बिलासपुर: आधुनिकता के इस दौर में, जहां अन्य क्षेत्रों में वृद्धि हुई है, वहीं साइबर अपराधों में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. साइबर अपराधी वारदातों को अंजाम देकर आसानी से बच जाते हैं. उसका सबसे बड़ा कारण है कि, पुलिसकर्मी को साइबर की पूरी तरह से जानकारी नहीं होती. यही कारण है कि, साइबर अपराधियों को लंबे समय तक पुलिस पकड़ने में असफल रहती है. इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने साइबर एक्सपर्ट गोविंद राय से चर्चा की.
पुलिस का भी हाईटेक होना बहुत जरूरी: बिलासपुर के साइबर एक्सपर्ट गोविंद राय ने बताया कि "हाईटेक टेक्नोलॉजी के दौर में पुलिस का भी हाईटेक होना बहुत जरूरी है. साइबर सेल के अभाव में पुलिस यह नहीं जान पाती कि, साइबर अपराध के मामले की छानबीन कहां से और कैसे शुरू करना है. पुलिस की यही कमजोरी अपराधियों के लिए मौका साबित होती है और वह आसानी से बच निकलते हैं. ऐसे में पुलिस अधिकारी को साइबर और तकनीक की जानकारी मिलनी चाहिए."
क्या कहते हैं सायबर एक्सपर्ट: साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि "आरोपियों द्वारा लगातार साइबर ठगी और साइबर अपराध किए जा रहे हैं. इन अपराधों में व्हाट्सएप, टेलीग्राम एप कॉल, ओएलएक्स, केवायसी, मेट्रोमोनीयकल, बैंकिंग स्कैम जैसे विभिन्न इंटरनेट कॉलिंग के माध्यम से अपराध हो रहे हैं. जिनकी निगरानी करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. अज्ञात आरोपियों की पहचान कर प्रभावी कार्रवाई करने, फाइनेंशिएल फ्रॉड वाले प्रकरणों में पीड़ित के खाता से पार किए गए पैसों को होल्ड कराने और उन्हें वापस प्रदान कराने जैसे कई चुनौतियां सामने आती हैं. इन चुनौतियों से एक ट्रेंड साइबर सेल ही पार पा सकता है. फिर प्रभावी ढंग से कार्रवाई कर अपराध को रोक सकता है."
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FIR दर्ज कर फौरन जांच शुरु करना जरूरी: बदलते दौर में साइबर अपराध के बढ़ते मामले और ठगी जैसे मामले आम होते जा रहे हैं. साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि "इन मामलों में साइबर क्राइम को गंभीरते से लिए जाने की जरूरत है. फौरन एफआईआर करने की जरूरत है. क्योंकि ऐसे अपराध में आरोपी अज्ञात होता है. वह अन्य जिला, अन्य राज्य या अन्य देश का हो सकता है. ऐसे देरी होने पर मामलों को सुलझाने में पुलिस को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है."
जांच अधिकारी की सक्रियता जरूरी: ऐसे मामले में जांच अधिकारी को, सबसे पहले समय रहते ठगी के शिकार हुए पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए. उसके खाते से निकाले गए पैसों को होल्ड कराना चाहिए. उसके बाद साइबर सेल के माध्यम से आने वाले कॉल को ट्रेस करना चाहिए. साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि "कई तकनीकी चीजें होती है, जिसका उपयोग करने से जानकारी लग जाती है कि कॉल कहां से आया है. उसके आईडी की जानकारी लेनी चाहिए, छोटे छोटे क्लू होते हैं, उसे ध्यान में रखकर जांच करना चाहिए. जिससे अपराधी का पता लगाया जा सकता है."
सायबर अपराध रोकने के लिए ट्रेनिंग जरूरी: साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि "सायबर अपराध के क्लू भी सायबर में ही होते है. जहां अपराधी सायबर के माध्यम से अपराध करते हैं, सायबर सेल उन्हें पकड़ने में मदद भी करती है. इसलिए साइबर की पूरी तरह से जानकारी होना बहुत जरूरी है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी ट्रेनिंग है. यदि जानकारी नहीं होगी, तो अपराध नहीं रुक पाएगा."
साइबर और तकनीक की ट्रेनिंग को गंभीरता से करने की जरूरत : सभी पुलिसकर्मियों को साइबर की ट्रेनिंग लेनी चाहिए. अपराध पर नियंत्रण पाने में यह ट्रेनिंग मददगार होता है. हालांकि पुलिस विभाग समय-समय पर साइबर की ट्रेनिंग का आयोजन करता है. लेकिन पुलिसकर्मी इसे केवल ड्यूटी मानते हैं और ट्रेनिंग के बाद उसका उपयोग नहीं करते. क्योंकि वह ट्रेनिंग में कुछ सीखना ही नहीं चाहते. यही कारण है कि, उन्हें अपराध सुलझाने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है."