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CIMS प्रबंधन लगाएगा ट्रीटमेंट प्लांट, अरपा नदी में छोड़ा जाएगा साफ पानी - Sewerage water dirty in Sims Medical College

सिम्स मेडिकल कॉलेज के सीवरेज का पानी अरपा नदी को गंदा कर रहा है. इसलिए सिम्स प्रबंधन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए डेढ़ करोड़ का बजट अलॉट किया गया है.

Arpa river polluted
अरपा नदी में प्रदूषण
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Published : Mar 7, 2022, 5:08 PM IST

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज के सीवरेज से निकलने वाले पानी को सापर कर अरपा नदी में छोड़ा जाएगा. इसके लिए सिम्स प्रबंधन ने डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना तैयार की है. इस प्लांट में सिम्स मेडिकल कॉलेज के गंदे पानी को साफ किया जाएगा. इसके बाद ही अरपा नदी में इसे छोड़ा जाएगा. इसके लिए प्रबंधन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

CIMS प्रबंधन लगाएगा ट्रीटमेंट प्लांट

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र 2022: राज्यपाल के अभिभाषण के बीच भाजपा विधायक ने की टोकाटोकी

सिम्स अस्पताल से रोजाना निकलता है गंदा पानी
सिम्स मेडिकल कॉलेज संभाग का सबसे बड़ा और 800 बिस्तर वाला अस्पताल है. यहां हजारों मरीजों का रोज आना-जाना लगा रहता है. इस अस्पताल से रोजाना हजारों लीटर गंदा पानी निकलता है. गंदा पानी सीधे अरपा नदी में छोड़ दिया जाता है, इससे अरपा नदी प्रदूषित हो रही है. वहीं इस गंदे पानी का इस्तेमाल करने वाले मवेशी और आम लोग भी बीमार हो रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए सिम्स में डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा. छात्रों के हॉस्टल के पास इसका निर्माण किया जाना है. शासन की स्वीकृति मिलने के बाद सिम्स प्रबंधन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. सिम्स के गंदे पानी को प्लांट में पहले साफ किया जाएगा. इसके बाद इस साफ पानी को नदी में छोड़ा जाएगा. ट्रीटमेंट प्लांट से साफ होने के बावजूद पानी पीने लायक नहीं होगा. इसलिए इसे नदी में छोड़ने का फैसला लिया गया है.

मेडिकल छात्रों के लिए सिम्स मेडिकल कॉलेज के परिसर में 4-4 मंजिला 4 बिल्डिंग बनाए गए हैं. जिसमें लगभग 300 से भी ज्यादा बच्चे रहते हैं. ऐसे में सिम्स की सभी नालियों को एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा. वही नालियों से गंदे पानी को प्लांट तक पहुंचाया जाएगा, हालांकि इसमें कई परेशानी आने की बात कही जा रही है. लेकिन सभी परेशानियों को दूर कर नालियों को एक में जोड़ा जाएगा और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा.

सिम्स मेडिकल कॉलेज के एसएस नीरज सिंडे ने बताया कि, "वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्पताल परिसर में पर्यावरण के लिए अनिवार्य है. इसके लिए सीएमएसई के तहत ट्रीटमेंट प्लांट बनवा रहे हैं. यह प्लांट 1 से 2 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी अरपा नदी में छोड़ा जाएगा. इससे अस्पताल परिसर भी साफ सुथरा भी रहेगी."

अरपा नदी पहुंचेगा साफ पानी
अरपा नदी के दोनों किनारों में घनी बस्तियां बसी हुई है. नदी के किनारे बसी बस्तियों में ज्यादातर स्लम बस्ती हैं, जिनका नित कार्य अरपा नदी पर निर्भर है. हजारों लोग रोज नदी में नहाते और अपने कपड़े धोते हैं. साथ ही आसपास के जानवर भी नदी में ही आकर पानी पीते हैं. इस समय सिम्स मेडिकल कॉलेज से निकलने वाला गंदा पानी नदी में छोड़ा जाता है. यह पानी लोगों को बीमार कर रहा है. कई तरह की जल जनित बीमारियां भी उनमें देखी जा रही है. इन सब को देखते हुए ही सिम्स प्रबंधन ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने की योजना तैयार कर रही है. जहां आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा. वहीं पर्यावरण में भी सुधार होगा और अरपा नदी का पानी भी शुद्ध होगा.

