बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कोरोना संक्रमित मरीजों को लेकर नया खुलासा हुआ है. यहां ज्यादातर संक्रमितों की मौत खून के थक्के जमने के कारण हुई है. इसका पता लगाने के लिए संक्रमितों के खून की डी डायमर जांच की जाती है. समय रहते मरीजों के खून में जमे थक्कों को दवाइयों से ठीक किया जा सकता है. लेकिन सिम्स मेडिकल कॉलेज में चार साल बाद भी डी डायमर जांच की सुविधा शुरू नहीं हो सकी (D dimer test not started in Bilaspur Cims hospital ) है.
सिम्स में अब तक शुरू डी डायमर जांच शुरू नहीं: कोरोना महामारी की चौथी लहर ने देश में दस्तक दे दी है. कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर ने देश में कहर बरपाया है. कोरोना संक्रमण से मौत के आंकड़ों में काफी इजाफा हुआ था. जांच में पाया गया था कि संक्रमितों की मौत खून में थक्के जमने की वजह से हार्ट अटैक सहित कई समस्याओं की वजह से हुई. इसके बावजूद संभाग के सबसे बड़े अस्पताल सिम्स मेडिकल कॉलेज में डी डायमर जांच आज तक शुरू नहीं हो पाई है.
अबतक किट की व्यवस्था भी नहीं : कोरोना संक्रमित मरीजों को सबसे ज्यादा नुकसान खून के थक्के के बनने से होता है. खून में थक्के जमने से ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है. सिम्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की मानें तो गंभीर मरीजों के लिए यह जांच काफी महत्वपूर्ण है. जांच सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार को पत्र भी लिखा गया है. शासन ने अब तक किसी तरह की कवायद शुरू नहीं की है. डी डायमर जांच के लिए मशीन देना तो दूर अब तक किट की भी व्यवस्था नहीं की गई है.
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डी डायमर टेस्ट से लाभ: कोरोना के गंभीर मामलों में डी डायमर टेस्ट के माध्यम से रक्त के थक्के का पता लगाया जाता है. वायरस फेफड़ों में रक्त के थक्के बनाना शुरू कर देता है. इससे रक्त का प्रवाह बाधित होता है. मरीजों को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है. डी डायमर टेस्ट से डॉक्टर को इस स्थिति की जानकारी मिलती है और रोगी का इलाज किया जाता है.
कोरोना मरीजों को फायदा मिलेगा: कोरोना के मरीजों में ज्यादातर समस्या सांस को लेकर होती है. कोरोना संक्रमित मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है. अचानक हार्ट काम करना बंद कर देता है. कोरोना से ग्रसित मरीजों के लिए डी डायमर जांच अत्यधिक महत्वपूर्ण जांच है. समय रहते जांच हो जाए तो मरीज की जान बच सकती है. समय पर टेस्ट होने पर रक्त के थक्के का पता चलने पर डॉक्टर बेहतर उपचार कर सकते हैं.
निजी जांच सेंटर में 1100 रुपए में जांच: कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए डी डायमर टेस्ट अहम है. यह जांच निजी अस्पतालों में 1100 रुपए में होती है. गरीब मरीज पैसे न होने की वजह से यह जांच नहीं करवा पाते हैं. यही जांच अगर सिम्स अस्पताल में की जाएगी तो 200 रुपए से 250 रुपए में हो जाएगी. जिससे अधिकतर मरीजों की जान बच सकती है.
क्या कहते हैं सिम्स के अधिकारी: कोरोना महामारी को तीन साल से अधिक समय हो जाने के बाद भी कई अस्पतालों में इस तरह की मूलभूत सुविधाओं का न होना चिंता का विषय है. इस विषय में सिम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने बताया कि वह जानकारी लेकर बता पाएंगे कि यह जांच क्यों शुरू नहीं हो पाई है. यदि यह जांच महत्वपूर्ण है तो जल्द इसकी व्यवस्था की जाएगी.