ETV Bharat / state

'अगर हथियार छोड़ते हैं नक्सली तो किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है सरकार' - पूर्व सीएम रमन सिंह

छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या पर सीएम भूपेश बघेल ने बयान दिया है. सीएम ने कहा है कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास करें. हथियार छोड़कर संवैधानिक तरीके से बात करें. सरकार कहीं भी किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है.

cm-bhupesh-baghel-gave-a-statement-on-the-naxal-problem-in-chhattisgarh
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
author img

By

Published : Jan 4, 2021, 5:56 PM IST

Updated : Jan 5, 2021, 12:55 AM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या बहुत पुरानी है. लाल आतंक को खत्म करने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है. बावजूद इसके नक्सल समस्या बरकरार है. छत्तीसगढ़ में सरकार बीजेपी की हो या फिर कांग्रेस की हो. नेता और मंत्री नक्सल समस्या को सिर्फ मंच से खत्म करने की गाथा गाते हैं. बावजूद इसके नक्सलवाद पर लगाम नहीं लग सका है. अब एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलियों से मुख्यधारा में जुड़ने की अपील की है.

सीएम भूपेश बघेल का नक्सल मामले पर बयान

पढ़ें: सीएम का शाह को पत्र: नक्सल मोर्चे पर केंद्र सरकार को नया प्रस्ताव, बस्तर में ब्लैक पैंथर की तैनाती और ड्रोन कैमरों का रिसॉल्यूशन बढ़ाने की मांग

सीएम भूपेश बघेल ने बिलासपुर में नक्सल मामले में बड़ा बयान दिया है. सीएम ने कहा कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास करें. हथियार छोड़कर संवैधानिक तरीके से बात करें. सरकार कहीं भी किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है.

'जिस दिन पूरा विश्वास जीत लेंगे, लड़ाई खत्म हो जाएगी'

रायपुर में भी 1 जनवरी को पुलिस और नक्सल इलाकों में तैनात सुरक्षाबलों के जवानों के बीच पहुंचे सीएम ने कहा था कि नक्सलगढ़ में जवान लोगों का विश्वास जीत रहे हैं. जिस दिन पूरा विश्वास जीत लेंगे. उस दिन लड़ाई खत्म हो जाएगी.

'हमारी फोर्स के 10 प्रतिशत भी नहीं हैं नक्सली'

सीएम ने ये भी कहा था कि जितने हमारे फोर्स हैं, उसके 10 प्रतिशत से भी कम नक्सली हैं. उनसे लड़ लेना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन विश्वास जीतना बहुत कठिन है. हम लोगों ने 2 साल में बहुत विश्वास जीता है. नक्सलवाद को खत्म करेंगे.

बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई

कांग्रेस तत्कालीन भाजपा सरकार पर बस्तर में नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप लगाती रही है. साल 2018 के चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनी तो जेलों में बंद आदिवसियों को रिहा किया जाएगा. भूपेश सरकार ने जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. इस समिति ने बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव और राजनांदगांव जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के केस पर मंथन किया है. कुछ आदिवासियों की रिहाई भी हो चुकी है.

पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर का कांग्रेस पर निशाना

सीएम की इस घोषणा के बाद ETV भारत की टीम ने भाजपा सरकार में गृह मंत्री रहे ननकीराम कंवर से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार ने नक्सलियों से बातचीत की मंशा जाहिर की है. जब वे गृह मंत्री थे, तब नक्सल इलाकों में कैंप लगाकर बातचीत का प्रयास हुआ था, लेकिन सफल नहीं हुए. नक्सलियों और कुछ कांग्रेस नेताओं की मिलीभगत थी. एक बड़े कांग्रेस नेता के सुपुत्र नक्सल इलाकों में बेखौफ होकर घूमते थे. मतलब साफ है उनका संबंध नक्सलियों से रहा है. कांग्रेस नेताओं और नक्सलियों की मिलीभगत के कारण बातचीत नहीं हो पाई थी.

ननकीराम कंवर,पूर्व गृह मंत्री,छत्तीसगढ़

पढ़ें: 'छत्तीसगढ़ में 'विश्वास, विकास और सुरक्षा' की त्रिवेणी से होगा नक्सल समस्या का समाधान'

सीएम ने की केंद्र सरकार से मदद की डिमांड

छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने की बात कही थी, लेकिन 15 साल में नक्सल समस्या जस की तस है. अब पिछले 2 साल से सीएम भूपेश बघेल भी नक्सल समस्या को खत्म करने की बात कह रही है. सीएम भूपेश बघेल ने कई मर्तबा केंद्र सरकार से मदद की डिमांड की है. सीएम ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था. इसके बाद बस्तर में 7 हजार जवानों की तैनाती की मंजूरी मिली थी.

