बिलासपुर: गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच हुई झड़प के बाद से पूरे देश में चीन के खिलाफ गुस्सा है. इस घटना में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन की इस हरकत के बाद से पूरे देश में चाइनीज सामान का बहिष्कार किया जा रहा है. इस मामले में विदेश नीति के जानकार और समाजवादी चिंतक आनंद मिश्रा से ETV भारत ने खास बातचीत की है. उनका कहना है कि भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर भले ही फिलहाल दोनों ही पड़ोसी राष्ट्रों के बीच समझौतावादी और तनाव टालने की स्थिति क्यों ना बन गई हो, लेकिन जरूरत है कि भारत,चीन के प्रति अपना ठोस नजरिया स्पष्ट करे. भारत दो राष्ट्रों के बीच एक खास रुख स्पष्ट करे और अपनी सीमा से हरगिज़ समझौता ना करे.
आनंद मिश्रा ने कहा कि पड़ोसी राष्ट्र चीन के प्रति हमारा नजरिया साफ और स्पष्ट हो तो अच्छा है. आज के समय में न तो कोई किसी का स्थाई दोस्त है और ना दुश्मन. हर देश अपनी अर्थव्यवस्था,राजनीतिक व्यवस्था और व्यक्तिगत हित को ध्यान में रखते हुए उसके अनुरूप राजनीति और कूटनीति अपनाता है. आनंद मिश्रा का कहना है कि देश को केंद्र में रखते हुए हमे हमारी आवश्यकताओं को समझना होगा. हमें विश्व के सुपर पावर देशों के इशारों पर नहीं, बल्कि अपनी कूटनीति खुद तैयार करनी होगी.
'यह मानकर न चलें की चीन अपने दावे भूल चुका है'
क्या पड़ोसी राष्ट्र चीन से संबंध में आई तल्ख़ी को सही डिप्लोमेसी मानते हैं, इस सवाल पर समाजवादी चिंतक मिश्रा का कहना है कि यह सही नहीं है. चीन का अपना नजरिया स्पष्ट है और वो कई बार सिक्किम, लद्दाख, नेपाल, अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश करता रहा है. आनंद मिश्रा का कहना है कि चीन एक कूटनीति के तहत अपने चाल को अंजाम देता है, हमें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि वो अपने दावों को भूल चुका है. हमें भी इसी आधार पर अपनी कूटनीति तय करनी चाहिए. हम लगातार धोखा खाए हैं और इस बार धोखा ना खाने का दावा कर रहे हैं.
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'वर्तमान में पड़ोसी देशों से हमारे संबंध ठीक नहीं रहे'
आनंद मिश्रा ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि वर्तमान में पड़ोसी देशों से हमारे संबंध ठीक नहीं रहे. बंग्लादेश से हमारी मित्रता अच्छी थी. वर्तमान में बंग्लादेश से भी रिश्ता अनुकूल नहीं है और श्रीलंका से भी रिश्ते सुधरे नहीं हैं. चीन से स्थिति विपरीत बनी ही हुई है और नेपाल से भी दोस्ती बिगड़ी हुई नजर आ रही है. पाकिस्तान से कभी भी भारत के संबंध अच्छे नहीं रहे. ऐसे में यह सोचने का विषय है कि पड़ोसी राष्ट्रों में आखिर हमारा मित्र और शुभचिंतक राष्ट्र बचा कौन ?
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'ठोस रणनीति के साथ देश को आगे बढ़ाना होगा'
आनंद ने कहा कि चीन अभी भी मैकमोहन लाइन को नहीं मानता है. अब जरूरत है कि हमें हमारे रुख को स्पष्ट करके चलना होगा और चीन से दो टूक बात करनी चाहिए. हमें हमारे सीमा से कतई समझौता नहीं करना चाहिए. तिब्बत के मसले पर भी चीन का रुख समझना होगा. देश को अपनी जमीन से कोई समझौता नहीं करना चाहिए. इस ठोस रणनीति के साथ देश को आगे बढ़ाना होगा.
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हाल ही में भारत के अंदर चीन की तरफ से 40 से 60 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करने की बात सामने आई थी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव ज्यादा बढ़ गया था. इस बात की पुष्टि सेना और विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयानों से भी हुई है, हालांकि प्रधानमंत्री ने जरूर एक बयान जारी कर यह कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुसा है और न ही हम किसी की सीमा में गए हैं. इस बीच मुठभेड़ के दौरान भारत के 20 जवान भी शहीद हुए थे. फिलहाल भारत, चीनी उत्पाद का विरोध करने और चीनी आयात को कम करने की नीति अपना रहा है.