बिलासपुर: पिछले कई सालों से लगातार लावारिस कुत्तों की बढ़ती आबादी ने आम जनता का सड़कों पर चलना मुश्किल कर दिया है. रोजाना ही हजारों लोग लावारिस कुत्तों के काटने और इनके हमला से बचने की कोशिश में दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. इस मामले में ना तो बिलासपुर प्रशासन कोई कार्रवाई करता है और ना ही राज्य सरकार इनकी बढ़ती आबादी पर नियंत्रण करता है.
बिलासपुर में कुत्तों का आतंक : छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों सहित बिलासपुर में लावारिस कुत्तों का आतंक इतना बढ़ गया है कि रात होते ही लोगों को सड़कों पर निकलने में डर लगने लगा है. यह कुत्ते अचानक ही वाहन चालकों पर हमला कर देते हैं और उनसे बचने के लिए राहगीर हड़बड़ा जाते है या कई बार गाड़ी तेज गति से भगाने पर दुर्घटना का शिकार हो जाते है. यह कुत्ते अचानक ही राहगीरों के पीछे आकर उन्हें काट लेते हैं. जिससे लोगों को कई परेशानियां हो जाती हैं. इस मामले में स्थानीय प्रशासन के अलावा राज्य सरकार भी उनके नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती. इस वजह से लाखों की तादाद में हर शहर में यह कुत्ते रात होते ही आतंक मचाना शुरू कर देते हैं.
यह भी पढ़ें: बिलासपुर सरकारी जमीन घोटाला मामला: रिक्शा चालक बना मोहरा, बड़े खिलाड़ी भी पुलिस के निशाने पर
गली हो या मुख्य मार्ग यह झुंड बनाकर घूमते हैं और अचानक ही लोगों पर हमला कर देते हैं. आम जनता अब इनसे परेशान है. उनकी आखिरी उम्मीद अब राज्य सरकार पर है, लेकिन राज्य सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं देती. आम लोगों ने बताया कि उनके साथ भी कई बार इस तरह की घटना घटी है और जिसके लिए उन्हें रेबीज के इंजेक्शन लगवाने पड़े हैं. इस मामले में जनप्रतिनिधि और अधिकारी बात तक करने को तैयार नहीं है. आम जनता ने आवारा कुत्तों की वजह से जो परेशानी झेली वह आपबीती हमें बताते हुए सरकार को कोसते रहे.
रोजाना डेढ़ सौ लोग होते है डॉग बाइट के शिकार: बिलासपुर शहर की बात करें तो डॉग बाइट के मामलों में इजाफा हुआ है. सिम्स मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में लगभग 50 से 75 लोग यहां रोजाना ही रेबीज के इंजेक्शन लगवाने पहुंचते हैं. इसके अलावा बाजार से खरीद कर निजी अस्पतालों में भी लोग रैबीज के इंजेक्शन लगवाते हैं. अगर पूरे जिले की बात करें तो लगभग डेढ़ सौ लोग रोजाना ही डॉग बाइट के शिकार हो रहे हैं. पूरे प्रदेश की अगर बात करें तो प्रदेश में 1,000 से लेकर 3000 लोग रोजाना ही कुत्तों के आतंक की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होते हैं. इतनी ही संख्या में डॉग बाइट के शिकार भी होते हैं. जल्द ही सरकार लावारिस कुत्तों की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण नहीं करती है तो यह समस्या विकराल रूप ले लेगी और लोगों का राज्य के शहरीय इलाकों की सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा.