बिलासपुर: छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल चुनाव 2014 में कथित तौर पर हुई गड़बड़ी के मामले में काउंसिल की पूर्व सचिव मल्लिका बल की गिरफ्तारी के खिलाफ पेश अवमानना याचिका को लेकर डीजीपी डीएम अवस्थी हाईकोर्ट में पेश हुए. उन्होंने हाईकोर्ट में गलती की बात स्वीकार की. इसके अलावा इस मामले में उन्होंने आगे कोई कार्रवाई नहीं करने की भी अंडर टेकिंग दी है. हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई है, साथ ही फैसला भी सुरक्षित रख लिया है.
क्या है मामला
साल 2014 में छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल का चुनाव हुआ था. चुनाव में मतपत्रों की गिनती के दौरान कुछ उम्मीदवारों ने मतपत्रों से छेड़छाड़ और टेंपरिंग करने का आरोप लगाया था. इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ताओं को इलेक्शन ट्रिब्यूनल जाने के निर्देश दिए. इलेक्शन ट्रिब्यूनल ने शिकायतों की जांच के बाद मतपत्रों से कोई छेड़छाड़ नहीं होने और ना ही टेंपरिंग किए जाने की रिपोर्ट दी. 5 साल पुराने इस मामले में सिविल लाइन पुलिस ने परिषद् की पूर्व सचिव मल्लिका बल को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल दाखिल किया था.
मल्लिका बल पर हुई इस कार्रवाई के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पुलिस ने गलत तरीके से कार्रवाई की है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने मामले में डीजीपी DM अवस्थी, IG बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर और सिविल लाइन टीआई को तलब किया था. इस मामले में डीजीपी अवस्थी, आईजी बिलासपुर, पुलिस अधीक्षक बिलासपुर, सहित अन्य अधिकारी कोर्ट में पेश हुए थे.
सुनवाई के दौरान डीजीपी DM अवस्थी की ओर से कहा गया कि विधि अभिमत प्राप्त करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है. इसमें पुलिस से कुछ गलती हुई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस केस में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. मामले को खात्मा खारिज के लिए भेजा जाएगा. डीजीपी के बयान के बाद कोर्ट ने कार्रवाई को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई है, साथ ही गलत अभिमत देने वाले एडवोकेट को भी चेतावनी दी गई है. मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजनीश सिंह बघेल, भरत लोनिया सहित कई वकील उपस्थित थे.