गौरेला पेंड्रा मरवाही : आपने अक्सर सड़कों पर ऐसे लोगों को घूमते हुए देखा होगा.जिनका शरीर तो बड़ा हो चुका होता है. लेकिन दिमाग बच्चों की तरह होता है.ऐसे लोगों को मानसिक विक्षिप्त कहा जाता है. जिन्हें उनके परिवार से तिरस्कार के अलावा कुछ नहीं (condition of mental patients in Gaurela Pendra Marwahi) मिलता. लेकिन यदि इन लोगों को समय पर इलाज मिल जाए तो सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जी सकते हैं.लेकिन समाज में जिन्हें इनकी देखभाल करनी होती है.उन्हें ही योजनाओं की जानकारी नहीं होती.ईटीवी भारत की टीम ने मानसिक रुप से विक्षिप्त लोगों के बारे में प्रशासन से जानकारी इकट्ठा की.जिसमे कई तरह की बातें सामने आई हैं.
सड़कों में कटता है जीवन : मानसिक रोगियों का जीवन सड़कों पर या दर बदर की ठोंकरे खाते हुए कटता है. गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में भी मानसिक रोगियों को सड़कों पर देखा जा सकता (Mental patient in Gaurela Pendra Marwahi) है. जब इस मामले में हमने जिला स्वास्थ्य अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा ''हमारे जिले में तो इन्हें रखने की कोई व्यवस्था नहीं है. ना ही जिले में कोई ऐसे चिकित्सक हैं. हालांकि ऐसे मानसिक रोगियों के लिए शासन के पास योजनाएं तो है. जिसके तहत इन्हें पुलिस कोर्ट के जरिये आदेश निकालकर मानसिक अस्पताल में भेजा जा सकता है.''
पुलिस का अपना तर्क : वहीं पुलिस अधिकारी की माने तो ''यदि उनके तक ऐसे मानसिक रूप से विक्षित लोगों की सूचना मिलती है तो तत्काल पुलिस उन्हें पकड़कर कोर्ट में पेश करती है.वहां से मानसिक चिकित्सालय भेजने की व्यवस्था की जाती (Treatment of mental patients is possible) है.'' हालांकि सड़कों में इस तरह से बेपरवाह घूमते मानसिक रोगियों के लिए शासन के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने नजदीकी थाने में जाकर रोगी के बारे में सूचना दें.ताकि वक्त पर इलाज मुहैया हो सके.