बिलासपुर: बिलासपुर में जिला स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलंपिक शुरू हो गया है. इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया है. नगरीय क्षेत्र के साथ साथ इसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी हिस्सा ले रहे हैं. इस आयोजन को 6 अक्टूबर से 6 जनवरी 2023 तक पूरे राज्य में किया जा रहा है. जिले में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का जिला स्तरीय आयोजन राजा रघुराज सिंह स्टेडियम और बीआर यादव राज्य खेल प्रशिक्षण केंद्र बहतराई में शुरू किया गया है. जिसमें पहले दिन खिलाड़ियों ने अपने परंपरागत खेलों के प्रति रुझान दिखया और अपने जौहर से अपनी छत्तीसगढ़िया होने की पहचान बताई.
छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में क्या है खास: इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक 14 खेल विधाओं में प्रतियोगिताएं शुरू कर दी गई है. जिला स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलम्पिक के विभिन्न खेल विधाओं में लगभग 1740 प्रतिभागी अपने खेल का जौहर दिखाएंगे. शुक्रवार को बिलासपुर के राजा रघुराज सिंह स्टेडियम में सवेरे 10 बजे से फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा, बिल्लस, पिट्टूल में 210 प्रतिभागियों ने अपना जौहर दिखाया. इसी तरह 19 नवम्बर को बांटी एवं गिल्ली डंडा में 270 प्रतिभागी, 20 नवम्बर को खो-खो में 360 प्रतिभागी, 21 नवम्बर को रस्साकस्सी में 270 प्रतिभागी, 22 नवम्बर को संखली में 210 प्रतिभागी, 23 नवम्बर को बहतराई में दौड़, लंबी कूद, लंगडी दौड़ में 120 प्रतिभागी एवं 24 नवम्बर को कबड्डी में 300 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे.
पारंपरिक खेलों में बढ़ी लोगों की रूचि: लगभग 14 खेल ऐसे हैं जिसे छत्तीसगढ़ में पारंपरिक खेलों के नाम से जाना जाता है. इन खेलों को आज की नई पीढ़ी शायद जानती तक नहीं है और इसे खेलने वाले लोग अब इसे भूलने भी लग गए थे. लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन खेलों को छत्तीसगढ़ी ओलंपिक खेलों में शामिल कर, इसे दोबारा जिंदा किया है. अब धीरे धीरे लोगों की रूचि इस तरह के खेल में बढ़ रही है