बिलासपुर: सिम्स मेडिकल कॉलेज के सीवरेज से निकलने वाले पानी को सापर कर अरपा नदी में छोड़ा जाएगा. इसके लिए सिम्स प्रबंधन ने डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना तैयार की है. इस प्लांट में सिम्स मेडिकल कॉलेज के गंदे पानी को साफ किया जाएगा. इसके बाद ही अरपा नदी में इसे छोड़ा जाएगा. इसके लिए प्रबंधन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

CIMS प्रबंधन लगाएगा ट्रीटमेंट प्लांट

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सिम्स अस्पताल से रोजाना निकलता है गंदा पानी
सिम्स मेडिकल कॉलेज संभाग का सबसे बड़ा और 800 बिस्तर वाला अस्पताल है. यहां हजारों मरीजों का रोज आना-जाना लगा रहता है. इस अस्पताल से रोजाना हजारों लीटर गंदा पानी निकलता है. गंदा पानी सीधे अरपा नदी में छोड़ दिया जाता है, इससे अरपा नदी प्रदूषित हो रही है. वहीं इस गंदे पानी का इस्तेमाल करने वाले मवेशी और आम लोग भी बीमार हो रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए सिम्स में डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा. छात्रों के हॉस्टल के पास इसका निर्माण किया जाना है. शासन की स्वीकृति मिलने के बाद सिम्स प्रबंधन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. सिम्स के गंदे पानी को प्लांट में पहले साफ किया जाएगा. इसके बाद इस साफ पानी को नदी में छोड़ा जाएगा. ट्रीटमेंट प्लांट से साफ होने के बावजूद पानी पीने लायक नहीं होगा. इसलिए इसे नदी में छोड़ने का फैसला लिया गया है.

मेडिकल छात्रों के लिए सिम्स मेडिकल कॉलेज के परिसर में 4-4 मंजिला 4 बिल्डिंग बनाए गए हैं. जिसमें लगभग 300 से भी ज्यादा बच्चे रहते हैं. ऐसे में सिम्स की सभी नालियों को एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा. वही नालियों से गंदे पानी को प्लांट तक पहुंचाया जाएगा, हालांकि इसमें कई परेशानी आने की बात कही जा रही है. लेकिन सभी परेशानियों को दूर कर नालियों को एक में जोड़ा जाएगा और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा.

सिम्स मेडिकल कॉलेज के एसएस नीरज सिंडे ने बताया कि, "वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट अस्पताल परिसर में पर्यावरण के लिए अनिवार्य है. इसके लिए सीएमएसई के तहत ट्रीटमेंट प्लांट बनवा रहे हैं. यह प्लांट 1 से 2 महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा. वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी अरपा नदी में छोड़ा जाएगा. इससे अस्पताल परिसर भी साफ सुथरा भी रहेगी."

अरपा नदी पहुंचेगा साफ पानी
अरपा नदी के दोनों किनारों में घनी बस्तियां बसी हुई है. नदी के किनारे बसी बस्तियों में ज्यादातर स्लम बस्ती हैं, जिनका नित कार्य अरपा नदी पर निर्भर है. हजारों लोग रोज नदी में नहाते और अपने कपड़े धोते हैं. साथ ही आसपास के जानवर भी नदी में ही आकर पानी पीते हैं. इस समय सिम्स मेडिकल कॉलेज से निकलने वाला गंदा पानी नदी में छोड़ा जाता है. यह पानी लोगों को बीमार कर रहा है. कई तरह की जल जनित बीमारियां भी उनमें देखी जा रही है. इन सब को देखते हुए ही सिम्स प्रबंधन ने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने की योजना तैयार कर रही है. जहां आम लोगों को इसका लाभ मिलेगा. वहीं पर्यावरण में भी सुधार होगा और अरपा नदी का पानी भी शुद्ध होगा.

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