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यहां कागजों में तालाब की निगरानी कर रहा है 'भूत', हर महीने मिल रही है सैलरी - बिलासपुर

बसाये गए मछुआरे बताते हैं, 1993 से कोई भी जिम्मेदार उनकी सुध लेने नहीं आया है, लेकिन कागजों में हर साल उनको खुशहाल और तालाबों को सुंदर और पानी से भरा बता दिया जाता है.

सरकारी कागजों में विकास
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Published : Jun 5, 2019, 12:44 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 1:56 PM IST

बिलासपुर: तखतपुर विधानसभा के सूरीघाट में सरकार ने मछुआरों को रोजगार और अच्छी जिंदगी देने के लिए 1992-93 में मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र की स्थापना की थी. जहां 100 मछुआरे परिवार को बसाया गया था. कागजों में आज भी यहां के तालाब लबालब भरे हैं और सभी मछुआरे इसमें मछली पालन कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

सरकारी कागजों में विकास

यहां बसाये गए मछुआरे बताते हैं, 1993 से कोई भी जिम्मेदार उनकी सुध लेने नहीं आया है लेकिन कागजों में हर साल उनको खुशहाल और तालाबों को सुंदर और पानी से भरा बता दिया जाता है. अब हालात ये गए हैं कि, थोड़ी गर्मी पड़ते ही तालाब का पानी सूख जाता है. जिम्मेदारों ने तालाब में पानी के लिए बोरवेल भी लगवाया था, लेकिन वो भी खराब पड़ा है.

जिम्मेदारों ने उड़ाई योजना की धज्जियां
स्थानीय बताते हैं सरकार ने इस योजना को जितनी शिद्दत से लागू करने की कोशिश की, उतनी ही शिद्दत से जिम्मेदारों ने इसका मजाक बना दिया है. इस योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से 16 एकड़ जमीन पर 20 तालाब बनाये गए हैं. बरसात के अलावा तालाब में पानी भरने के लिए बोरवेल लगाया गया था, लेकिन जिम्मेदारों की मनमानी और लापरवाही से बेकार हो गया है. कभी लबालब भरे तालाब में आज दरारें पड़ी है. मामले में अधिकारियों से कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन अधिकारियों ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.

चौकीदार को किसी ने नहीं देखा
मछुआरे बताते हैं, यहां केंद्र तो बना है, लेकिन भवन की हालात जर्जर है. तालाब सूखे पड़े हैं. बोरवेल खराब है. तालाबों की सुरक्षा के लिए न तो तार लगाये गए हैं और न ही दीवार. तालाब के चारों ओर पौधे लगाये गए थे, लेकिन आज एक भी पेड़ नहीं दिख रहा है. तालाबों की पहरेदारी के लिए एक चौकीदार रखा गया था, जिसे आज भी हर महीने सैलरी मिल रही है, लेकिन किसी ने आज तक उसे चौकीदारी करते नहीं देखा.

बिलासपुर: तखतपुर विधानसभा के सूरीघाट में सरकार ने मछुआरों को रोजगार और अच्छी जिंदगी देने के लिए 1992-93 में मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र की स्थापना की थी. जहां 100 मछुआरे परिवार को बसाया गया था. कागजों में आज भी यहां के तालाब लबालब भरे हैं और सभी मछुआरे इसमें मछली पालन कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

सरकारी कागजों में विकास

यहां बसाये गए मछुआरे बताते हैं, 1993 से कोई भी जिम्मेदार उनकी सुध लेने नहीं आया है लेकिन कागजों में हर साल उनको खुशहाल और तालाबों को सुंदर और पानी से भरा बता दिया जाता है. अब हालात ये गए हैं कि, थोड़ी गर्मी पड़ते ही तालाब का पानी सूख जाता है. जिम्मेदारों ने तालाब में पानी के लिए बोरवेल भी लगवाया था, लेकिन वो भी खराब पड़ा है.

जिम्मेदारों ने उड़ाई योजना की धज्जियां
स्थानीय बताते हैं सरकार ने इस योजना को जितनी शिद्दत से लागू करने की कोशिश की, उतनी ही शिद्दत से जिम्मेदारों ने इसका मजाक बना दिया है. इस योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से 16 एकड़ जमीन पर 20 तालाब बनाये गए हैं. बरसात के अलावा तालाब में पानी भरने के लिए बोरवेल लगाया गया था, लेकिन जिम्मेदारों की मनमानी और लापरवाही से बेकार हो गया है. कभी लबालब भरे तालाब में आज दरारें पड़ी है. मामले में अधिकारियों से कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन अधिकारियों ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.

चौकीदार को किसी ने नहीं देखा
मछुआरे बताते हैं, यहां केंद्र तो बना है, लेकिन भवन की हालात जर्जर है. तालाब सूखे पड़े हैं. बोरवेल खराब है. तालाबों की सुरक्षा के लिए न तो तार लगाये गए हैं और न ही दीवार. तालाब के चारों ओर पौधे लगाये गए थे, लेकिन आज एक भी पेड़ नहीं दिख रहा है. तालाबों की पहरेदारी के लिए एक चौकीदार रखा गया था, जिसे आज भी हर महीने सैलरी मिल रही है, लेकिन किसी ने आज तक उसे चौकीदारी करते नहीं देखा.

