बिलासपुर: सिम्स अस्पताल (Cims Hospital) के कर्मचारियों की हड़ताल के 46 दिन पूरे हो गए हैं. जिसके कारण सिम्स अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. इधर मरीजों को अस्पताल में व्यवस्था न मिलने के कारण निजी अस्पतालों की तरफ रूख करना पड़ रहा है. वहीं इलाज की कमी से मरीजों का सिम्स से मोह भंग हो रहा है. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य मंत्रालय (Chhattisgarh Health Ministry) ने हड़ताली कर्मचारियों के मामले में नियोक्ता यानी डीन के पाले में बॉल डाल दी है. अब हड़ताल पर कर्मचारी डीन को घेरने की तैयारी में हैं. इधर नाराज प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने 13 अक्टूबर को डीएमई (संचालक चिकित्सा, शिक्षा कार्यालय ) का घेराव करने की रणनीति तैयार की है.
कर्मचारी हड़ताल पर, स्वास्थ्य व्यवस्था बेहाल
दरअसल सिम्स अस्पताल के कर्मचारी हड़ताल से वापस काम पर नहीं लौटे हैं. जिसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय चिंतित है. सिम्स मेडिकल कॉलेज के हड़ताल को 46 दिन से भी ज्यादा हो गए हैं. इन दिनों में 7 सौ बिस्तर वाले अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है. जहां एक ओर भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है. जांच कराने पहुंचे मरीजों के परिजनों को जांच रिपोर्ट लेने लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है.
सिम्स प्रबंधन का कहना है कि, उनके यहां सभी जांच मशीनें चालू हैं, लेकिन उसे चलाने वाले टेक्नीशियन ही नहीं हैं. कुछ मरीजों ने बताया कि सिम्स में इलाज नहीं हो रहा है. मरीजों की भर्ती होने के बाद जांच नहीं हो पा रही है. ना ही इलाज शुरू हुआ.
स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा के बाद भी नहीं निकला कोई हल
इधर, सिम्स प्रबंधन ने स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा तो की है, लेकिन उस चर्चा का परिणाम धरातल पर नहीं दिख रहा है. कर्मचारी अब भी धरना प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं. जानकारी के अनुसार सिम्स मेडिकल कॉलेज से लगभग पौने चार सौ मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया गया है. जो मौत और जिंदगी से लड़ रहे है. कर्मचारी अब भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. हड़ताल पर गए कर्मचारी अपने परिवीक्षा अवधि समाप्त किये जाने को लेकर हड़ताल पर हैं.
डीन छुट्टी पर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने डीन को मामले में कर्मचारियों को लिखित में आश्वासन देने को कहा है, लेकिन डीन इनके मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह मेडिकल लीव लेकर 10 दिनों के लिए चली गई है.