सीएम का शाह को पत्र

सीएम भूपेश बघेल ने 11 दिसंबर 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बस्तर अंचल में नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. बघेल ने पत्र में लिखा है कि बस्तर अंचल में नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाए, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बेरोजगार युवा विवश होकर नक्सली समूहों में शामिल न हों.

पढ़ें: SPECIAL: बीजेपी-कांग्रेस के बीच नक्सल समस्या को लेकर चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर

पहले भी हो चुकी है वार्ता की अपील

अक्टूबर 2009 में भारत के तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी नक्सलियों से अपील की थी कि वे हिंसा छोड़ कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में आएं. चिदबंरम ने कहा था कि नक्सली समस्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है और इससे निपटा जा सकता है. गृहमंत्री ने साफ कहा था कि "अगर नक्सली हिंसा छोड़ दें तो केंद्र सरकार उनसे बातचीत कर सकती है."

चिदंबरम ने यह भी कहा था कि सरकार को इस तरह की कोई जानकारी नहीं है कि नक्सलियों को विदेशों से पैसा मिलता है. अगर नक्सली हिंसा नहीं छोड़ते हैं तो सुरक्षाबल उनसे निपटने में सक्षम हैं. चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि अगर नक्सलियों ने हमला किया तो वायुसेना भी जवाबी कार्रवाई करेगी.

रमन सरकार ने की थी ये कवायद

नक्सली समस्या से निपटने के लिए पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार ने भी अपनी ओर से कवायद की थी, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलते देख सरकार ने दिशा बदल ली. रमन सरकार की यह कवायद सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के नक्सलियों के अपहरण करने के बाद शुरू हुई थी.

21 अप्रैल 2012 - सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का मांझीपारा गांव से नक्सलियों ने अपहरण किया. कलेक्टर की रिहाई के लिए सरकार ने नक्सलियों से चर्चा की शुरूआत की. नक्सलियों ने मध्यस्थता के लिए दो नाम तय किए. एक नाम बस्तर के पूर्व कलेक्टर बीडी शर्मा और दूसरा नाम प्रोफेसर हरगोपाल बताया.

3 मई 2012 - बीडी शर्मा और प्रो. हरगोपाल कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए नक्सलियों से बातचीत करने ताड़मेटला के जंगल गए. नक्सलियों से चर्चा के बाद अलेक्स पॉल मेनन को साथ लेकर लौटे.

3 मई 2012 - छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों से हुए समझौते के तहत छत्तीसगढ़ के जेलों में निरुद्ध नक्सलियों के मामलों के पुनर्विचार के लिए मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति का गठन किया.

4 सितंबर 2014 - निर्मला बुच समिति ने ढाई साल की अवधि में 9 बैठकों में जेल में 2 साल से ज्यादा समय से और छोटे प्रकरणों में निरूद्ध नक्सलियों से जुड़े 654 मामलों पर विचार किया. 306 प्रकरणों में बंदियों की जमानत पर रिहाई की अनुशंसा भी की.

नक्सलियों के आतंक को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

छत्तीसगढ़ में अबतक दोनों सरकारों ने नक्सलियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. इस ओर प्रयास असफल साबित हुए हैं. यही कारण है कि नक्सली लगातार प्रदेश में अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होते जा रहे हैं. अब देखना होगा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों के आतंक को रोकने में वर्तमान कांग्रेस सरकार क्या कदम उठाती है और यह कदम कितने कारगर साबित होते हैं.

2009 से 2017 तक बड़े नक्सली हमले

  • 24 अप्रैल 2017, छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ. जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए.
  • 1 मार्च 2017, सुकमा जिले में अवरोध सड़कों को खाली कराने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला. हमले में 11 जवान शहीद और 3 से ज्यादा घायल हुए.
  • 11 मार्च 2014, झीरम घाटी के पास एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया. जिसमें 15 जवान शहीद हुए और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हुई.
  • 12 अप्रैल 2014, बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत, मरने वालों में 7 मतदान कर्मी भी थे. एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
  • दिसंबर 2014, सुकमा जिले के चिंता गुफा इलाके में एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया, नक्सलियों के इस हमले में 14 जवान शहीद और 12 घायल हुए.
  • 25 मई 2013, झीरम घाटी हमला में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. जिसमें कांग्रेस के 30 नेता और कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइटर महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, युवा नेता दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा सहित कई अन्य कांग्रेसी नेता शामिल थे.
  • 6 अप्रैल 2010, दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ हमला. देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे.
  • 12 जुलाई 2009, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में घात लगाकर किए गए नक्सली हमले में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या बहुत पुरानी है. लाल आतंक को खत्म करने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है. बावजूद इसके नक्सल समस्या बरकरार है. छत्तीसगढ़ में सरकार बीजेपी की हो या फिर कांग्रेस की हो. नेता और मंत्री नक्सल समस्या को सिर्फ मंच से खत्म करने की गाथा गाते हैं. बावजूद इसके नक्सलवाद पर लगाम नहीं लग सका है. अब एक बार फिर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलियों से मुख्यधारा में जुड़ने की अपील की है.