Intro:Body:स्पेशल रिपोर्ट -
मछवारे परिवारों को नहीं मिल रहा मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र का लाभ,1992-93 में सरकार ने बसाया था मछवारे परिवार। अब है सरकारी कागजों में विकास, जमीनी हकीकत कुछ और, चौकीदार गायब पर भुगतान पूर्ण ,लीपापोती में चल रहा मछली सरकार । यह कहानी है तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र सूरीघाट की है। तत्कालीन सरकार के द्वारा लगभग 100 परिवार के मछवारे के लिए 1992 में स्थापित मत्स्य बीज पालन परिक्षेत्र की है । लगभग 16 एकड़ जमीन में फैला यह मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र में 20 तालाब मछली बीज परिपालन के लिए तैयार किया गया है।
अधिकारियों कर्मचारियों के उपेक्षा का शिकार - स्थानीय लोगों से मिली जानकारी अनुसार 1992 -93 में बिलासपुर कलेक्टर के आदेश अनुसार मछवारे परिवार के जीवन यापन के लिए मछली बीज परिपालन क्षेत्र की व्यवस्था की गयी थी परन्तु वर्तमान समय में यह केन्द्र शासन प्रशासन द्वारा स्थाई व्यवस्था के अभाव में सरकारी राशि के दुरुपयोग का केन्द्र बना है।
कागजों में चल रहा केन्द्र का विकास - तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के एकमात्र मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र जिसकी स्थापना 1992-93 में हुई थी। तब से लेकर अब तक स्थानीय मछवारे परिवार का विकास तो नहीं परन्तु अधिकारी कर्मचारियों का कागजी विकास जरूर हो रहा है। मछवारे परिवार ने बताया पिछले कई वर्षों से केन्द्र में अनियमितताएं की शिकायत लगातार रहा है मगर कार्रवाई आउटपुट शून्य है, स्थानीय निवासी ने बताया पिछले वर्ष मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र में नाबालिग बच्चों से मत्स्य बीज निकालने का काम कराकर उन्हें कम राशि थमाकर निपटारा किया जाता है। उसका भुगतान मनरेगा के तहत कराया जाता है जिसकी जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त करने पर मिला है । बिलासपुर अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज करने के बाद भी प्रशासन द्वारा असंवैधानिक कार्य में लिप्त अधिकारी कर्मचारियों को संरक्षण दिया जाने का आरोप लगाया। स्थानीय निवासी ने बताया पिछले चार साल में नाबालिग बच्चों से मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र में बीज निकालने के लिए शिकायत चाईल्ड हेल्प केयर में की गई थी जिसके खानापूर्ती के लिए शिकायतकर्ता पिता पर ही मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र के कर्मचारी द्वारा झूठा मारपीट की शिकायत दर्ज की गयी है जिसका न्यायालयिन प्रक्रिया चल रहा है।
उल्टा चोर कोतवाल को डाटे - शिकायतकर्ता पिता ने कहा मेरे बच्चे को काम भी कराया और मेरे ऊपर ही फर्जी केस दर्ज कराया गया ऐसे में किस पर न्याय के लिए भरोसा करें।
केन्द्र के बोर वेल पम्प खराब - 16 एकड़ जमीन में पर्याप्त पानी सप्लाई के लिए बोरवेल किया गया है परन्तु वर्तमान समय में खराब है।
कांटा तार नहीं ना दीवार सुरक्षा - मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र में नर्सरी पौधों की सुरक्षा, जानवरों से सुरक्षा के लिए ना दीवार है और ना ही कांटातार का उपयुक्त प्रबन्ध है।
नर्सरी के पौधे पेड़ गायब - मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र में हरे भरे प्राकृतिक वातावरण के लिए पौधा रोपड़ किया गया था जो अब पेड़ बनकर तैयार होते वैसे ही पौधे गायब हो रहे है।
भवन जर्जर - केन्द्र में बना भवन पूर्ण रूप से जर्जर हो गया है। दीवार, खिड़की पूर्ण रूप से उपयोग के बाहर है।
पहरेदार नहीं - स्थानीय लोगों से मिली जानकारी अनुसार यहाँ के चौकीदार है परन्तु वह कभी कभी आता है कामकर चला जाता है, निरन्तर नहीं रहता है।
मछवारे परिवारों को नहीं मिल रहा लाभ - लोगों ने बताया यहाँ स्थानीय लोगों को काम में ना बुलाकर अन्य स्थानों के लोगों को मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र का काम और रोजगार दिया जाता है। स्थानीय लोगों ने बोला ऐसे रोजगार क्षेत्र में रहकर विकास के लिए, मूलभूत सुविधाएं के लिए तरसना पड़ रहा है। इस विषय में अधिकारी - ए शर्मा तखतपुर सूरीघाट मत्स्य बीज परिपालन क्षेत्र निरीक्षक से सम्पर्क करने की कोशिश की गयी परन्तु सम्पर्क नहीं हुआ जिससे वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं मिला।
रिपोर्ट नरेन्द्र ध्रुव तखतपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़। Conclusion:
Last Updated : Jun 5, 2019, 1:56 PM IST
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