गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मिलने वाले मुफ्त गैस कनेक्शन में घोटाले का मामला सामने आया है. जिले में हितग्राहियों से गैस कनेक्शन का फॉर्म भरवाने और कनेक्शन की स्वीकृति मिलने के बावजूद उन्हें उनके हिस्से का गैस चूल्हा और सिलेंडर नहीं दिया गया. गरीबों के साथ हुई इस धोखाधड़ी का पता उस वक्त चला, जब कोरोना काल में केंद्र सरकार ने सभी गैस कनेक्शन धारकों को गैस रिफिल कराने के लिए 800 रुपए खाते में जमा कराए. मामला सामने आने के बाद अधिकारी गैस वितरण एजेंसियों के खिलाफ जांच की बात कह रहे हैं.
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी उज्ज्वला योजना के तहत गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में बीपीएल सूची के हितग्राहियों से कई बार फॉर्म भरवाए गए. कनेक्शन स्वीकृत होने के बावजूद उन्हें हर बार यह कहकर लौटा दिया गया कि आपका गैस कनेक्शन स्वीकृत नहीं हुआ है. भोले-भाले आदिवासी ग्रामीणों ने गैस वितरकों के बहकावे में आकर उनकी बात पर विश्वास कर लिया और वे भोजन बनाने के लिए कंडा और लकड़ी पर आश्रित हो गए.
जब कोरोना काल में लॉकडाउन की अवधि शुरू हुई, तब केंद्र की ओर से जारी किए गए राहत पैकेज में इन उज्ज्वला गैस कनेक्शन धारकों को गैस रिफिलिंग के लिए 800 प्रति कनेक्शन उनके खाते में जमा किए गए. जिसके बाद इन हितग्राहियों को पता चला कि उनके नाम से गैस कनेक्शन है, तब इस बड़े गड़बड़झाले की जानकारी हितग्राहियों को लगी, हालांकि इसके बावजूद स्थायी गैस कनेक्शन वितरकों ने उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिए.
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कलेक्टर ने कही कार्रवाई की बात
गौरतलब है कि सालों पहले हितग्राहियों के नाम पर गैस कनेक्शन स्वीकृत हो चुके थे और ग्राम पंचायत में इनकी सूची भी चस्पा की गई थी. जिसे देखकर ग्रामीण बार-बार गैस कनेक्शन लेने जाया करते थे. गैस वितरण एजेंसी के मालिकों द्वारा ठगे गए ग्रामीण आज भी खतरे उठाकर जंगल से लकड़ी लाने को मजबूर हैं. मामले की जानकारी जब जिला कलेक्टर को दी गई, तो उन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है.