताल, बिल्हा प्रमुख केंद्रों के अलावा कुल 124 केंद्रों में धान खरीदी की जाएगी.
  • इस बार 6 नए केंद्र बनाए गए हैं.
  • बिलासपुर जिले के लिए इस बार 1 लाख 5 हजार 535 किसानों का पंजीयन किया गया है.
  • पिछले बार के मुकाबले इस बार 9 हजार से ज्यादा किसानों का पंजीयन हुआ है.
  • जिले में इस बार करीब 47 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य बनाया गया है.
  • जिले में केंद्रों पर 456 चबूतरे का निर्माण किया गया है.
  • राशन दुकानों से शत-प्रतिशत बारदाना इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया है.
  • धान की अवैध आवक रोकने के लिए जिला प्रशासन ने उड़नदस्ता टीम का गठन किया है.
  • विकासखंड मस्तूरी, कोटा, तखतपुर, बिल्हा दलों को निर्देश दिया गया है कि धान की आवक अन्य प्रदेशों से नहीं होनी चाहिए.

धान सड़ने की शिकायत

धान संग्रहन केंद्रों में बड़ी तादात में धान सड़ने की शिकायत भी मिल रही है. मोपका केंद्र में ETV भारत ने खुले में रखे धान के सड़ने और अव्यवस्था की कई तस्वीरों को देखा.

पुराने धान की मिलिंग समस्या

भले ही कोविड गाइडलाइंस के तहत केंद्रों में आवाजाही की बात कही जा रही हो लेकिन फिजिकल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन का ख्याल कहीं भी नहीं रखा जा रहा है. पुराने धान की मिलिंग भी एक बड़ी समस्या है.

पढे़ं- SPECIAL: बारदानों की कमी, खरीदी केंद्रों में असुविधाओं के साथ धान खरीदी के लिए कितना तैयार बस्तर ?

मिलर्स लंबे समय तक धान के खुले में रहने और ज्यादा बारिश के कारण क्वॉलिटी डल होने की बात करते दिखे और अपनी कई परेशानियों को गिनाया. जिले में धान खरीदी को लेकर इस बार भी चुनौतियां कम नहीं हैं. कोरोना के कहर, अधिक बारिश और कम उठाव के कारण प्रशासन की मुश्किलें कम नहीं दिख रही हैं. हालांकि प्रशासन समुचित व्यवस्था का दावा जरूर कर रहा है.

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