गौरेला पेंड्रा मरवाही: सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही है. जबकि देश के कुछ कोने मेंं आज भी लोग नेटवर्क की सुविधा न होने से मोबाइल यूज नहीं कर पा रहे हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के केंवची बानघाट गांव की. यहां नेटवर्क न होने से लोगों के लिए मोबाइल महज एक खिलौना बनकर रह गया है.
दूर-दूर तक नहीं है कोई टावर: जिले के केंवची बानघाट (पीढ़ा) जैसे इलाके में मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए टावर तक नहीं है. केंवची में एक बीएसएनएल का टावर था लेकिन वो भी बंद पड़ा है. इसे शुरू कराने के लिए गांववालों ने काफी कोशिश की. हालांकि कोई फायदा नहीं हुआ.
दूसरे गांव में ऊंचे स्थान पर जाकर करते हैं फोन यूज: इस गांव में अगर किसी को फोन पर बात करनी होती है. तो वो दूसरे गांव जाते हैं. दूसरे गांव जाने के बाद भी वो ऊंचाई पर जाकर फोन पर किसी से बात करते हैं. इस दौरान भी उन्हें बात करने में काफी दिक्कतें होती है.
प्रशासन से गुहार के बाद भी नहीं मिली मदद: गांव वालों की मानें तो टावर के लिए गांववालों ने प्रशासन से गुहार तक लगाई है. उसके बाद भी इनको कोई भी सुविधा नहीं मिली है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से गांव में कनेक्टिविटी को लेकर कलेक्टर को आवेदन दिया है. लेकिन अब तक टावर नहीं लगाया जा सका है. बैगा आदिवासी बाहुल्य गांव में मोबाइल टावर नहीं लगाए जाने से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है.
कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई पर पड़ा असर: गांववालों का कहना है कि टावर नहीं होने से कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है. मोबाइल में टावर न होने से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कराया जा सका. यही कारण है कि बच्चे पढ़ाई में काफी पिछड़ गए.
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में हो रही दिक्कत: इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में भी काफी दिक्कतें हो रही है. इस गांव के राशन दुकानों पर ऑनलाइन पेमेंट नहीं हो पाता है. मोबाइल टावर ना होने के कारण ग्रामीणों को ऑफलाइन ही राशन दिया जाता है.इतना ही नहीं इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने से लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है. हालांकि इस मामले में एडीएम ने जल्द समस्या के निपटारे की बात कही है.