गौरेला पेंड्रा मरवाही: जनपद पंचायत पेंड्रा में फर्जी दस्तावेजों के जरिए पुलिया निर्माण कार्य ग्राम पंचायत में नहीं किया गया. इसके बदले नगर पंचायत क्षेत्र में निर्माण कराए जाने के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई की है. जिसमें परियोजना निदेशक ने 5,35,094 रुपये वसूली करने का आदेश दिया है. ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक, तात्कालिक एसडीओ और तकनीकी सहायक से वसूली की जाएगी. जिसके बाद विभाग में हड़कंप मच गया.
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जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, मामला पेंड्रा जनपद के बचारवार ग्राम पंचायत का है. जनपद पंचायत पेंड्रा के अधिकारी-कर्मचारियों ने ठेकेदार को काम दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाया. जिसके के आधार पर बचारवार गांव से एक प्रस्ताव बनवाया गया. जिसमें ग्राम पंचायत बचारवार से कोटखर्रा मार्ग पर तिपान नाला में 20 लाख रुपयों की लागत से पुल निर्माण कराया जाना तय हुआ. पुल निर्माण कार्य मनरेगा से होना था, जिसके कारण तत्काल अधिकारियों ने भी प्रस्ताव के आधार पर पुलिया की स्वीकृति दे दी और काम भी शुरू हो गया.
ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक बचारवार गांव के राजस्व रिकॉर्ड के खसरा नंबर 1932 में तिपान नाले में 20 लाख की लागत से पुल निर्माण कार्य कराया जाना था. ग्राम पंचायत में पुलिया न बनाते हए नगर पंचायत पेण्ड्रा के वार्ड 1 में निर्माण कार्य कराया जा रहा है. कागजों में मनरेगा के तहत पुलिया निर्माण कार्य जारी है. पुल निर्माण कार्य में मनरेगा के तहत लगभग 1 लाख रुपयों का मजदूरी भुगतान भी कर दिया गया.
मामले की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारियों से शिकायत की. तो वो भी हैरान हो गए. अधिकारी जांच करने मौके पर पहुंचे. जिस जगह का दस्तावेज का प्रस्ताव दिया गया था, वहां पर कोई भी पुलिया नहीं मिला. अधिकारियों ने उसके बाद ग्राम पंचायत से आए प्रस्ताव को खंगाला. तब पता चला कि ठेकेदार को लाभ दिलाने की नीयत से ग्राम पंचायत बचारवार में पुलिया निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव जनपद में दिया गया था. इस मामले में फर्जी दस्तावेज लगाकर काम दूसरे जगह पर शुरू करा दिया गया.
इतना ही नहीं मामले का खुलासा होने के बाद तात्कालिक सीईओ द्वारा काम बन्द करा दिया गया. मौका मिलते ही जनपद पंचायत के अधिकारी कर्मचारी 1 लाख रुपये के मनरेगा मजदूरी के भुगतान के बाद लगभग 4 लाख रुपयों की सामग्री का भुगतान भी कर दिया. हालांकि मामले में जांच सही पाने के बाद पांच लाख से अधिक की वसूली अधिकारी और कर्मचारियों से की जाएगी. वसूली की राशि राज्य रोजगार गारन्टी के खाते में जमा कर 7 दिनों के अंदर आदेश को पूरा किया जाएगा.