सीएम भूपेश बघेल का नक्सल मामले पर बयान

पढ़ें: सीएम का शाह को पत्र: नक्सल मोर्चे पर केंद्र सरकार को नया प्रस्ताव, बस्तर में ब्लैक पैंथर की तैनाती और ड्रोन कैमरों का रिसॉल्यूशन बढ़ाने की मांग

सीएम भूपेश बघेल ने बिलासपुर में नक्सल मामले में बड़ा बयान दिया है. सीएम ने कहा कि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास करें. हथियार छोड़कर संवैधानिक तरीके से बात करें. सरकार कहीं भी किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है.

'जिस दिन पूरा विश्वास जीत लेंगे, लड़ाई खत्म हो जाएगी'

रायपुर में भी 1 जनवरी को पुलिस और नक्सल इलाकों में तैनात सुरक्षाबलों के जवानों के बीच पहुंचे सीएम ने कहा था कि नक्सलगढ़ में जवान लोगों का विश्वास जीत रहे हैं. जिस दिन पूरा विश्वास जीत लेंगे. उस दिन लड़ाई खत्म हो जाएगी.

'हमारी फोर्स के 10 प्रतिशत भी नहीं हैं नक्सली'

सीएम ने ये भी कहा था कि जितने हमारे फोर्स हैं, उसके 10 प्रतिशत से भी कम नक्सली हैं. उनसे लड़ लेना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन विश्वास जीतना बहुत कठिन है. हम लोगों ने 2 साल में बहुत विश्वास जीता है. नक्सलवाद को खत्म करेंगे.

बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई

कांग्रेस तत्कालीन भाजपा सरकार पर बस्तर में नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों को फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप लगाती रही है. साल 2018 के चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनी तो जेलों में बंद आदिवसियों को रिहा किया जाएगा. भूपेश सरकार ने जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. इस समिति ने बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, कोंडागांव और राजनांदगांव जिलों के अनुसूचित जनजाति वर्ग के केस पर मंथन किया है. कुछ आदिवासियों की रिहाई भी हो चुकी है.

पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर का कांग्रेस पर निशाना

सीएम की इस घोषणा के बाद ETV भारत की टीम ने भाजपा सरकार में गृह मंत्री रहे ननकीराम कंवर से बातचीत की. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार ने नक्सलियों से बातचीत की मंशा जाहिर की है. जब वे गृह मंत्री थे, तब नक्सल इलाकों में कैंप लगाकर बातचीत का प्रयास हुआ था, लेकिन सफल नहीं हुए. नक्सलियों और कुछ कांग्रेस नेताओं की मिलीभगत थी. एक बड़े कांग्रेस नेता के सुपुत्र नक्सल इलाकों में बेखौफ होकर घूमते थे. मतलब साफ है उनका संबंध नक्सलियों से रहा है. कांग्रेस नेताओं और नक्सलियों की मिलीभगत के कारण बातचीत नहीं हो पाई थी.

ननकीराम कंवर,पूर्व गृह मंत्री,छत्तीसगढ़

पढ़ें: 'छत्तीसगढ़ में 'विश्वास, विकास और सुरक्षा' की त्रिवेणी से होगा नक्सल समस्या का समाधान'

सीएम ने की केंद्र सरकार से मदद की डिमांड

छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने की बात कही थी, लेकिन 15 साल में नक्सल समस्या जस की तस है. अब पिछले 2 साल से सीएम भूपेश बघेल भी नक्सल समस्या को खत्म करने की बात कह रही है. सीएम भूपेश बघेल ने कई मर्तबा केंद्र सरकार से मदद की डिमांड की है. सीएम ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था. इसके बाद बस्तर में 7 हजार जवानों की तैनाती की मंजूरी मिली थी.

सीएम का शाह को पत्र

सीएम भूपेश बघेल ने 11 दिसंबर 2020 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बस्तर अंचल में नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. बघेल ने पत्र में लिखा है कि बस्तर अंचल में नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए जरूरी है कि प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाए, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बेरोजगार युवा विवश होकर नक्सली समूहों में शामिल न हों.

पढ़ें: SPECIAL: बीजेपी-कांग्रेस के बीच नक्सल समस्या को लेकर चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर

पहले भी हो चुकी है वार्ता की अपील

अक्टूबर 2009 में भारत के तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने भी नक्सलियों से अपील की थी कि वे हिंसा छोड़ कर लोकतांत्रिक व्यवस्था में आएं. चिदबंरम ने कहा था कि नक्सली समस्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है और इससे निपटा जा सकता है. गृहमंत्री ने साफ कहा था कि "अगर नक्सली हिंसा छोड़ दें तो केंद्र सरकार उनसे बातचीत कर सकती है."

