बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में सभी निजी अस्पतालों में कोरोना टेस्टिंग सेंटर को स्थापित करने की अनुमति देने की मांग करते हुए दायर की गई जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने निराकृत दिया है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वो संचालक स्वास्थ्य के सामने अपनी याचिका और हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी प्रस्तुत कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दस्तावेजों के पेश करने के बाद संचालक स्वास्थ्य मामले में उचित कार्रवाई करे.
दूसरे मरीज और मेडिकल स्टाफ का दिया था हवाला
याचिकाकर्ता डॉ. विकास अग्रवाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर छत्तीसगढ़ में सभी निजी अस्पतालों में कोरोना टेस्टिंग सेंटर स्थापित करने की मांग उठाई थी. अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ में 2000 से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है. देश में कोरोना की दूसरी लहर पहुंच रही है और रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सख्त मापदंड तय किए गए हैं, जिससे कोरोना टेस्टिंग कराने में लोगों को असुविधाएं और देरी हो रही है. इस तरह देरी होने से बीमारी और मौतें ज्यादा बढ़ सकती हैं . जिससे दूसरे मरीजों और मेडिकल स्टाफ को भी परेशानी हो सकती है.
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याचिकाकर्ता ने की थी कोरोना टेस्टिंग केंद्र स्थापित करने की मांग
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से छत्तीसगढ़ में और ज्यादा कोरोना टेस्टिंग केंद्र स्थापित किए जाने की मांग उठाई थी. पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने याचिका को निराकृत कर दिया है.