बिलासपुर : सर्व आदिवासी समाज (sarv aadiwashi samaj ) ने मांग पूरी ना होने पर 15 अक्टूबर से रायपुर में धरना आंदोलन करने की चेतावनी दी (Demonstration of sarv aadiwashi samaj in Bilaspur) है. वहीं आदिवासी समाज के लोगों ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले से आदिवासी समाज के 32% आरक्षण कम हो कर 20% को गया.इस फैसले से प्रदेश में शैक्षणिक इंजीनिरिंग,मेडिकल,लॉ,उच्च शिक्षा और नई भर्तियों में आदिवासियों को बहुत नुकसान हो जाएगा. राज्य बनने के साथ ही 2001 मे आदिवासियों को 32%आरक्षण मिलना था. लेकिन नही मिला, केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जार निर्देश अनुसार जनसंख्या अनुरूवामी 32%एससी 12%और ओबीसी के लिए 6% C और D के पदों के लिए आरक्षण जारी किया गया था. छत्तीसगढ़ सरकार को बार बार निवेदन और आंदोलनों के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32%एससी12%एवं ओबीसी को 14% दिया गया.
समाज के मुताबिक अध्यादेश को हाईकोर्ट में अपील किया गया. लेकिन शासन द्वारा सही तथ्य नही रखने के कारण हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया. अभी तक राज्य शासन ने आदिवासियों के लिए कोई ठोस पहल नही किया गया है. इसके विपरीत शासन द्वारा सभी भर्तियों और शैक्षणिक संस्थाओं में आदिवासियों के लिए दुर्भावनापूर्ण आदेश जारी करने लगा.
छत्तीसगढ़ में 60%क्षेत्रफल पांचवी अनुसूचित के तहत अधिसूचित है जहां प्रशासन और नियंत्रण अलग होगा. अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या 70% से लेकर 90%से ज्यादा है. कई ग्रामों में 100% आदिवासियों की संख्या है. अनुसूचित क्षेत्रों में ही पूरी संपदा वन,खनिज है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक,आर्थिक, सामाजिक एवं राजनितिक रूप से पिछड़ा हुआ है. संवैधानिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बाहुल्य पिछड़े प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना है. प्रशासन की विफलता और षड्यंत्र है. छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा. Bilaspur latest news
क्या है सर्व आदिवासी समाज की मांगें
1.पेशा कानून नियम में ग्राम सभा का अधिकार कम ना किया जाए
2. बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की भर्ती में 100 प्रतिशत स्थानीय किया जाए.
3. हसदेव आरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोल खनन बंद किया जाए.
4. केंद्र के द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू ना किया जाए.