बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में कई विशेष जनहित याचिकाओं पर न्याय मित्र की नियुक्ति हो चुकी है. न्याय मित्र याचिका की जांच के लिए खुद यथासंभव स्थान का जायजा लेते हैं.ताकि आवेदक और अनावेदक के बयानों को लेकर किसी भी तरह की कोई शंका ना रहे.न्यायमित्र की रिपोर्ट को ही कोर्ट सही मानकर फैसला सुनाती है.
कैसे चुना जाता है न्यायमित्र :छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के एडवोकेट और वर्तमान में दो मामलों में न्याय मित्र नियुक्त प्रतीक शर्मा ने बताया कि ''कोर्ट अपने सहयोग के लिए न्यायमित्र नियुक्त करती है. न्याय मित्र के रुप में ऐसे व्यक्ति का चयन करती है जो एडवोकेट, कानून के जानकार या किसी मामले से संबंधित जानकर हो. इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि व्यक्ति निष्पक्ष हो.जिसका आवेदक और अनावेदक से किसी प्रकार से कोई संबंध ना हो.क्योंकि ऐसे मामलों में न्याय मित्र की जांच रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण होती है.ऐसे लोगों को नियुक्त कर कोर्ट अपने सहयोग के लिए न्याय मित्र चुनती है और मामले की जानकारी लेती है."
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कोर्ट के लिए क्यों जरूरी है न्यायमित्र : न्यायमित्र प्रतीक शर्मा ने बताया कि '' जनहित के मुद्दे के साथ ही ऐसे कई विशेष मुद्दे होते हैं, जिसमें कोर्ट स्वयं ही मौका मुआयना या मामले से जुड़े स्थल पर जा नही सकती. इसलिए कोर्ट अपनी मदद के लिए न्याय मित्र नियुक्त करती है. इससे कोर्ट को मामले की वस्तुस्थिति की सही जानकारी मिलती है. कोर्ट कई मामलों में अब तक सैकड़ों बार न्याय मित्र नियुक्त कर चुकी है. न्यायमित्रों के रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट निर्णय लेती है, लेकिन एक बात यह भी है कि यह जरूरी नहीं है कि कोर्ट न्याय मित्र की रिपोर्ट को पूरी तरह से सही माने. यदि कोर्ट को लगे कि न्याय मित्र की रिपोर्ट सही नहीं है तो कोर्ट इस मामले में दोबारा न्याय मित्र नियुक्त कर सकती है.''