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बिलासपुर में बारिश से खिले किसानों के चेहरे, धान की बेहतर खेती की बढ़ी उम्मीदें - water in paddy field

बिलासपुर (Bilaspur) में तीन चार दिनों से बारिश (Rain) हो रही है. बारिश होने से किसान खुश (Farmer happy) हैं. अब धान की फसल (Paddy Crop) के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो गई है. जिससे किसानों के चेहरे खिल गए हैं.

Paddy Crop
धान की फसल
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Published : Sep 13, 2021, 3:59 PM IST

Updated : Sep 13, 2021, 5:00 PM IST

बिलासपुर: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले तीन चार-दिनों से बारिश (Rain) हो रही है. जिससे अब किसानों के चेहरे खिलने लगे हैं. क्योंकि धान की फसल (Paddy Crop) को नुकसान होता उससे पहले ही मौसम ने करवट ली और झमाझम पानी बरस (Rain Water) गया. वहीं किसान (Farmer) इस बारिश को धान की फसलों के लिए 'अमृत' मान रहे हैं.

धान की बेहतर खेती की बढ़ी उम्मीदें

दरअसल कुछ दिनों में मानसून की बेरुखी के चलते बिलासपुर में सूखा (Dry in Bilaspur) पड़ा हुआ था. धान की फसल के लिए खेतों में पर्याप्त पानी नहीं था. रूपा पद्धति (Form Method) से खेती करने वाले किसानों के पास या तो अपनी खुद की सिंचाई सुविधा है या फिर नहर से मिलने वाले पानी के भरोसे रहते हैं. नहर के भरोसे रोपा लगाने वाले किसानों की संख्या में जिले में ज्यादा है.

वहीं खूंटाघाट जलाशय (Khutaghat Reservoir) से पानी छोड़ा गया है. जलाशय का पानी छोड़े जाने से टेल एरिया (Tail Area) तक पानी पहुंच नहीं पा रहा है. मस्तूरी ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों की स्थिति कुछ ऐसा ही है. टेल एरिया के गांव तक अभी नहर का पानी नहीं पहुंचा है. इसके चलते खेतों में पानी नहीं है. राहत वाली बात यह है कि खेत अभी सूखे नहीं है और नमी बरकरार है. धान के पौधों में हरियाली बिछी हुई है. बारिश नहीं हुई थी तो ऐसी स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाती.

मानसून की बेरुखी ने किसानों की बढ़ाई चिंता

मानसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी थी. अकाल की आहट और आशंका से किसान परेशान रहे लेकिन 4 दिनों से जिला और प्रदेश में बारिश अच्छी हो रही है. जिससे किसान भी खुश हैं और खेतों में लहलहा रही फसलों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

खेतों में पर्याप्त पानी मौसम आधारित फसलों को अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन अगर इस बीते सप्ताह पानी नहीं गिरता तो फसलों को काफी नुकसान हो जाता. एक सप्ताह से हो रही बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. बेहतर खेती की उम्मीद बढ़ गई है.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक?

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक जून-जुलाई-अगस्त में हुई बारिश से नमी बनी हुई थी. जितनी पानी की जरूरत थी वह धान की फसल को मिल चुका है. अभी जो वर्षा हुई वह आने वाले 1 महीने के के लिए खेतों में नमी बनाए रखेगा. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो इस बार औसत से ज्यादा धान का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अच्छी हो सकती है. सिंचित खेती के साथ ही मौसम आधारित फसलों की पैदावार अच्छी रहेगी.

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम में आए परिवर्तन में धान की खेती के लिए वरदान साबित हो रहा है. क्योंकि धान की खेती को जब-जब जितने पानी की आवश्यकता पड़ी है वर्षा उस समय उतना ही हुआ है. बिलासपुर जिले में पूरे साल लगभग 1230 मिलीमीटर वर्षा होती है. जिसमें 75 फीसदी मानसून में हो जाती है और इस बार 75 फीसदी वर्षा होने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम जिस तरह कम दबाव वाला क्षेत्र बना रहा है. उस हिसाब से जिले में पर्याप्त बारिश होगी और धान की फसलों के लिए यह अमृत साबित होगा.

