बिलासपुर: प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अब किसानों को खुशी और तकलीफ दोनों ही हो रही है. दरअसल नई सरकार पिछले कार्यकाल का बोनस किसानों को एक साथ देने वाली है. दूसरी ओर किसानों से बकाया कर्ज वसूली की भी तैयारी की जा रही है. पूर्व की कांग्रेस सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में कर्ज माफी का ऐलान किया था. कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हार गई ऐसे में अब कांग्रेस के ऐलान का कोई महत्व नहीं रहा. लिहाजा अब किसानों को कर्ज लौटाने का टेंंशन होने लगा है.
एक तरफ बोनस मिलेगा दूसरी तरफ कर्ज चुकाना होगा: किसानों को जहां एक और धान का दो बार का बोनस मिलेगा वहीं बैंक भी कर्ज चुकाने के लिए किसानों पर दबाव बनाएगा. बिलासपुर संभाग के करीब 2 लाख किसानों ने 900 करोड़ का कर्ज बैंकों से ले रखा है. जबकि पूरे छत्तीसगढ़ में किसानों ने साढ़े तीन हजार करोड़ का कर्ज लिया है. यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन जाती तो किसानों के बल्ले बल्ले होनी तय थी. अकेले बिलासपुर के किसानों ने पिछली बार की तरह इस बार भी कर्ज माफी की आस में लोन लिया था.
किसानों पर कर्ज वसूली की लटकी तलवार: सत्ता परिवर्तन होते ही कर्ज माफी की लालच में जिन किसानों ने सहकारी बैंक से लोन लिया था उनके गले में कर्ज वसूली की तलवार लटकने लगी है. सहकारी बैंक से कर्ज लेने वाले 2 लाख 11 हजार 813 किसानों से सरकार 919 करोड़ रुपए कर्ज की वसूली करेगी. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस की तरह कोई ऐलान नहीं किया था. किसानों को उम्मीद है कि सरकार अगर थोड़ा रहम दिखाए तो उनका कर्ज माफ हो सकता है. 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस के मौके पर सरकार किसानों को बोनस बांटने वाली है.