बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिल्हा विकासखंड क्षेत्र में किसान धान की कटाई के बाद अब रबी फसल की तैयारी में जुट गए हैं. अधिकांश किसान इस बार चना, तिवरा और गेहूं की फसल लगाने में रूचि दिखा रहे हैं. वहीं दक्षिण परिछेत्र में बंदरों की बहुतायत के चलते इस बार अधिकांश किसान चना और तीवरा की फसल लेने से पीछे भी हट रहे हैं. यहां के किसानों ने इस बार सिर्फ गेहूं की खेती करने की बात कही है.
किसानों का कहना है कि पिछले बार के तजुर्बे से यह साफ हो गया है कि गेहूं के अलावा और किसी फसल को बचा पाना मुश्किल होगा. गेहूं के लिए उर्वरक क्षमता के आधार पर किसान कृषि विभाग की ओर से दिए गए सुझाव पर भी अमल कर रहे हैं. अधिकांश किसानों ने अच्छी पैदावार के लिए सुझाव के अनुरूप खाद की मात्रा भी सुनिश्चित कर ली है. अब बुवाई का क्रम तेज हो गया है. जमीन की जुताई के बाद अनुभवी किसान खेतों में बीज डालने उतर गए हैं.
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समितियों ने प्रमाणित बीजों का किया वितरण
इस बार किसानों को खेती के लिए सहकारी समितियों की ओर से प्रमाणित बीजों का वितरण किया गया है. वहीं कुछ किसान सरकारी समितियों में पहुंचकर नगद प्रमाणित बीजों की खरीदी कर रहे है. किसानों को कहना है कि प्रमाणित बीज की बुवाई से फसल केअच्छे उत्पादन की उम्मीद है. इसेक साथ ही किसानों ने फसलों को मवेशियों से फसल को बचाने किसानों ने रकबा की घेराबंदी भी पूरी कर ली है. ताकि उत्पादित फसल को नुकसान से बचाया जा सके.
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कम पानी वाले फसलों को दे रहे प्राथमिकता
गौरतलब है कि सिंचाई सुविधा के अभाव में जूझ रहे किसान कम पानी वाले फसलों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिनमें गेहूं भी शामिल है. गेहूं की फसल में पानी की मात्रा कम खपत होती है. जबकि गर्मी में धान की दोबारा बुवाई करने में अधिक पानी की मांग होती है, वहीं जमीन की उर्वरक क्षमता भी प्रभावित होती है. हालांकि इस साल अच्छी बारिश होने के कारण वर्तमान में भी जमीन में नमी बनी हुई है. जिसका सीधा लाभ गेहूं की फसल को मिलेगा.