बिलासपुर: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले तीन चार-दिनों से बारिश (Rain) हो रही है. जिससे अब किसानों के चेहरे खिलने लगे हैं. क्योंकि धान की फसल (Paddy Crop) को नुकसान होता उससे पहले ही मौसम ने करवट ली और झमाझम पानी बरस (Rain Water) गया. वहीं किसान (Farmer) इस बारिश को धान की फसलों के लिए 'अमृत' मान रहे हैं.

धान की बेहतर खेती की बढ़ी उम्मीदें

दरअसल कुछ दिनों में मानसून की बेरुखी के चलते बिलासपुर में सूखा (Dry in Bilaspur) पड़ा हुआ था. धान की फसल के लिए खेतों में पर्याप्त पानी नहीं था. रूपा पद्धति (Form Method) से खेती करने वाले किसानों के पास या तो अपनी खुद की सिंचाई सुविधा है या फिर नहर से मिलने वाले पानी के भरोसे रहते हैं. नहर के भरोसे रोपा लगाने वाले किसानों की संख्या में जिले में ज्यादा है.

वहीं खूंटाघाट जलाशय (Khutaghat Reservoir) से पानी छोड़ा गया है. जलाशय का पानी छोड़े जाने से टेल एरिया (Tail Area) तक पानी पहुंच नहीं पा रहा है. मस्तूरी ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों की स्थिति कुछ ऐसा ही है. टेल एरिया के गांव तक अभी नहर का पानी नहीं पहुंचा है. इसके चलते खेतों में पानी नहीं है. राहत वाली बात यह है कि खेत अभी सूखे नहीं है और नमी बरकरार है. धान के पौधों में हरियाली बिछी हुई है. बारिश नहीं हुई थी तो ऐसी स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रह पाती.

मानसून की बेरुखी ने किसानों की बढ़ाई चिंता

मानसून की बेरुखी ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी थी. अकाल की आहट और आशंका से किसान परेशान रहे लेकिन 4 दिनों से जिला और प्रदेश में बारिश अच्छी हो रही है. जिससे किसान भी खुश हैं और खेतों में लहलहा रही फसलों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

खेतों में पर्याप्त पानी मौसम आधारित फसलों को अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन अगर इस बीते सप्ताह पानी नहीं गिरता तो फसलों को काफी नुकसान हो जाता. एक सप्ताह से हो रही बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. बेहतर खेती की उम्मीद बढ़ गई है.

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक?

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक जून-जुलाई-अगस्त में हुई बारिश से नमी बनी हुई थी. जितनी पानी की जरूरत थी वह धान की फसल को मिल चुका है. अभी जो वर्षा हुई वह आने वाले 1 महीने के के लिए खेतों में नमी बनाए रखेगा. कृषि वैज्ञानिकों की माने तो इस बार औसत से ज्यादा धान का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अच्छी हो सकती है. सिंचित खेती के साथ ही मौसम आधारित फसलों की पैदावार अच्छी रहेगी.

कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम में आए परिवर्तन में धान की खेती के लिए वरदान साबित हो रहा है. क्योंकि धान की खेती को जब-जब जितने पानी की आवश्यकता पड़ी है वर्षा उस समय उतना ही हुआ है. बिलासपुर जिले में पूरे साल लगभग 1230 मिलीमीटर वर्षा होती है. जिसमें 75 फीसदी मानसून में हो जाती है और इस बार 75 फीसदी वर्षा होने की उम्मीद है. क्योंकि मौसम जिस तरह कम दबाव वाला क्षेत्र बना रहा है. उस हिसाब से जिले में पर्याप्त बारिश होगी और धान की फसलों के लिए यह अमृत साबित होगा.

Last Updated : Sep 13, 2021, 5:00 PM IST
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