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Eye Care In Monsoon: मानसून में आंखों की देखभाल ऐसे करें, कभी नहीं होगा कंजक्टिवाइटिस

मौसम में मामूली बदलाव का भी सीधा असर हमारे शरीर पर दिखता है. भीषण गर्मी के बाद अब मानसून की आमद भी कुछ ही दिनों में होने वाली है. ऐसे में शरीर के सबसे सेंसिटिव अंगों में से एक आंख की विशेष देखभाल बेहद जरूरी है. कंजक्टिवाइटिस सबसे कॉमन आई डिजीज है, जो मौसम में बदलाव की वजह से होता है. लेकिन आप सेल्फ केयर कर इस बीमारी से बहुत आसानी से बच सकते हैं.

Eye Care In Monsoon
मानसून में आंखों की देखभाल
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Published : Jun 15, 2023, 9:50 PM IST

मानसून में आंखों की देखभाल

बिलासपुर: आने वाले कुछ ही दिनों में छत्तीसगढ़ में मानसून प्रवेश कर जाएगा. ऐसे में मौसम के बदलने से कई तरह के मौसमी बिमारियों के बढ़ने का भी खतरा रहता है. अभी मानसून पूरी तरह से आया नहीं है, लेकिन लगातार मौसम बदल रहा है. इस वजह से आखों में कंजेक्टिवाइटिस का खतरा बना रहता है. कंजक्टिवाइटिस ना हो इसके लिए क्या करना चाहिए और अगर हो जाए तो क्या सावधानी रखनी चाहिए. इस समस्या को लेकर क्या सलाह देते है आंख के डॉक्टर. आइये जानते हैं.

कंजेक्टिवाइटिस क्या होता है: मानसून की शुरुआत में रुक रुक कर बारिश होती है. फिर कई दिनों तक बारिश नहीं होती, जिस वजह से मौसम में उमस की समस्या बढ़ जाती है. एक तरफ जहां चिपचिपी गर्मी लोगों को परेशान करती है. वहीं इस गर्मी से आंखों में कंजक्टिवाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है. कंजेक्टिवाइटिस में आंखें लाल हो जाती है और दर्द महसूस होने लगता है.

उमस भरा मौसम आंखों के लिए घातक: उमस भरी गर्मी में शरीर से पसीना ज्यादा निकलता है और बेचैनी होती है. इसके साथ ही उमस से आंखों में ज्यादा प्रभाव पड़ता है. गरम ठंडा होने की वजह से आंख में समस्या होने लगती है. आंखों में जलन होता है, रेडनेस होती है और इससे खुजली भी होती है. उमस भरी गर्मी होने पर जहां शरीर में इसका प्रभाव पड़ता है, वह सबसे ज्यादा प्रभाव आंखों में होता है और इसके प्रभाव का असर यह रहता है कि आंखों में कंजेक्टिवाइटिस हो जाती है जिससे बचने के कुछ तरीके अपना कर आंखों को देखभाल की जा सकती हैं.

"यदि कंजेक्टिवाइटिस हो जाए, तो बाजार में सामान्य रूप से आई ड्रॉप आता है, जिसे 4-4 घंटे के अंतराल में डालते रहना चाहिए. इसके अलावा ठंडे पानी से आंखों को धोना चाहिए. ध्यान रखना चाहिए कि आंखों की पुतली में सफेदी पर ना आए. यदि पुतली सफेदी पर आ जाए, तो फिर आप समझ जाएं कि आपके आंखों में इंफेक्शन ज्यादा है और आपको आंखों के डॉक्टर को दिखाना चाहिए. यह आंखों में अल्सर की समस्या होने की निशानी है. अल्सर से आंखों की रोशनी चली जाती है और आप अंधेपन के शिकार हो सकते हैं." - एलसी मंढरिया, आई स्पेशलिस्ट

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डॉक्टर देते हैं ये सलाह: मानसून के शुरुआत में ही यदि आप सतर्कता बरतें तो कंजेक्टिवाइटिस की समस्या से आपको नहीं जूझना पड़ेगा. इसके लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि जैसे ही मानसून की शुरुआत हो समय-समय पर आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए. इसके साथ ही बाहर निकलने से पहले दो से तीन गिलास पानी पीना चाहिए. पानी पीने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है कि इससे आंखों में ड्राइनेस की समस्या नहीं होती और आंखों का गीला होना बहुत जरूरी होता है. ड्राइनेस की समस्या से आंखों में कई और भी बीमारियां होती है. इससे बचने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए. रोजाना ठंडे पानी से नहाना चाहिए. कंजेक्टिवाइटिस से बचने का सबसे अच्छा और सबसे सरल इलाज यह है कि घर से बाहर निकलते समय सनग्लास का उपयोग करें.