चिदंबरम ने यह भी कहा था कि सरकार को इस तरह की कोई जानकारी नहीं है कि नक्सलियों को विदेशों से पैसा मिलता है. अगर नक्सली हिंसा नहीं छोड़ते हैं तो सुरक्षाबल उनसे निपटने में सक्षम हैं. चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि अगर नक्सलियों ने हमला किया तो वायुसेना भी जवाबी कार्रवाई करेगी.

रमन सरकार ने की थी ये कवायद

नक्सली समस्या से निपटने के लिए पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार ने भी अपनी ओर से कवायद की थी, लेकिन उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलते देख सरकार ने दिशा बदल ली. रमन सरकार की यह कवायद सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के नक्सलियों के अपहरण करने के बाद शुरू हुई थी.

21 अप्रैल 2012 - सुकमा के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का मांझीपारा गांव से नक्सलियों ने अपहरण किया. कलेक्टर की रिहाई के लिए सरकार ने नक्सलियों से चर्चा की शुरूआत की. नक्सलियों ने मध्यस्थता के लिए दो नाम तय किए. एक नाम बस्तर के पूर्व कलेक्टर बीडी शर्मा और दूसरा नाम प्रोफेसर हरगोपाल बताया.

3 मई 2012 - बीडी शर्मा और प्रो. हरगोपाल कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए नक्सलियों से बातचीत करने ताड़मेटला के जंगल गए. नक्सलियों से चर्चा के बाद अलेक्स पॉल मेनन को साथ लेकर लौटे.

3 मई 2012 - छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों से हुए समझौते के तहत छत्तीसगढ़ के जेलों में निरुद्ध नक्सलियों के मामलों के पुनर्विचार के लिए मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच की अध्यक्षता में एक स्थायी समिति का गठन किया.

4 सितंबर 2014 - निर्मला बुच समिति ने ढाई साल की अवधि में 9 बैठकों में जेल में 2 साल से ज्यादा समय से और छोटे प्रकरणों में निरूद्ध नक्सलियों से जुड़े 654 मामलों पर विचार किया. 306 प्रकरणों में बंदियों की जमानत पर रिहाई की अनुशंसा भी की.

नक्सलियों के आतंक को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

छत्तीसगढ़ में अबतक दोनों सरकारों ने नक्सलियों से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं. इस ओर प्रयास असफल साबित हुए हैं. यही कारण है कि नक्सली लगातार प्रदेश में अपने नापाक मंसूबों में कामयाब होते जा रहे हैं. अब देखना होगा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों के आतंक को रोकने में वर्तमान कांग्रेस सरकार क्या कदम उठाती है और यह कदम कितने कारगर साबित होते हैं.

2009 से 2017 तक बड़े नक्सली हमले

  • 24 अप्रैल 2017, छत्तीसगढ़ के सुकमा में लंच करने को बैठे जवानों पर घात लगाकर हमला हुआ. जिसमें 25 से ज्यादा जवान शहीद हो गए.
  • 1 मार्च 2017, सुकमा जिले में अवरोध सड़कों को खाली कराने के काम में जुटे सीआरपीएफ के जवानों पर घात लगाकर हमला. हमले में 11 जवान शहीद और 3 से ज्यादा घायल हुए.
  • 11 मार्च 2014, झीरम घाटी के पास एक इलाके में नक्सलियों ने एक और हमला किया. जिसमें 15 जवान शहीद हुए और एक ग्रामीण की भी इसमें मौत हुई.
  • 12 अप्रैल 2014, बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में 5 जवानों समेत 14 लोगों की मौत, मरने वालों में 7 मतदान कर्मी भी थे. एंबुलेंस चालक और कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी.
  • दिसंबर 2014, सुकमा जिले के चिंता गुफा इलाके में एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सलियों ने हमला किया, नक्सलियों के इस हमले में 14 जवान शहीद और 12 घायल हुए.
  • 25 मई 2013, झीरम घाटी हमला में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. जिसमें कांग्रेस के 30 नेता और कार्यकर्ताओं की मौत हो गई. जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइटर महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार, युवा नेता दिनेश पटेल, योगेंद्र शर्मा सहित कई अन्य कांग्रेसी नेता शामिल थे.
  • 6 अप्रैल 2010, दंतेवाड़ा जिले के तालमेटाला में सुरक्षाकर्मियों पर हुआ हमला. देश का सबसे बड़ा नक्सली हमला है. इसमें सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे.
  • 12 जुलाई 2009, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में घात लगाकर किए गए नक्सली हमले में पुलिस अधीक्षक वीके चौबे समेत 29 जवान शहीद हुए थे.
Last Updated : Jan 5, 2021, 12:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.