बिलासपुर: शहर में पिछले तीन दिनों से शहर के कई वार्डो में स्ट्रीट लाइट बंद है. करोड़ों रुपए बिजली के बिल के नहीं जमा होने से पैसे बचाने का निगम के बिजली शाखा ने नया तरीका निकल लिया है. मासिक बिल काम करने हर रोज किसी न किसी वार्ड की बिजली काट दी जा रही है. निगम के अधिकारी इसका ठीकरा बिजली विभाग पर फोड़ते है. साथ ही खराबी आने की बात कहकर खुद को बचा रहे हैं. बिजली विभाग के 80 से 90 करोड़ रुपए अब भी बकाया है. कभी भी बिजली विभाग निगम के स्ट्रीट लाइट और कार्यालयों की बिजली काट (Electricity bill payment of crores stuck) सकता है. Bilaspur Municipal Corporation
बकाया भुगतान को लेकर बिजली विभाग और निगम आमने सामने: नगर निगम शहर विकास के साथ ही शहर की सड़कों को अंधेरे से बचाने बिजली खम्बो में लाइट लगाकर राहगीरों को सुविधा पहुंचता है. अपने कार्यालयों में कामकाज को सुचारू रूप से चलाने बिजली की व्यवस्था करता है. इस व्यवस्था के लिए निगम को भारी भरकम बिजली का बिल भी आता है. लेकिन निगम कभी भी बिजली विभाग को पूरा बिल जमा नहीं करता. जिससे नाराज होकर बिजली विभाग कभी निगम के कार्यालयों के बिजली कनेक्शन काटती है, तो कभी स्ट्रीट लाइट कनेक्शन.
सालों से पूरा बिजली बिल जमा नहीं करता निगम: नगर निगम ने बिजली विभाग को सालों से पूरा बिजली बिल जमा नहीं करती है. साल में तीसरी बार बिजली विभाग स्ट्रीट लाइट के कनेक्शन काटने की तैयारी कर रहा है. 80 से 90 करोड़ रूपये बिल के जमा नहीं होने से बिजली विभाग अब गली मोहल्लों के लाइटों का भी कनेक्शन काटने वाला है. बिजली विभाग के अधिकारी सहित निगम के अधिकारी इस मामले से खुद को अलग किये हुए हैं. कोई सही जवाब नहीं दे रहे. जनप्रतिनिधि भी पुरे मामले में खुद को बचा रहे. अधिकारी उन्हें सही जानकारी नही देते कहकर उनपर करवाई करने की बात कह रहे है.
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समय समय पर कनेक्शन काटकर करते हैं वसूली: छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीएसपीडीसीएल) के क्षेत्रीय अधिकारी सुरेश कुमार जांगड़े ने बताया कि "बिजली विभाग ने निगम के अप्रैल, मई महीने की वसूली निगम से की थी, जिसे शासन स्तर पर पैसा दिया गया था. लेकिन उसके बाद अब तक निगम की ओर से बिल जमा नहीं कराया गया. स्ट्रीट लाइट की लगभग 17 करोड रुपए और दूसरे संस्थान यानी कार्यालय, गार्डन और अन्य माध्यम से बिजली विभाग की बिजली उपयोग कर रही निगम की लगभग 65 करोड़ रुपए की राशि है. पिछली बार निगम ने 85 करोड़ रुपए की वसूली के लिए निगम के कई वार्ड और कार्यालयों की बिजली काट दी थी, जिसके बाद कुछ पैसे उन्हें मिले थे. इस बार भी यदि निगम बिजली बिल जमा जल्द नहीं करेगा, तो वैसे ही कार्रवाई इस बार भी की जा सकती है."
जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखने का आरोप: नगर निगम के महापौर रामशरण यादव ने बताया कि "स्ट्रीट लाइट का बिल लगभग 17 करोड़ रुपए पहुंच गया है. लेकिन अन्य विभागों और उद्यान के साथ ही दूसरे निगम के संस्थानों की बिल की जानकारी निगम के अधिकारी उन्हें नहीं देते हैं. क्योंकि निगम के अधिकारी इस मामले में जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखते हैं. जनप्रतिनिधियों के बिल के विषय में जानकारी लेने पर जानकारी इकट्ठा करने या नहीं मालूम होने जैसे कई बहाने बनाते हैं." महापौर रामशरण ने कहा कि "ऐसे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने वे शासन को पत्र लिखेंगे, जो आम जनता को मिल रही सुविधाओं को लेकर सजग नहीं है. उनकी वजह से जनता को तकलीफों का सामना करना पड़ता है."
आम जनता को होती है तकलीफ: आम जनता को दोनों ही विभाग के इस हरकत से अंधेरे में सड़क पर चलने में कई तकलीफ होती है. सड़को पर लाइट नही होने से सड़कों के साथ ही घरो में किसी अप्रिय घटना को लेकर वे चिंतित रहते है. घरो में चोरी की वारदात के भय और साथ ही असामाजिक तत्वों की हरकतों से पुरे समय आम राहगीर को डर बने रहती है. अंधेरे सड़को और गलियों में जाने से चैन स्नैचिंग जैसी घटनाएं कई बार सामने आ चुकी है इसके अलावा असामाजिक तत्व महिलाओ से छेड़खानी जैसी घटना को भी अंजाम देते रहते है.