मानसून में आंखों की देखभाल

बिलासपुर: आने वाले कुछ ही दिनों में छत्तीसगढ़ में मानसून प्रवेश कर जाएगा. ऐसे में मौसम के बदलने से कई तरह के मौसमी बिमारियों के बढ़ने का भी खतरा रहता है. अभी मानसून पूरी तरह से आया नहीं है, लेकिन लगातार मौसम बदल रहा है. इस वजह से आखों में कंजेक्टिवाइटिस का खतरा बना रहता है. कंजक्टिवाइटिस ना हो इसके लिए क्या करना चाहिए और अगर हो जाए तो क्या सावधानी रखनी चाहिए. इस समस्या को लेकर क्या सलाह देते है आंख के डॉक्टर. आइये जानते हैं.

कंजेक्टिवाइटिस क्या होता है: मानसून की शुरुआत में रुक रुक कर बारिश होती है. फिर कई दिनों तक बारिश नहीं होती, जिस वजह से मौसम में उमस की समस्या बढ़ जाती है. एक तरफ जहां चिपचिपी गर्मी लोगों को परेशान करती है. वहीं इस गर्मी से आंखों में कंजक्टिवाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है. कंजेक्टिवाइटिस में आंखें लाल हो जाती है और दर्द महसूस होने लगता है.

उमस भरा मौसम आंखों के लिए घातक: उमस भरी गर्मी में शरीर से पसीना ज्यादा निकलता है और बेचैनी होती है. इसके साथ ही उमस से आंखों में ज्यादा प्रभाव पड़ता है. गरम ठंडा होने की वजह से आंख में समस्या होने लगती है. आंखों में जलन होता है, रेडनेस होती है और इससे खुजली भी होती है. उमस भरी गर्मी होने पर जहां शरीर में इसका प्रभाव पड़ता है, वह सबसे ज्यादा प्रभाव आंखों में होता है और इसके प्रभाव का असर यह रहता है कि आंखों में कंजेक्टिवाइटिस हो जाती है जिससे बचने के कुछ तरीके अपना कर आंखों को देखभाल की जा सकती हैं.

"यदि कंजेक्टिवाइटिस हो जाए, तो बाजार में सामान्य रूप से आई ड्रॉप आता है, जिसे 4-4 घंटे के अंतराल में डालते रहना चाहिए. इसके अलावा ठंडे पानी से आंखों को धोना चाहिए. ध्यान रखना चाहिए कि आंखों की पुतली में सफेदी पर ना आए. यदि पुतली सफेदी पर आ जाए, तो फिर आप समझ जाएं कि आपके आंखों में इंफेक्शन ज्यादा है और आपको आंखों के डॉक्टर को दिखाना चाहिए. यह आंखों में अल्सर की समस्या होने की निशानी है. अल्सर से आंखों की रोशनी चली जाती है और आप अंधेपन के शिकार हो सकते हैं." - एलसी मंढरिया, आई स्पेशलिस्ट

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डॉक्टर देते हैं ये सलाह: मानसून के शुरुआत में ही यदि आप सतर्कता बरतें तो कंजेक्टिवाइटिस की समस्या से आपको नहीं जूझना पड़ेगा. इसके लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि जैसे ही मानसून की शुरुआत हो समय-समय पर आंखों को ठंडे पानी से धोना चाहिए. इसके साथ ही बाहर निकलने से पहले दो से तीन गिलास पानी पीना चाहिए. पानी पीने का सबसे अच्छा फायदा यह होता है कि इससे आंखों में ड्राइनेस की समस्या नहीं होती और आंखों का गीला होना बहुत जरूरी होता है. ड्राइनेस की समस्या से आंखों में कई और भी बीमारियां होती है. इससे बचने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए. रोजाना ठंडे पानी से नहाना चाहिए. कंजेक्टिवाइटिस से बचने का सबसे अच्छा और सबसे सरल इलाज यह है कि घर से बाहर निकलते समय सनग्लास का उपयोग करें.

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